रांचीः धनबाद के बाघमारा के चर्चित वसूली और फायरिंग कांड के आरोपी विवादित डीएसपी मजरूल होदा को पुलिस मुख्यालय ने निलंबन मुक्त कर दिया है. तकरीबन ढ़ाई साल बाद डीएसपी को पुलिस मुख्यालय ने निलंबन से मुक्त किया है. जून 2016 में पुलिस मुख्यालय ने कार्रवाई करते हुए डीएसपी, इंस्पेक्टर और थानेदार स्तर के अधिकारियों को निलंबित किया था.
गौरतलब है कि डीएसपी मजरूल होदा के खिलाफ साजिश के तहत जानलेवा हमला, आर्म्स एक्ट आदि की धाराओं में मुकदमा चलाने की अनुमति गृह विभाग की ओर से दी गई थी. उनके खिलाफ सीआईडी पूर्व में केस में चार्जशीट दायर कर चुकी है.
क्या है पूरा मामला
धनबाद के हरिहरपुर थाना क्षेत्र में 13 जून 2016 की रात करीब 11 बजे तत्कालीन डीएसपी बाघमारा मजरूल होदा और तत्कालीन हरिहरपुर थानेदार संतोष रजक ने सादे लिबास में चेकिंग लगाई थी. इसी बीच चमड़ा लदा ट्रक लेकर चालक मोहम्मद नाजिम को जब अधिकारियों ने रोकने की कोशिश की तो वह तेजी से भागने लगा. उसका पीछा कर अधिकारियों ने उसे गोली मार दी थी. ट्रक चालक जख्मी हुआ था. तब ट्रक चालक ने अपना बयान दिया था कि सादे लिबास में पुलिस को देखकर उसे लगा कि अपराधियों ने उसे रोकने का इशारा किया, इसलिए उसने नजदीक के पुलिस स्टेशन में जाने के लिए अपनी गाड़ी तेज की थी. जबकि पुलिस अधिकारियों ने गोली मारने के बाद एक पिस्टल, दो खोखे और कुछ कारतूस जब्त दिखाते हुए यह बताया था कि ट्रक चालक और अन्य ने मिलकर पुलिस पर गोलियां चलाई थी. इस मामले में दो प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं.
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वहीं, एक ट्रक चालक के बयान पर, जिसमें डीएसपी इंस्पेक्टर आदि दोषी पाए गए थे. वहीं, दूसरी प्राथमिकी पुलिस की ओर से ट्रक चालक पर आर्म्स एक्ट में दर्ज कराई गई. थी, जो बाद में अनुसंधान में असत्य साबित हुई है. जब घटना घटी थी, तब इसके अनुसंधानकर्ता तोपचांची के तत्कालीन थानेदार इंस्पेक्टर उमेश कच्छप बनाए गए थे. बाद में दबाव में उमेश कच्छप ने भी खुदकशी कर ली थी. उमेश कच्छप के खुदकुशी के मामले में तब धनबाद पुलिस के आला अधिकारियों की भूमिका पर भी परिजनों ने सवाल उठाया था. उमेश कच्छप की मौत के मामले की जांच भी सीआईडी की ओर से की जा रही है.