रांचीः राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर एक तरफ जहां केंद्रीय स्तर पर योजनाएं तैयार की जा रही है. एक राष्ट्र एक नीति के तहत इस पर काम हो रहा है. दूसरी ओर झारखंड में नई शिक्षा नीति हुबहू लागू होगी कि नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है. हालांकि विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से इस शिक्षा नीति को एक्सेप्ट करने की तैयारी पुरजोर तरीके से चल रही है.
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2022 तक नई शिक्षा नीति को लेकर देश के तमाम राज्यों को राजकीय शिक्षा व्यवस्था की स्थिति को बदलने का निर्देश दिया गया है. National Education Policy के तहत एक राष्ट्र एक नीति पर जोर दिया गया है. हालांकि झारखंड समेत ऐसे और भी राज्य हैं जो इस नीति को अपने स्टेट में हूबहू लागू करना नहीं चाहते हैं. झारखंड के Education Minister Jagarnath Mahto ने तो इस मामले पर यह भी कहा है कि झारखंड सरकार इस नई शिक्षा नीति को हूबहू लागू नहीं करेगी, इसमें कई खामियां हैं.
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा है कि मंत्री परिषद के 3 सदस्य मंत्रिमंडल उपसमिति इसकी समीक्षा करेगी. उपसमिति की रिपोर्ट की बिनाह पर ही सरकार आगे कदम उठाएगी. नई शिक्षा नीति के तहत कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए शिक्षकों को उनके योग्यता के अनुसार बहाल करना होगा और उन्हें नियमित करने की भी प्रावधान की गई है. लेकिन झारखंड में पारा शिक्षकों के अलावा कई स्कूलों और विश्वविद्यालयों में कॉन्ट्रैक्ट पर घंटी आधारित शिक्षकों की संख्या काफी है. ऐसे में शिक्षा मंत्री को आशंका है कि अगर इन शिक्षकों को हटा दिया जाए तो झारखंड की शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर जाएगी. State C-TET Exam समाप्त होने पर भी नई शिक्षा नीति पर जोर दिया गया है और Central TET Exam को ही मान्यता देने पर इस नीति में जोर है. राज्य शिक्षा विभाग ने इस पर सवाल खड़ा किया है.
विभिन्न विश्वविद्यालयों में तैयारी
दूसरी ओर राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने नई शिक्षा नीति को अपने कॉलेजों में हूबहू लागू करने पर विचार कर रही है. इसे लेकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के साथ-साथ राज्य के अन्य विश्वविद्यालय और रांची विश्वविद्यालय भी इसकी तैयारियों में जुटा है. रांची विश्वविद्यालय कुलपति कामिनी कुमार ने कहा है कि नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में यह विश्वविद्यालय कटिबद्ध है. यह नीति देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा और इस नीति के तहत ही विश्वविद्यालय में फिलहाल कोर्स सिलेक्शन का काम चल रहा है.