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रांची जिला की खिजरी सीट, जहां एक विधायक को मिली उम्रकैद तो दूसरे ने बढ़ाया झारखंड का मान

खिजरी विधानसभा सीट से अभी बीजेपी के राम कुमार पाहन विधायक हैं. इस सीट पर पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष करिया मुंडा भी चुनाव लड़ चुके हैं. करिया मुंडा 2005 में खिजरी सीट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की.

खिजरी विधानसभा
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Published : Oct 19, 2019, 6:55 AM IST

Updated : Oct 19, 2019, 8:47 AM IST

रांची: खिजरी विधानसभा सीट को राष्ट्रीय स्तर पर दो वजहों से पहचान मिली. पहली वजह बने बीजेपी के दिग्गज नेता करिया मुंडा. 2009 के यूपीए सरकार में इन्हें सर्वसम्मति से लोकसभा का उपाध्यक्ष चुना गया. इसकी वजह से राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड का मान बढ़ा.

देखिए स्पेशल स्टोरी


करिया मुंडा बीजेपी से लड़े चुनाव
दरअसल, करिया मुंडा ने 2005 में बीजेपी की टिकट पर खिजरी विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. अब सवाल है कि 1989 से लगातार खूंटी सीट से लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे बीजेपी के करिया मुंडा को 2005 में खिजरी विधानसभा चुनाव लड़ने की जरूरत क्यों आन पड़ी. इसकी वजह थी 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा से खूंटी में उनकी हार. तब करिया मुंडा फुर्सत में थे. इसलिए पार्टी ने उन्हें खिजरी से मैदान में उतार दिया था.


हालांकि, बाद में वह खूंटी से ही 2009 का चुनाव जीते और लोकसभा में उपाध्यक्ष चुने गए. उन्होंने 2014 का भी चुनाव जीता था. लेकिन ज्यादा उम्र की वजह से 2019 में बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को प्रत्याशी बनाया और बड़ी मुश्किल से इस सीट पर कब्जा कर पाई.

ये भी पढे़ं: मिशनरी संस्था ने 1 साल में की 900 बच्चों की हेरफेरी, विपक्ष क्यों है खामोश: समीर उरांव
करिया मुंडा के कारण मिली पहचान
करिया मुंडा के कारण खिजरी विधानसभा क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. अब सवाल है कि खिजरी इलाके को सुर्खियों में लाने के पीछे दूसरी वजह क्या रही. यह ऐसी वजह थी जिसने झारखंड की राजनीति को शर्मसार किया. वजह बने कांग्रेस विधायक सावना लकड़ा. इनपर साल 2011 में अविनाश नाम के युवक के अपहरण और हत्या का आरोप लगा था. जो 2013 में साबित हुआ. इस मामले में सावना लकड़ा को आजीवन कारावास की सजा हो गयी.


सावना लकड़ा पर हत्या का आरोप
इससे पहले सावना लकड़ा ने 2000 के चुनाव में बीजेपी के करमा उरांव को मात दी थी, लेकिन 2005 के चुनाव में बीजेपी के करिया मुंडा से हार गए थे. फिर उन्होंने वापसी करते हुए 2009 के चुनाव में भाजपा के रामकुमार पाहन को महज 2,778 वोट के मामूली अंतर से हराया था. फिर क्या सावना लकड़ा के राजनीति से हटते की भाजपा के रामकुमार पाहन मजबूर होकर उभरे.

ये भी पढे़ें: उग्रवादी हिंसा में मारे गए 150 लोगों के आश्रितों को मिली सरकारी नौकरी, CM ने दिए नियुक्ति पत्र
2014 में उनका सामना कांग्रेस की सुंदरी देवी से था जो पिछले तीन चुनावों में आरजेडी की टिकट पर लड़ती आ रही थी. इस चुनाव में सुंदरी देवी किसी तरह अपनी जमानत बचा सकी. शेष 24 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी. अब खिजरी विधानसभा सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है.

रांची: खिजरी विधानसभा सीट को राष्ट्रीय स्तर पर दो वजहों से पहचान मिली. पहली वजह बने बीजेपी के दिग्गज नेता करिया मुंडा. 2009 के यूपीए सरकार में इन्हें सर्वसम्मति से लोकसभा का उपाध्यक्ष चुना गया. इसकी वजह से राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड का मान बढ़ा.

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करिया मुंडा बीजेपी से लड़े चुनाव
दरअसल, करिया मुंडा ने 2005 में बीजेपी की टिकट पर खिजरी विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी. अब सवाल है कि 1989 से लगातार खूंटी सीट से लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे बीजेपी के करिया मुंडा को 2005 में खिजरी विधानसभा चुनाव लड़ने की जरूरत क्यों आन पड़ी. इसकी वजह थी 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा से खूंटी में उनकी हार. तब करिया मुंडा फुर्सत में थे. इसलिए पार्टी ने उन्हें खिजरी से मैदान में उतार दिया था.


हालांकि, बाद में वह खूंटी से ही 2009 का चुनाव जीते और लोकसभा में उपाध्यक्ष चुने गए. उन्होंने 2014 का भी चुनाव जीता था. लेकिन ज्यादा उम्र की वजह से 2019 में बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को प्रत्याशी बनाया और बड़ी मुश्किल से इस सीट पर कब्जा कर पाई.

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करिया मुंडा के कारण मिली पहचान
करिया मुंडा के कारण खिजरी विधानसभा क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. अब सवाल है कि खिजरी इलाके को सुर्खियों में लाने के पीछे दूसरी वजह क्या रही. यह ऐसी वजह थी जिसने झारखंड की राजनीति को शर्मसार किया. वजह बने कांग्रेस विधायक सावना लकड़ा. इनपर साल 2011 में अविनाश नाम के युवक के अपहरण और हत्या का आरोप लगा था. जो 2013 में साबित हुआ. इस मामले में सावना लकड़ा को आजीवन कारावास की सजा हो गयी.


सावना लकड़ा पर हत्या का आरोप
इससे पहले सावना लकड़ा ने 2000 के चुनाव में बीजेपी के करमा उरांव को मात दी थी, लेकिन 2005 के चुनाव में बीजेपी के करिया मुंडा से हार गए थे. फिर उन्होंने वापसी करते हुए 2009 के चुनाव में भाजपा के रामकुमार पाहन को महज 2,778 वोट के मामूली अंतर से हराया था. फिर क्या सावना लकड़ा के राजनीति से हटते की भाजपा के रामकुमार पाहन मजबूर होकर उभरे.

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2014 में उनका सामना कांग्रेस की सुंदरी देवी से था जो पिछले तीन चुनावों में आरजेडी की टिकट पर लड़ती आ रही थी. इस चुनाव में सुंदरी देवी किसी तरह अपनी जमानत बचा सकी. शेष 24 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी. अब खिजरी विधानसभा सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन चुकी है.

Intro:Body:

Equation of Khajri Assembly Constituency

 


Conclusion:
Last Updated : Oct 19, 2019, 8:47 AM IST
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