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खादगढ़ा बस स्टैंड पर बने विश्राम गृह में लटका ताला, कड़कड़ाती ठंड में चालक आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर - खादगढ़ा बस स्टैंड पर चालकों को परेशानी

रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड से सैकड़ों बसों का हर दिन परिचालन होता है. दिन-रात यहां से यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है. उसके बावजूद भी यहां सुविधाओं का अभाव है. बस स्टैंड पर चालक, उप चालक और अन्य स्टैंड कर्मचारियों के ठहरने की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण उन्हें ठंड के समय में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ईटीवी भारत की टीम ने खादगढ़ा बस स्टैंड का जायजा लिया, तो बस स्टैंड पर बना विश्राम गृह बंद मिला.

rest house at Khadgarha bus stand
खादगढ़ा बस स्टैंड
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Published : Jan 3, 2022, 9:31 AM IST

रांची: राजधानी रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड से प्रतिदिन सैकड़ों बसों का परिचालन होता है. कई राज्यों से यहां यात्री पहुंचते हैं. लेकिन बस स्टैंड पर सुविधाओं का अभाव है. जिसके कारण यात्रियों के साथ-साथ चालक और खलासी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बस स्टैंड पर चालकों और खलासी के ठहरने की व्यवस्था नहीं रहने से उन्हें काफी कठिनाई होती है.

इसे भी पढे़ं: खादगढ़ा बस स्टैंड का विश्राम गृह बना शो पीस , वर्षों से लटका है ताला



बस चालक प्रतिदिन 100 से 200 रुपये खर्च कर रूम भाड़ा पर लेकर सोते हैं. वहीं कई चालक और खलासी अपने बस में ही बने सीट पर सोकर रात गुजारते हैं. बस स्टैंड पर कार्यरत और चालक कल्याण संघ के सचिव महफूज बताते हैं कि गर्मी के मौसम में तो लोग खुले आसमान में भी सो जाते हैं. लेकिन ठंड आते ही चालकों की आफत बढ़ जाती है, क्योंकि सोने के लिए उनके पास स्टैंड में कोई जगह नहीं है. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले चालकों और अन्य कर्मचारियों के लिए स्टैंड पर विश्राम गृह बनाया गया था, जो सरकारी उदासीनता के कारण निर्माण होने के बाद से बंद पड़ा हुआ है. कई बार ठंड की वजह से चालकों की मौत भी हो जाती है. इसके बावजूद भी निगम और जिला प्रशासन की तरफ से चालकों और उप चालकों के ठहरने के लिए बस स्टैंड पर कोई व्यवस्था नहीं की जाती है.

देखें पूरी खबर


जल्द खोले जाएंगे विश्राम गृह


वहीं इस पूरे मामले को लेकर रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि नगर निगम ने शुरुआती दौर में बस स्टैंड को बेहतर बनाने के लिए व्यवस्था की थी. लेकिन उस अनुरूप व्यवस्था संचालित नहीं हो पाई. इस वजह से चालक, उप चालक और बस स्टैंड में काम करने वाले कर्मचारियों को ठंड के समय में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि विश्रामगृह कोरोना और अन्य तकनीकी कारणों से नहीं खुल पाया. आम लोगों और बुजुर्गों के लिए बस स्टैंड पर आश्रय गृह बनाए गए हैं. जल्द ही विश्राम गृह को खोल दिए जाएंगे, ताकि स्टैंड पर रहने वाले गरीब चालकों और और उप चालकों को ठंड में छत मुहैया हो सके.

रांची: राजधानी रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड से प्रतिदिन सैकड़ों बसों का परिचालन होता है. कई राज्यों से यहां यात्री पहुंचते हैं. लेकिन बस स्टैंड पर सुविधाओं का अभाव है. जिसके कारण यात्रियों के साथ-साथ चालक और खलासी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बस स्टैंड पर चालकों और खलासी के ठहरने की व्यवस्था नहीं रहने से उन्हें काफी कठिनाई होती है.

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बस चालक प्रतिदिन 100 से 200 रुपये खर्च कर रूम भाड़ा पर लेकर सोते हैं. वहीं कई चालक और खलासी अपने बस में ही बने सीट पर सोकर रात गुजारते हैं. बस स्टैंड पर कार्यरत और चालक कल्याण संघ के सचिव महफूज बताते हैं कि गर्मी के मौसम में तो लोग खुले आसमान में भी सो जाते हैं. लेकिन ठंड आते ही चालकों की आफत बढ़ जाती है, क्योंकि सोने के लिए उनके पास स्टैंड में कोई जगह नहीं है. उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले चालकों और अन्य कर्मचारियों के लिए स्टैंड पर विश्राम गृह बनाया गया था, जो सरकारी उदासीनता के कारण निर्माण होने के बाद से बंद पड़ा हुआ है. कई बार ठंड की वजह से चालकों की मौत भी हो जाती है. इसके बावजूद भी निगम और जिला प्रशासन की तरफ से चालकों और उप चालकों के ठहरने के लिए बस स्टैंड पर कोई व्यवस्था नहीं की जाती है.

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जल्द खोले जाएंगे विश्राम गृह


वहीं इस पूरे मामले को लेकर रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि नगर निगम ने शुरुआती दौर में बस स्टैंड को बेहतर बनाने के लिए व्यवस्था की थी. लेकिन उस अनुरूप व्यवस्था संचालित नहीं हो पाई. इस वजह से चालक, उप चालक और बस स्टैंड में काम करने वाले कर्मचारियों को ठंड के समय में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि विश्रामगृह कोरोना और अन्य तकनीकी कारणों से नहीं खुल पाया. आम लोगों और बुजुर्गों के लिए बस स्टैंड पर आश्रय गृह बनाए गए हैं. जल्द ही विश्राम गृह को खोल दिए जाएंगे, ताकि स्टैंड पर रहने वाले गरीब चालकों और और उप चालकों को ठंड में छत मुहैया हो सके.

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