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कोयले की कमी से झारखंड में बिजली आपूर्ति पर नहीं पड़ेगा असर, खपत में 20 प्रतिशत की हुई बढ़ोतरी

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Published : Apr 19, 2022, 10:08 PM IST

कोयले की कमी से झारखंड में बिजली आपूर्ति पर असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, झारखंड में गर्मी बढ़ते ही खपत में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है. इस मांग को पूरा किया जा रहा है.

Electricity demand
कोयले की कमी से झारखंड में बिजली आपूर्ति पर नहीं पड़ेगा असर

रांचीः कोयला भंडार घटने की वजह से झारखंड सहित 12 राज्यों में बिजली संकट की आशंका बढ़ गई है. अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर महासंघ की चेतावनी ने झारखंड विद्युत वितरण निगम(जेबीवीएनएल) की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, जेबीवीएनएल ने दावा किया है कि राज्य में कोई बिजली संकट नहीं है. जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक केके वर्मा ने कहा कि गर्मी बढ़ने की वजह से राज्य में 20 प्रतिशत अधिक बिजली की मांग बढ़ गई है.

यह भी पढ़ेंःगिरिडीह में बिजली की आंख मिचौली से जनता परेशान, JMM कार्यकर्ताओं ने DVC कार्यालय को घेरा

जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक ने कहा कि वर्तमान में राज्य में कोई बिजली संकट नहीं है. थर्मल पावर के लिए कोयला की आपूर्ति केंद्र की ओर से की जाती है. इसलिए राज्य का सीधा हस्तक्षेप नहीं है. उन्होंने कहा कि बिजली संकट गहराता है तो राज्य सरकार वैकल्पिक व्यवस्था करने पर विचार करेगी. बता दें कि राज्य में औसतन प्रतिदिन करीब 1600 मेगावाट की खपत होती है, जिसका अधिकांश हिस्सा सेंट्रल पूल से राज्य को प्राप्त होता है. टीवीएनएल से सिर्फ 150 मेगावाट बिजली उत्पादित होती है. यही वजह है कि डीवीसी,एनटीपीसी और कुछ निजी कंपनियों से बिजली खरीदनी पड़ती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रबंध निदेशक ने कहा कि गर्मी बढने के कारण राज्य में बिजली की डिमांड सामान्य दिनों की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है. इससे रोजाना औसतन 2000 मेगावट बिजली की खपत हो रही है. इस मांग को पूरा करने के लिए डीवीसी से 550 मेगावाट, पावर ट्रेडिंग कंपनी से करीब 300 मेगावाट, एनटीपीसी से 550 मेगावाट, आधुनिक पावर से 180 मेगावाट, इनलैंड पावर से 50-60 मेगावाट और टीवीएनएल से 150 मेगावाट बिजली प्राप्त कर रहे हैं. जेबीवीएनएल के निदेशक केके वर्मा से जब पूछा गया कि कोयले की कमी से 12 राज्यों में बिजली उत्पादन पर असर पड़ रहा है. इससे झारखंड कितना प्रभावित होगा. इसपर उन्होंने कहा कि झारखंड अपने इस्तेमाल के लिए बिजली खरीदता है. अभी गर्मी के कारण खपत में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन आपूर्ति में कोई कमी नहीं है.


बिजली की मांग बढ़ने के साथ साथ ट्रांसफॉर्मर पर लोड बढ़ गया है. इससे कभी जर्जर तार तो कभी पुराने ट्रांसफार्मर में टेक्निकल फॉल्ट आना से भी बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है. जेबीवीएनएल के एमडी ने बताया कि पावर सब स्टेशन और ट्रांसफॉर्मर ओवर लोड है. इससे लोड शेडिंग सेडिंग करना मजबूरी है. विद्युत आपूर्ति इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि ओवरलोडिंग और पुराने तार की वजह से कहीं कहीं बिजली आपूर्ति में परेशान हैं.


रांची और आसपास के इलाकों में बिजली की दिक्कत नहीं है. इसको लेकर रांची विद्युत आपूर्ति क्षेत्र के महाप्रबंधक सह मुख्य अभियंता ने वाट्सअप नंबर 9431135682 जारी किया है. उन्होंने कहा कि बिजली से संबंधित कोई समस्या है, तो व्हाट्स एप पर शिकायत करें. शिकायत मिलने के बाद निर्धारित समय सीमा में समस्या का निदान किया जाएगा.

रांचीः कोयला भंडार घटने की वजह से झारखंड सहित 12 राज्यों में बिजली संकट की आशंका बढ़ गई है. अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर महासंघ की चेतावनी ने झारखंड विद्युत वितरण निगम(जेबीवीएनएल) की चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, जेबीवीएनएल ने दावा किया है कि राज्य में कोई बिजली संकट नहीं है. जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक केके वर्मा ने कहा कि गर्मी बढ़ने की वजह से राज्य में 20 प्रतिशत अधिक बिजली की मांग बढ़ गई है.

यह भी पढ़ेंःगिरिडीह में बिजली की आंख मिचौली से जनता परेशान, JMM कार्यकर्ताओं ने DVC कार्यालय को घेरा

जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक ने कहा कि वर्तमान में राज्य में कोई बिजली संकट नहीं है. थर्मल पावर के लिए कोयला की आपूर्ति केंद्र की ओर से की जाती है. इसलिए राज्य का सीधा हस्तक्षेप नहीं है. उन्होंने कहा कि बिजली संकट गहराता है तो राज्य सरकार वैकल्पिक व्यवस्था करने पर विचार करेगी. बता दें कि राज्य में औसतन प्रतिदिन करीब 1600 मेगावाट की खपत होती है, जिसका अधिकांश हिस्सा सेंट्रल पूल से राज्य को प्राप्त होता है. टीवीएनएल से सिर्फ 150 मेगावाट बिजली उत्पादित होती है. यही वजह है कि डीवीसी,एनटीपीसी और कुछ निजी कंपनियों से बिजली खरीदनी पड़ती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रबंध निदेशक ने कहा कि गर्मी बढने के कारण राज्य में बिजली की डिमांड सामान्य दिनों की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है. इससे रोजाना औसतन 2000 मेगावट बिजली की खपत हो रही है. इस मांग को पूरा करने के लिए डीवीसी से 550 मेगावाट, पावर ट्रेडिंग कंपनी से करीब 300 मेगावाट, एनटीपीसी से 550 मेगावाट, आधुनिक पावर से 180 मेगावाट, इनलैंड पावर से 50-60 मेगावाट और टीवीएनएल से 150 मेगावाट बिजली प्राप्त कर रहे हैं. जेबीवीएनएल के निदेशक केके वर्मा से जब पूछा गया कि कोयले की कमी से 12 राज्यों में बिजली उत्पादन पर असर पड़ रहा है. इससे झारखंड कितना प्रभावित होगा. इसपर उन्होंने कहा कि झारखंड अपने इस्तेमाल के लिए बिजली खरीदता है. अभी गर्मी के कारण खपत में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन आपूर्ति में कोई कमी नहीं है.


बिजली की मांग बढ़ने के साथ साथ ट्रांसफॉर्मर पर लोड बढ़ गया है. इससे कभी जर्जर तार तो कभी पुराने ट्रांसफार्मर में टेक्निकल फॉल्ट आना से भी बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है. जेबीवीएनएल के एमडी ने बताया कि पावर सब स्टेशन और ट्रांसफॉर्मर ओवर लोड है. इससे लोड शेडिंग सेडिंग करना मजबूरी है. विद्युत आपूर्ति इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि ओवरलोडिंग और पुराने तार की वजह से कहीं कहीं बिजली आपूर्ति में परेशान हैं.


रांची और आसपास के इलाकों में बिजली की दिक्कत नहीं है. इसको लेकर रांची विद्युत आपूर्ति क्षेत्र के महाप्रबंधक सह मुख्य अभियंता ने वाट्सअप नंबर 9431135682 जारी किया है. उन्होंने कहा कि बिजली से संबंधित कोई समस्या है, तो व्हाट्स एप पर शिकायत करें. शिकायत मिलने के बाद निर्धारित समय सीमा में समस्या का निदान किया जाएगा.

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