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बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को चुनाव आयोग ने माना निर्दलीय विधायक: सूत्र

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Published : Jun 12, 2020, 12:21 AM IST

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग ने झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को भारतीय जनता पार्टी का विधायक माना है. वहीं, जेवीएम के दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्दलीय माना है.

bandhu Tirkey and Pradeep Yadav as independent MLA
बंधु तिर्की और प्रदीप यादव

रांची: राज्यसभा चुनाव से कुछ दिन पहले झारखंड के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग ने झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को भारतीय जनता पार्टी का विधायक माना है. वहीं, जेवीएम के दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्दलीय माना है. चुनाव आयोग ने झारखंड विधानसभा के स्पीकर पर फैसला छोड़ा है कि यह दोनों विधायक किसी पार्टी के हैं या नहीं, यह वह तय करें.

कांग्रेस में शामिल हुए थे बंधु और प्रदीप यादव

बता दें झारखंड विधानसभा चुनाव में जेवीएम से बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव, बंधु तिर्की चुनाव जीते थे. चुनावी नतीजों के बाद बाबूलाल ने अपने पार्टी का बीजेपी में विलय किया था, लेकिन प्रदीप यादव, बंधु तिर्की ने अलग राह पकड़ ली थी और बाद में जाकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. बाबूलाल को बीजेपी ने झारखंड में विधायक दल का नेता बनाया और विपक्षी पार्टी होने के नाते बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग की थी.

ये भी पढ़ें: अपने तय समय पर मानसून झारखंड में देगा दस्तक, कुछ घंटे के अंदर होगा सक्रिय

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने दिया था चुनाव आयोग का हवाला

चुनाव आयोग के निर्देश के इंतजार में बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं मिली. बिना नेता प्रतिपक्ष ही बजट सत्र समाप्त हो गया. इसके बाद 23 मई को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो को इस मामले पर पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने जिक्र किया कि 24 फरवरी, 2020 को मरांडी को पार्टी के विधायकों ने अपना नेता चुना है. सबसे बड़े दल के नेता चुने जाने और नेता प्रतिपक्ष मनोनीत किए जाने की सारी शर्तें मरांडी पूरी करते हैं. बावजूद इसके, इस संबंध में झारखंड विधानसभा से कोई अधिसूचना नहीं जारी की गई है.

दीपक प्रकाश ने कहा था कि 11 फरवरी, 2020 को झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के प्रस्ताव के अनुसार उस दल का बीजेपी में विलय कर दिया गया है. भारत निर्वाचन आयोग ने भी अपने आदेश में इस विलय को मान्यता दी है. आयोग ने झाविमो का चुनाव चिन्ह भी फ्रिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि 11 फरवरी, 2020 के पहले ही पार्टी के दो विधायकों को निष्कासित भी कर दिया गया था. हालांकि, दोनों विधायकों ने भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष 7 फरवरी, 2020 को कांग्रेस में विलय करने का दावा किया था, लेकिन भारत निर्वाचन आयोग में उनके इस दावे को अमान्य कर दिया.

रांची: राज्यसभा चुनाव से कुछ दिन पहले झारखंड के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग ने झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी को भारतीय जनता पार्टी का विधायक माना है. वहीं, जेवीएम के दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्दलीय माना है. चुनाव आयोग ने झारखंड विधानसभा के स्पीकर पर फैसला छोड़ा है कि यह दोनों विधायक किसी पार्टी के हैं या नहीं, यह वह तय करें.

कांग्रेस में शामिल हुए थे बंधु और प्रदीप यादव

बता दें झारखंड विधानसभा चुनाव में जेवीएम से बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव, बंधु तिर्की चुनाव जीते थे. चुनावी नतीजों के बाद बाबूलाल ने अपने पार्टी का बीजेपी में विलय किया था, लेकिन प्रदीप यादव, बंधु तिर्की ने अलग राह पकड़ ली थी और बाद में जाकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. बाबूलाल को बीजेपी ने झारखंड में विधायक दल का नेता बनाया और विपक्षी पार्टी होने के नाते बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग की थी.

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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने दिया था चुनाव आयोग का हवाला

चुनाव आयोग के निर्देश के इंतजार में बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं मिली. बिना नेता प्रतिपक्ष ही बजट सत्र समाप्त हो गया. इसके बाद 23 मई को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो को इस मामले पर पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने जिक्र किया कि 24 फरवरी, 2020 को मरांडी को पार्टी के विधायकों ने अपना नेता चुना है. सबसे बड़े दल के नेता चुने जाने और नेता प्रतिपक्ष मनोनीत किए जाने की सारी शर्तें मरांडी पूरी करते हैं. बावजूद इसके, इस संबंध में झारखंड विधानसभा से कोई अधिसूचना नहीं जारी की गई है.

दीपक प्रकाश ने कहा था कि 11 फरवरी, 2020 को झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के प्रस्ताव के अनुसार उस दल का बीजेपी में विलय कर दिया गया है. भारत निर्वाचन आयोग ने भी अपने आदेश में इस विलय को मान्यता दी है. आयोग ने झाविमो का चुनाव चिन्ह भी फ्रिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि 11 फरवरी, 2020 के पहले ही पार्टी के दो विधायकों को निष्कासित भी कर दिया गया था. हालांकि, दोनों विधायकों ने भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष 7 फरवरी, 2020 को कांग्रेस में विलय करने का दावा किया था, लेकिन भारत निर्वाचन आयोग में उनके इस दावे को अमान्य कर दिया.

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