रांचीः रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड पर 1030 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने मधुकॉन ग्रुप के 80.65 करोड़ रुपये की 28 अचल संपत्तियों और अन्य संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त (ED seizes Madhukan Group assets) किया है. यह संपत्ति नामा नागेश्वर राव और उनके परिवार के सदस्यों से संबंधित हैं. ईडी ने जिन संपत्तियों को जब्त किया है, उसमें हैदराबाद के खम्मम जिला में 67.08 करोड़ और प्रकाशम जिला में 13.57 करोड़ की संपत्ति शामिल है.
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मामला मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड के माध्यम से बैंक में जालसाजी का है. इस मामले में ईडी ने मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की. मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड मधुकॉन समूह की कंपनी है. इस कंपनी खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में 12 मार्च 2019 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में एसीबी ने 30 दिसंबर 2020 को इस कंपनी और उसके सहयोगियों पर चार्जशीट की थी. एसीबी में दर्ज प्राथमिकी और चार्जशीट के आधार पर ही ईडी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की. मनी लांड्रिंग के तहत अनुसंधान के दौरान ईडी को मधुकॉन ग्रुप के माध्यम से अवैध तरीके से बनाए गई 361.29 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति का पता चला है, जिसपर आगे का अनुसंधान जारी है.
मधुकॉन ग्रुप की कंपनी मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर 163.50 किलोमीटर के फोर लेन का प्रोजेक्ट दिया था. यह रांची-जमशेदपुर रोड पर रांची से रड़गांव तक के लिए था, जिसे 18 मार्च 2011 को कंपनी को मिला था. कंपनी के संस्थापक निदेशक कम्मा श्रीनिवास राव, नामा सीतैया और नामा पृथ्वी तेजा थे. आरोप है कि कंपनी ने पूरी ऋण राशि प्राप्त करने के बावजूद परियोजना को पूरा नहीं किया.
ईडी जांच में पता चला कि मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड ने अपने निदेशकों और प्रमोटरों के सहयोग से केनरा बैंक से 1030 करोड़ रुपये का ऋण लिया था. इस ऋण को जिस उद्देश्य के लिए लिया था, उसका उपयोग नहीं किया. इस राशि को दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया. मुखौटा कंपनियों में राशि का हस्तांतरण किया गया. फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर बैंक के साथ भी धोखाधड़ी की गई. राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी को भी धोखा दिया. बाद में कंपनी का खाता एनपीए हो गया. मधुकॉन ग्रुप ने केवल 50.24 प्रतिशत ही काम किया और ऋण की राशि 90 प्रतिशत निकाल ली. ईडी जांच में यह बात सामने आई है कि मधुकॉन समूह ने इस परियोजना के कर्ज के पैसे की हेराफेरी की है.