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रिम्स में इको और कैथ लैब की मशीन कई महीनों से बंद, निजी केंद्रों में जांच कराने को मजबूर मरीज

रिम्स में आए दिन परेशानियों का अंबार लगा रहता है. कार्डियोलॉजी विभाग की बात करें, तो यहां पर पिछले कई महीनों से इको मशीन और कैथ लैब की मशीन खराब पड़ी हुई है. ऐसे में गरीब मरीजों की जेब पर भार पड़ रहा है.

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रिम्स में मरीज हो रहे परेशान
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Published : Jun 8, 2021, 8:09 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में तो आए दिन परेशानियों का अंबार लगा रहता है. मरीज इलाज के लिए दर-दर भटकते हैं, लेकिन उन्हें मुकम्मल व्यवस्था प्रबंधन की तरफ से नहीं मिल पाती. खासकर इलाज के बाद जांच के लिए मरीजों को विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता है. रिम्स में बनाए गए जांच केंद्र में लगी सभी मशीन खराब पड़ी हैं, जिस वजह से डॉक्टरों को भी मरीज का इलाज करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें- कोरोना इफेक्टः स्कूली बच्चों के निवाले पर आफत, नहीं मिल रहा मिड-डे मील

गरीब हो रहे परेशान

रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग की बात करें, तो यहां पर पिछले कई महीनों से इको मशीन और कैथ लैब की मशीन खराब पड़ी हुई है. कार्डियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि इको मशीन खराब रहने के कारण मरीज की कई बीमारियों का इलाज नहीं हो पाता, क्योंकि जांच के लिए रिम्स में मशीन खराब पड़ी हैं.

डॉक्टर बताते हैं कि कई बार जरूरी जांच के लिए रिम्स में आने वाले गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ता है. निजी अस्पताल में जांच कराने के बाद मरीज की आर्थिक हालत खराब हो जाती है और वह आगे का इलाज और दवाई नहीं करा पाते.

1800 से दो हजार रुपए देने पड़ रहे

इको जांच की बात करें, तो कार्डियोलॉजी विभाग में मरीजों के लिए यह जांच मुफ्त में होती है लेकिन इसी जांच को अगर निजी स्वास्थ्य केंद्रों में कराया जाए तो इसके लिए लोगों को 1800 से दो हजार रुपए तक देने पड़ते हैं. रिम्स में जांच के लिए दर-दर भटक रहे मरीज सागर कुमार नायक बताते हैं कि इलाज तो डॉक्टरों की ओर से कर दिया जाता है, लेकिन जब डॉक्टरों की ओर से जांच लिखी जाती है, तो वह जांच रिम्स में संभव नहीं हो पाती. ऐसे में निजी जांच घरों का रुख करना पड़ता है, जो काफी महंगा होती है.

वहीं, इसको लेकर जब रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मरीजों की परेशानी को देखते हुए रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में इको मशीन और कैथ लैब मशीन की खरीदारी हो चुकी है. जल्द ही इंस्टॉल भी कर दिया जाएगा, ताकि गरीब मरीजों को इसका लाभ पहुंच सके.

जल्द मिलेंगी सेवाएं

दरअसल, रिम्स में खराब पड़ी मशीनों को लेकर कई बार मरीजों की जान पर आ गई. इसके बावजूद भी महीनों तक रिम्स में मशीन को ना तो दुरुस्त किया गया ना ही उसकी खरीदारी की गई. हालांकि कार्डियोलॉजी विभाग में फिलहाल कुछ मशीनों की खरीदारी हुई है, लेकिन अभी भी रिम्स में जांच की व्यवस्था बेहतर नहीं है. इसलिए जरूरत है कि स्वास्थ्य विभाग और रिम्स प्रबंधन अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों के लिए बीमारी की जांच व्यवस्था को और भी दुरुस्त और मजबूत करें.

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में तो आए दिन परेशानियों का अंबार लगा रहता है. मरीज इलाज के लिए दर-दर भटकते हैं, लेकिन उन्हें मुकम्मल व्यवस्था प्रबंधन की तरफ से नहीं मिल पाती. खासकर इलाज के बाद जांच के लिए मरीजों को विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता है. रिम्स में बनाए गए जांच केंद्र में लगी सभी मशीन खराब पड़ी हैं, जिस वजह से डॉक्टरों को भी मरीज का इलाज करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

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गरीब हो रहे परेशान

रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग की बात करें, तो यहां पर पिछले कई महीनों से इको मशीन और कैथ लैब की मशीन खराब पड़ी हुई है. कार्डियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि इको मशीन खराब रहने के कारण मरीज की कई बीमारियों का इलाज नहीं हो पाता, क्योंकि जांच के लिए रिम्स में मशीन खराब पड़ी हैं.

डॉक्टर बताते हैं कि कई बार जरूरी जांच के लिए रिम्स में आने वाले गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ता है. निजी अस्पताल में जांच कराने के बाद मरीज की आर्थिक हालत खराब हो जाती है और वह आगे का इलाज और दवाई नहीं करा पाते.

1800 से दो हजार रुपए देने पड़ रहे

इको जांच की बात करें, तो कार्डियोलॉजी विभाग में मरीजों के लिए यह जांच मुफ्त में होती है लेकिन इसी जांच को अगर निजी स्वास्थ्य केंद्रों में कराया जाए तो इसके लिए लोगों को 1800 से दो हजार रुपए तक देने पड़ते हैं. रिम्स में जांच के लिए दर-दर भटक रहे मरीज सागर कुमार नायक बताते हैं कि इलाज तो डॉक्टरों की ओर से कर दिया जाता है, लेकिन जब डॉक्टरों की ओर से जांच लिखी जाती है, तो वह जांच रिम्स में संभव नहीं हो पाती. ऐसे में निजी जांच घरों का रुख करना पड़ता है, जो काफी महंगा होती है.

वहीं, इसको लेकर जब रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ डीके सिन्हा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मरीजों की परेशानी को देखते हुए रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में इको मशीन और कैथ लैब मशीन की खरीदारी हो चुकी है. जल्द ही इंस्टॉल भी कर दिया जाएगा, ताकि गरीब मरीजों को इसका लाभ पहुंच सके.

जल्द मिलेंगी सेवाएं

दरअसल, रिम्स में खराब पड़ी मशीनों को लेकर कई बार मरीजों की जान पर आ गई. इसके बावजूद भी महीनों तक रिम्स में मशीन को ना तो दुरुस्त किया गया ना ही उसकी खरीदारी की गई. हालांकि कार्डियोलॉजी विभाग में फिलहाल कुछ मशीनों की खरीदारी हुई है, लेकिन अभी भी रिम्स में जांच की व्यवस्था बेहतर नहीं है. इसलिए जरूरत है कि स्वास्थ्य विभाग और रिम्स प्रबंधन अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों के लिए बीमारी की जांच व्यवस्था को और भी दुरुस्त और मजबूत करें.

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