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झारखंड में कोरोना ने तोड़ दी है शिक्षा व्यवस्था की कमर, सिर्फ 5.3 प्रतिशत बच्चे ही कर पाते हैं ऑनलाइन पढ़ाई

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Published : Aug 25, 2021, 2:14 PM IST

भारत ज्ञान विकास समिति एवं ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के सर्वे में लॉकडाउन के दौरान 90 फीसदी बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने की जानकारी सामने आयी है. सर्वे के मुताबिक स्कूल बंद होने की वजह से ज्यादातर बच्चे अपनी पढ़ाई भूल चुके हैं. समिति ने समस्या के समाधान के लिए कई जरूरी उपायों से शिक्षा सचिव को अवगत कराया है.

GYAN BIGYAN SAMITI
ज्ञान विज्ञान समिति

रांची: कोरोना ने झारखंड की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. भारत ज्ञान विज्ञान समिति की ओर से किए गए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले डेढ़ वर्षों में सिर्फ 5.3 प्रतिशत बच्चे ही रेगूलर बेसिस पर ऑनलाइन क्लास कर पाए हैं. जबकि करीब 35 प्रतिशत बच्चे अपने माता-पिता के मोबाइल से ऑनलाइन क्लास से जुड़े हैं, जो रेग्यूलर नहीं रहा. क्योंकि माता-पिता के घर से बाहर रहने पर बच्चों को मोबाइल नहीं मिल पाया. इसके अलावा कई आर्थिक कमजोरी के कारण डाटा चार्ज नहीं होने से भी पढ़ाई बाधित हुई. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि करीब 96 फीसदी बच्चे इसलिए ऑनलाइन क्लास नहीं कर पाए क्योंकि उनके पास अपना मोबाइल नहीं था. जाहिर सी बात है कि ऑनलाइन क्लास सिर्फ खानापूर्ति भर साबित हुआ है. बच्चों में अनुशासन की कमी आई है. किसी सबजेक्ट को याद करने के प्रति उनकी दिलचस्पी कम हुई है.

ये भी पढ़ें- स्नातक से पीएचडी धारक तक बनना चाहें मनरेगा लोकपाल, नेपाल हाउस में अभ्यर्थियों का साक्षात्कार

झारखंड के 17 जिलों में सर्वे

भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ काशी नाथ चटर्जी ने बताया कि शिक्षा व्यवस्था का आंकलन करने के लिए 17 जिलों में सर्वे किया गया. इस दौरान 115 प्रखंड, 620 पंचायत और 877 गांव को टारगेट किया गया. इस दौरान छोटे व्यवसायी, किसान, ठेकेदार और मजदूरी करने वाले 5118 परिवारों से बात की गई. सर्वे में 55.14% परिवार ओबीसी, 21.5 1% आदिवासी, 18.21% अनुसूचित जाति, 5.14% सामान्य जाति के परिवार शामिल थे. इस काम में 662 वॉलेटियर्स की मदद ली गई. तब जाकर एक डाटा तैयार हुआ. समिति का दावा है कि ज्यादातक अभिभावक चाहते हैं कि सुरक्षा मानकों को पूरा करते हुए स्कूलों को खोला जाना चाहिए.

देखें वीडियो

छोटे बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा बाधित

सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा कक्षा एक से लेकर कक्षा आठवीं तक के बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है. क्योंकि यह बच्चे जितनी जल्दी किसी चीज को सीखते हैं उतनी ही जल्दी भूल भी जाते हैं . यही वजह है कि लॉकडाउन के दौरान करीब डेढ़ वर्षों से स्कूल बंद होने की वजह से ज्यादातर बच्चे अपनी पढ़ाई भूल चुके हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति खराब

समिति के अन्य सदस्यों ने बताया कि सर्वे के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की स्थिति काफी खराब दिखी है. बड़ी संख्या में लोग पैसे की कमी के कारण मोबाइल का डाटा रिचार्ज नहीं करा पाते हैं. ऊपर से ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या है. सबकुछ होने पर भी टेक्निकल जानकारी नहीं रहने के कारण बच्चे ऑनलाइन क्लास का पूरा लाभ नहीं उठा पाते हैं.

स्कूलों के मरम्मत की मांग

भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव काशीनाथ चटर्जी ने कहा कि सर्वे में आई रिपोर्ट को लेकर उन्होंने राज्य के शिक्षा सचिव से मुलाकात की है. उन्होंने आग्रह किया है कि स्कूलों को खोलने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सबसे पहले बंद पड़े स्कूलों को मरम्मत करने की जरूत है.

रांची: कोरोना ने झारखंड की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. भारत ज्ञान विज्ञान समिति की ओर से किए गए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले डेढ़ वर्षों में सिर्फ 5.3 प्रतिशत बच्चे ही रेगूलर बेसिस पर ऑनलाइन क्लास कर पाए हैं. जबकि करीब 35 प्रतिशत बच्चे अपने माता-पिता के मोबाइल से ऑनलाइन क्लास से जुड़े हैं, जो रेग्यूलर नहीं रहा. क्योंकि माता-पिता के घर से बाहर रहने पर बच्चों को मोबाइल नहीं मिल पाया. इसके अलावा कई आर्थिक कमजोरी के कारण डाटा चार्ज नहीं होने से भी पढ़ाई बाधित हुई. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि करीब 96 फीसदी बच्चे इसलिए ऑनलाइन क्लास नहीं कर पाए क्योंकि उनके पास अपना मोबाइल नहीं था. जाहिर सी बात है कि ऑनलाइन क्लास सिर्फ खानापूर्ति भर साबित हुआ है. बच्चों में अनुशासन की कमी आई है. किसी सबजेक्ट को याद करने के प्रति उनकी दिलचस्पी कम हुई है.

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झारखंड के 17 जिलों में सर्वे

भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ काशी नाथ चटर्जी ने बताया कि शिक्षा व्यवस्था का आंकलन करने के लिए 17 जिलों में सर्वे किया गया. इस दौरान 115 प्रखंड, 620 पंचायत और 877 गांव को टारगेट किया गया. इस दौरान छोटे व्यवसायी, किसान, ठेकेदार और मजदूरी करने वाले 5118 परिवारों से बात की गई. सर्वे में 55.14% परिवार ओबीसी, 21.5 1% आदिवासी, 18.21% अनुसूचित जाति, 5.14% सामान्य जाति के परिवार शामिल थे. इस काम में 662 वॉलेटियर्स की मदद ली गई. तब जाकर एक डाटा तैयार हुआ. समिति का दावा है कि ज्यादातक अभिभावक चाहते हैं कि सुरक्षा मानकों को पूरा करते हुए स्कूलों को खोला जाना चाहिए.

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छोटे बच्चों की पढ़ाई सबसे ज्यादा बाधित

सर्वे के मुताबिक सबसे ज्यादा कक्षा एक से लेकर कक्षा आठवीं तक के बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है. क्योंकि यह बच्चे जितनी जल्दी किसी चीज को सीखते हैं उतनी ही जल्दी भूल भी जाते हैं . यही वजह है कि लॉकडाउन के दौरान करीब डेढ़ वर्षों से स्कूल बंद होने की वजह से ज्यादातर बच्चे अपनी पढ़ाई भूल चुके हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति खराब

समिति के अन्य सदस्यों ने बताया कि सर्वे के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की स्थिति काफी खराब दिखी है. बड़ी संख्या में लोग पैसे की कमी के कारण मोबाइल का डाटा रिचार्ज नहीं करा पाते हैं. ऊपर से ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या है. सबकुछ होने पर भी टेक्निकल जानकारी नहीं रहने के कारण बच्चे ऑनलाइन क्लास का पूरा लाभ नहीं उठा पाते हैं.

स्कूलों के मरम्मत की मांग

भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव काशीनाथ चटर्जी ने कहा कि सर्वे में आई रिपोर्ट को लेकर उन्होंने राज्य के शिक्षा सचिव से मुलाकात की है. उन्होंने आग्रह किया है कि स्कूलों को खोलने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सबसे पहले बंद पड़े स्कूलों को मरम्मत करने की जरूत है.

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