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रांची: सरकारी दंश का मार झेल रहा बिजली शवदाह गृह, कोई नहीं लेने वाला है सुध - नामकुम रांची में बना इलेक्ट्रिक श्मशान

रांची के नामकुम में बना बिजली शवदाह गृह खंडहर में तब्दील हो गई है. इसे लेकर राज्य सरकार ने खराब हुए बिजली शवदाह गृह को फिर से चालू करने को लेकर आदेश जारी किया है.

Electric crematorium turned into ruins in ranchi
बिजली शवदाह गृह
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Published : Jul 18, 2020, 6:09 PM IST

रांची: कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्य सरकार ने शहर में और ग्रामीण क्षेत्रों में जितने भी बिजली शवदाह गृह है, उसकी मरम्मत और फिर से चालू करने को लेकर आदेश जारी किया है. बावजूद यह नामकुम में स्थित बिजली शवदाह गृह बरसों से बना पड़ा अब यह खंडहर में तब्दील हो गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार के दिए गए आदेश के बाद भी सरकारी अधिकारी और विभाग के पदाधिकारियों की नजर अब तक इस बिजली शवदाह गृह पर नहीं पड़ी है. जिसकी वजह से यह बिजली से जलने वाला मशीन पूरी तरह से खंडहर हो गया है.

स्थानीय लोगों का मानना है कि कई बार स्थानीय पार्षद और जिला परिषद से मांग करने के बावजूद भी सरकार इस शव दाह गृही को किसी संस्थान को भी नहीं देती है. कई कट्ठा में बना यह शवदाह गृह सरकारी दंश का मार झेल रहे हैं. जिस तरह से केरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप से आने वाले समय में मरने वालों की संख्या और बढ़ते ही जा रही है. इसमें इस बिजली से चलने वाला शवदाह गृह की जरूरत सरकार और लोगों को भी पड़ सकती है.

ये भी देखें- लोहरदगा में एनएच का बुरा हाल, गड्ढे बने मौत का कुआं

जिला पार्षद और वार्ड पार्षद मुखिया ने ऐसे खंडार पड़े शवदाह गृह को मरम्मत कराने की जरूरत है. वहीं सरकार को भी ऐसे जरूरत चीजों को विशेष परिस्थिति में काम आने वाले चीजों को भी ध्यान में रखना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर इन सभी चीजों का इस्तेमाल किया जा सके.

रांची: कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्य सरकार ने शहर में और ग्रामीण क्षेत्रों में जितने भी बिजली शवदाह गृह है, उसकी मरम्मत और फिर से चालू करने को लेकर आदेश जारी किया है. बावजूद यह नामकुम में स्थित बिजली शवदाह गृह बरसों से बना पड़ा अब यह खंडहर में तब्दील हो गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार के दिए गए आदेश के बाद भी सरकारी अधिकारी और विभाग के पदाधिकारियों की नजर अब तक इस बिजली शवदाह गृह पर नहीं पड़ी है. जिसकी वजह से यह बिजली से जलने वाला मशीन पूरी तरह से खंडहर हो गया है.

स्थानीय लोगों का मानना है कि कई बार स्थानीय पार्षद और जिला परिषद से मांग करने के बावजूद भी सरकार इस शव दाह गृही को किसी संस्थान को भी नहीं देती है. कई कट्ठा में बना यह शवदाह गृह सरकारी दंश का मार झेल रहे हैं. जिस तरह से केरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप से आने वाले समय में मरने वालों की संख्या और बढ़ते ही जा रही है. इसमें इस बिजली से चलने वाला शवदाह गृह की जरूरत सरकार और लोगों को भी पड़ सकती है.

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जिला पार्षद और वार्ड पार्षद मुखिया ने ऐसे खंडार पड़े शवदाह गृह को मरम्मत कराने की जरूरत है. वहीं सरकार को भी ऐसे जरूरत चीजों को विशेष परिस्थिति में काम आने वाले चीजों को भी ध्यान में रखना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर इन सभी चीजों का इस्तेमाल किया जा सके.

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