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कोल्हान प्रमंडल ने दिए राज्य को सबसे ज्यादा सीएम, मोदी लहर में भी नहीं टूटा जेएमएम का चक्रव्यूह - Assembly Elections 2019

कोल्हान प्रमंडल में तीन जिला है. इन तीन जिलों में 14 विधानसभा की सीटें हैं. कोल्हान में शुरू से ही जेएमएम का कब्जा रहा है. मोदी लहर के बावजूद इस प्रमंडल में बीजेपी की दाल नहीं गली.

कोल्हान प्रमंडल
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Published : Nov 5, 2019, 3:14 PM IST

Updated : Nov 5, 2019, 3:21 PM IST

रांची: संथाल के मुकाबले कोल्हान में पैठ जमाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होती रही है. इसका असर न सिर्फ 2014 के विधानसभा चुनाव में दिखा बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को कुछ वजहों से जवाब देना मुश्किल हो गया. पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था, लेकिन पूरे राज्य में कोल्हान की चाईबासा सीट थी जिसे भाजपा गंवा बैठी. ऊपर से इस सीट पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की हार से बीजेपी की खूब किरकिरी हुई. बीजेपी की इस सीट को महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी गीता कोड़ा ने जीतकर सबकों चौंका दिया. हालांकि दुमका में गुरूजी को हराकर बीजेपी ने विपक्ष को हमला करने का मौका छीन लिया.

देखिए स्पेशल स्टोरी

कोल्हान में टॉप पर है जेएमएम
पूरे राज्य में कोल्हान एकमात्र प्रमंडल है, जहां जेएमएम टॉप पर है. यहां की 14 सीटों में से सात सीटों पर जेएमएम का कब्जा है. जेएमएम की सबसे ज्यादा पैठ पश्चिमी सिंहभूम में है. यहां की पांच सीटों में चार सीटों पर जेएमएम काबिज है . 2014 में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी सिर्फ पांच सीटें ही जीत सकी थी, जबकि 2009 में झारखंड में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के बाद भी बीजेपी को छह सीटें मिली थी, जहां तक तीन चुनावों में लगातार जीत की बात है तो इस मामले में जेएमएम और बीजेपी बराबरी पर है. 2005 से 2014 के बीच जेएमएम सिर्फ सरायकेला सीट पर जीतती रही है, जबकि बीजेपी पूर्वी सिंहभूम सीट पर. रही बात जगन्नाथपुर सीट की तो यहां कोड़ा परिवार का पिछले तीन चुनावों से कब्जा बरकरार है.

kolhan division, कोल्हान प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2014 का रिपोर्ट

कोल्हान ने दिए सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री
कोल्हान प्रमंडल में तीन जिले हैं और तीनों जिलों ने राज्य को मुख्यमंत्री दिए. यही नहीं राज्य गठन के बाद से अबतक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर इसी प्रमंडल के नेता सबसे ज्यादा समय तक काबिज रहे. डोमिसाइल विवाद पर बाबूलाल मरांडी को हटाये जाने के बाद बीजेपी ने इसी प्रमंडल के खरसांवा से बीजेपी विधायक अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया था. बाद में 2005 के चुनाव के बाद अस्थिरता के दौर के बीच कांग्रेस ने जगन्नाथपुर से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दिया था. फिलहाल, जमशेदपुर पूर्वी से बीजेपी विधायक रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री हैं और कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं.

kolhan division, कोल्हान प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट

झारखंड की तस्वीर
यह सभी मानते हैं कि अगर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने 2014 में खरसांवा सीट जीत ली होती तो रघुवर दास को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचना आसान नहीं होता. गाहे-बगाहे रघुवर दास के भाग्य रेखा को जेएमएम ने ही मजबूत किया. इसी पार्टी के दशरथ गगराई ने अर्जुन मुंडा को हराकर झारखंड की राजनीति बदल दी.

kolhan division, कोल्हान प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2005 का रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: देवघरः अपराधियों ने दिनदहाड़े गोलीबारी की वारदात को दिया अंजाम, कारोबारी गंभीर रूप से घायल
पहला गैर आदिवासी सीएम
कोल्हाल प्रमंडल में कुल तीन जिले हैं. पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभू और सरायकेला. यहां कुल 14 सीटें हैं जिनमें से नौ सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं, जबकि एक सीट एससी के लिए. खास बात है कि पश्चिमी सिंहभूम की सभी सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. आदिवासी बहुल होने के बावजूद यह ऐसा प्रमंडल है जिसने राज्य को रघुवर दास के रूप में पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री दिया. ऐसा पहली बार हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल भी पूरा किया.

रांची: संथाल के मुकाबले कोल्हान में पैठ जमाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होती रही है. इसका असर न सिर्फ 2014 के विधानसभा चुनाव में दिखा बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को कुछ वजहों से जवाब देना मुश्किल हो गया. पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था, लेकिन पूरे राज्य में कोल्हान की चाईबासा सीट थी जिसे भाजपा गंवा बैठी. ऊपर से इस सीट पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की हार से बीजेपी की खूब किरकिरी हुई. बीजेपी की इस सीट को महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी गीता कोड़ा ने जीतकर सबकों चौंका दिया. हालांकि दुमका में गुरूजी को हराकर बीजेपी ने विपक्ष को हमला करने का मौका छीन लिया.

देखिए स्पेशल स्टोरी

कोल्हान में टॉप पर है जेएमएम
पूरे राज्य में कोल्हान एकमात्र प्रमंडल है, जहां जेएमएम टॉप पर है. यहां की 14 सीटों में से सात सीटों पर जेएमएम का कब्जा है. जेएमएम की सबसे ज्यादा पैठ पश्चिमी सिंहभूम में है. यहां की पांच सीटों में चार सीटों पर जेएमएम काबिज है . 2014 में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी सिर्फ पांच सीटें ही जीत सकी थी, जबकि 2009 में झारखंड में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के बाद भी बीजेपी को छह सीटें मिली थी, जहां तक तीन चुनावों में लगातार जीत की बात है तो इस मामले में जेएमएम और बीजेपी बराबरी पर है. 2005 से 2014 के बीच जेएमएम सिर्फ सरायकेला सीट पर जीतती रही है, जबकि बीजेपी पूर्वी सिंहभूम सीट पर. रही बात जगन्नाथपुर सीट की तो यहां कोड़ा परिवार का पिछले तीन चुनावों से कब्जा बरकरार है.

kolhan division, कोल्हान प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2014 का रिपोर्ट

कोल्हान ने दिए सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री
कोल्हान प्रमंडल में तीन जिले हैं और तीनों जिलों ने राज्य को मुख्यमंत्री दिए. यही नहीं राज्य गठन के बाद से अबतक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर इसी प्रमंडल के नेता सबसे ज्यादा समय तक काबिज रहे. डोमिसाइल विवाद पर बाबूलाल मरांडी को हटाये जाने के बाद बीजेपी ने इसी प्रमंडल के खरसांवा से बीजेपी विधायक अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया था. बाद में 2005 के चुनाव के बाद अस्थिरता के दौर के बीच कांग्रेस ने जगन्नाथपुर से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दिया था. फिलहाल, जमशेदपुर पूर्वी से बीजेपी विधायक रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री हैं और कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं.

kolhan division, कोल्हान प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट

झारखंड की तस्वीर
यह सभी मानते हैं कि अगर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने 2014 में खरसांवा सीट जीत ली होती तो रघुवर दास को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचना आसान नहीं होता. गाहे-बगाहे रघुवर दास के भाग्य रेखा को जेएमएम ने ही मजबूत किया. इसी पार्टी के दशरथ गगराई ने अर्जुन मुंडा को हराकर झारखंड की राजनीति बदल दी.

kolhan division, कोल्हान प्रमंडल
विधानसभा चुनाव 2005 का रिपोर्ट

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पहला गैर आदिवासी सीएम
कोल्हाल प्रमंडल में कुल तीन जिले हैं. पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभू और सरायकेला. यहां कुल 14 सीटें हैं जिनमें से नौ सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं, जबकि एक सीट एससी के लिए. खास बात है कि पश्चिमी सिंहभूम की सभी सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. आदिवासी बहुल होने के बावजूद यह ऐसा प्रमंडल है जिसने राज्य को रघुवर दास के रूप में पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री दिया. ऐसा पहली बार हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल भी पूरा किया.

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रांची: संथाल के मुकाबले कोल्हान में पैठ जमाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होती रही है. इसका असर न सिर्फ 2014 के विधानसभा चुनाव में दिखा बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को कुछ वजहों से जवाब देना मुश्किल हो गया. पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था, लेकिन पूरे राज्य में कोल्हान की चाईबासा सीट थी जिसे भाजपा गंवा बैठी. ऊपर से इस सीट पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की हार से बीजेपी की खूब किरकिरी हुई. 

बीजेपी की इस सीट को महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी गीता कोड़ा ने जीतकर सबकों चौंका दिया. हालांकि दुमका में गुरूजी को हराकर बीजेपी ने विपक्ष को हमला करने का मौका छीन लिया. 

कोल्हान में टॉप पर है जेएमएम

पूरे राज्य में कोल्हान एकमात्र प्रमंडल है, जहां जेएमएम टॉप पर है. यहां की 14 सीटों में से सात सीटों पर जेएमएम का कब्जा है. जेएमएम की सबसे ज्यादा पैठ पश्चिमी सिंहभूम में है. यहां की पांच सीटों में चार सीटों पर जेएमएम  काबिज है . 2014 में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी सिर्फ पांच सीटें ही जीत सकी थी, जबकि 2009 में झारखंड में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के बाद भी बीजेपी को छह सीटें मिली थी, जहां तक तीन चुनावों में लगातार जीत की बात है तो इस मामले में जेएमएम और बीजेपी बराबरी पर है. 

2005 से 2014 के बीच जेएमएम सिर्फ सरायकेला सीट पर जीतती रही है, जबकि बीजेपी पूर्वी सिंहभूम सीट पर. रही बात जगन्नाथपुर सीट की तो यहां कोड़ा परिवार का पिछले तीन चुनावों से कब्जा बरकरार है. 

कोल्हान ने दिए सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री

कोल्हान प्रमंडल में तीन जिले हैं और तीनों जिलों ने राज्य को मुख्यमंत्री दिए. यही नहीं राज्य गठन के बाद से अबतक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर इसी प्रमंडल के नेता सबसे ज्यादा समय तक काबिज रहे. डोमिसाइल विवाद पर बाबूलाल मरांडी को हटाये जाने के बाद बीजेपी ने इसी प्रमंडल के खरसांवा से बीजेपी विधायक अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया था. बाद में 2005 के चुनाव के बाद अस्थिरता के दौर के बीच कांग्रेस ने जगन्नाथपुर से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दिया था. फिलहाल, जमशेदपुर पूर्वी से बीजेपी विधायक रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री हैं और कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं.

झारखंड की तस्वीर

यह सभी मानते हैं कि अगर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने 2014 में खरसांवा सीट जीत ली होती तो रघुवर दास को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचना आसान नहीं होता. गाहे-बगाहे रघुवर दास के भाग्य रेखा को जेएमएम ने ही मजबूत किया. इसी पार्टी के दशरथ गगराई ने अर्जुन मुंडा को हराकर झारखंड की राजनीति बदल दी. 

पहला गैर आदिवासी सीएम

कोल्हाल प्रमंडल में कुल तीन जिले हैं. पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभू और सरायकेला. यहां कुल 14 सीटें हैं जिनमें से नौ सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं, जबकि एक सीट एससी के लिए. खास बात है कि पश्चिमी सिंहभूम की सभी सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं. आदिवासी बहुल होने के बावजूद यह ऐसा प्रमंडल है जिसने राज्य को रघुवर दास के रूप में पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री दिया. ऐसा पहली बार हुआ जब किसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल भी पूरा किया. 


Conclusion:
Last Updated : Nov 5, 2019, 3:21 PM IST
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