रांची: भले ही दुर्गोत्सव में कोरोना का साया हो. इसके बावजूद लोगों में उत्साह देखा जा रहा है. कहीं पारंपरिक रीति-रिवाज से मां दुर्गे की आराधना की जा रही है तो कहीं तांत्रिक विधि से मां शक्ति की आवाहन किया जा रहा है. रांची में भी मां के भक्त अपने अपने तरीके से मां की पूजा-अर्चना में लीन हैं. ऐसे में रांची के जगन्नाथपुर स्थित बड़कागढ़ में भी ऐतिहासिक मान्यताओं के साथ देवी की आराधना की जा रही है.
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जानकर यह भी कहते हैं
इतिहास यह भी कहता है कि 1857 के विद्रोह से यहां पूजा की शुरुआत हुई. 1857 में जब ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को अंग्रेजों द्वारा फांसी दी गई थी. उसके बाद इस वियोग में ठाकुरानी बाणेश्वरी कुंवर अज्ञातवास में चली गई और 12 वर्षों के बाद जब वह सबके सामने आई. तो उसी समय से उन्होंने पूजा की शुरुआत की और उस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ-साथ नाई परिवार ने भी इस पूजा अर्चना में उनकी मदद की थी और तब से यह परंपरा चली आ रही है.