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नकेल कसने की तैयारी: शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों में फीस निर्धारण को लेकर विधि विभाग से मांगी राय

झारखंड सहित पूरे देश में कोरोना महामारी फैलने के बाद से ही स्कूल और कॉलेज बंद ऐसे में इनकी फीस को लेकर मुद्दा रहा है. पिछली बार सरकार ने दिशा निर्देश जारी किया था कि सिर्फ मासिक आधार पर शिक्षण शुल्क ही लेना है, अन्य मदों की फीस को फिलहाल नहीं ली जा सकेगी.

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Published : Jun 9, 2021, 12:21 PM IST

Education Department jharkhand
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद

रांची: स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने लॉकडाउन में बंद स्कूलों की फीस को लेकर विधि विभाग से राय मांगी है. दरअसल शुल्क को लेकर पिछले वर्ष ही स्कूलों को एक दिशा निर्देश दिया गया था. लेकिन इस दिशा निर्देशों का पालन अधिकतर निजी स्कूल नहीं कर रहे हैं. 7 मार्च 2020 से ही राज्य के तमाम स्कूल बंद हैं. हालांकि बीच में मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं को देखते हुए सीनियर बच्चों के लिए दिसंबर महीने में क्लासेस शुरू किए गए थे, लेकिन कोरोना महामारी का प्रकोप एक बार फिर तेजी से फैला और दोबारा स्कूलों को बंद कर दिया गया.

ये भी पढ़ें: रांचीः झारखंड स्कूल इनोवेशन चैलेंज 1.0, 8 से लेकर 12वीं तक के बच्चों से लिया जाएगा आइडिया

कोरोना महामारी फैलने के बाद देश भर में स्कूल और कॉलेज फिलहाल बंद हैं. ज्यादातर क्लासेस ऑनलाइन ही संचालित हो रहे हैं. ऐसे में स्कूलों की फीस को लेकर काफी हल्ला हंगामा किया गया. जिसके बाद अभिभावकों को राहत देते हुए शिक्षा विभाग ने पिछले साल ही निजी स्कूलों के शुल्क को लेकर एक निर्देश जारी किया गया था. जिसमें कहा गया था कि विद्यालयों को मासिक आधार पर सिर्फ शिक्षण शुल्क ही लेना है. अन्य मदों की फीस को फिलहाल नहीं ली जा सकेगी.


स्कूलों की मनमानी जारी
इसके बावजूद कुछ निजी स्कूल प्रबंधकों की ओर से मनमाने तरीके से फीस वसूली की जा रही है. स्कूल प्रबंधकों का तर्क है कि इस वर्ष शिक्षा विभाग की ओर से किसी भी तरह का निर्देश जारी नहीं किया गया है और शिक्षा विभाग भी ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करने में आनाकानी कर रहा है. इसी कड़ी में स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने विधि विभाग से स्कूलों की फीस निर्धारण को लेकर राय मांगी है.

रांची: स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने लॉकडाउन में बंद स्कूलों की फीस को लेकर विधि विभाग से राय मांगी है. दरअसल शुल्क को लेकर पिछले वर्ष ही स्कूलों को एक दिशा निर्देश दिया गया था. लेकिन इस दिशा निर्देशों का पालन अधिकतर निजी स्कूल नहीं कर रहे हैं. 7 मार्च 2020 से ही राज्य के तमाम स्कूल बंद हैं. हालांकि बीच में मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं को देखते हुए सीनियर बच्चों के लिए दिसंबर महीने में क्लासेस शुरू किए गए थे, लेकिन कोरोना महामारी का प्रकोप एक बार फिर तेजी से फैला और दोबारा स्कूलों को बंद कर दिया गया.

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कोरोना महामारी फैलने के बाद देश भर में स्कूल और कॉलेज फिलहाल बंद हैं. ज्यादातर क्लासेस ऑनलाइन ही संचालित हो रहे हैं. ऐसे में स्कूलों की फीस को लेकर काफी हल्ला हंगामा किया गया. जिसके बाद अभिभावकों को राहत देते हुए शिक्षा विभाग ने पिछले साल ही निजी स्कूलों के शुल्क को लेकर एक निर्देश जारी किया गया था. जिसमें कहा गया था कि विद्यालयों को मासिक आधार पर सिर्फ शिक्षण शुल्क ही लेना है. अन्य मदों की फीस को फिलहाल नहीं ली जा सकेगी.


स्कूलों की मनमानी जारी
इसके बावजूद कुछ निजी स्कूल प्रबंधकों की ओर से मनमाने तरीके से फीस वसूली की जा रही है. स्कूल प्रबंधकों का तर्क है कि इस वर्ष शिक्षा विभाग की ओर से किसी भी तरह का निर्देश जारी नहीं किया गया है और शिक्षा विभाग भी ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करने में आनाकानी कर रहा है. इसी कड़ी में स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग ने विधि विभाग से स्कूलों की फीस निर्धारण को लेकर राय मांगी है.

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