रांचीः कोरोना महामारी के बाद से स्कूली शिक्षा पर काफी असर पड़ा है. खासकर सरकारी स्कूलों में नामांकन की स्थिति काफी दयनीय है. इस स्थिति में सुधार हो, इसको लेकर झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से सोशल ड्राइव चलाने का निर्णय लिया गया है. इस अभियान के तहत परियोजना परिषद की ओर से सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों के लिए एक विशेष निर्देश जारी किया गया है.
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कोरोना काल में करीब दो सालों तक शिक्षण संस्थानें बंद रहीं. इसका सबसे ज्यादा असर स्कूली शिक्षा पर पड़ा है. खासकर सरकारी स्कूलों के बच्चों में इसका प्रभाव ज्यादा दिख रहा है. सरकारी स्कूलों में नामांकन को लेकर भी उदासीनता बढ़ी है. ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी ड्रॉप आउट हो गये हैं और विद्यार्थियों को विद्यालयों से जोड़ने को लेकर शिक्षा विभाग लगातार प्रयास कर रही है.
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों के नामांकन के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने का निर्णय लिया गया है. परियोजना निदेशक किरण कुमार पासी ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला शिक्षा अधीक्षको को नामांकन प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से एक निर्देश दिया है. निर्देश में कहा गया है कि कक्षा 5 से 11वीं तक के बच्चों के नामांकन पर विशेष ध्यान दें. इसके साथ ही विशेष नामांकन अभियान चलाये. कक्षा 1 और 9 से 11 में नामांकन के लिए बिना स्थानांतरण प्रमाण पत्र के भी नामांकन लेने का निर्देश दिया है.
नामांकन बढ़ाने की जिम्मेदारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को दी गई है. नामांकन के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता को बरकरार रखा गया है. लेकिन जिन विद्यार्थियों के पास आधार कार्ड नहीं है, उनके लिए शीघ्र स्कूल परिसर में कैंप लगाकर कार्ड बनवाने का निर्देश दिया है. ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूलों के साथ जोड़ने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाने पर बल दिया गया है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की मानें तो नामांकित बच्चे भी स्कूल नहीं आ रहे हैं. उपस्थिति प्रतिशत बढ़ाने के लिए भी अभिभावकों के बीच जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.