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द्रौपदी मुर्मू का ऋणी है जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग, रांची यूनिवर्सिटी में दिलाई विशेष पहचान

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Published : Jun 29, 2022, 5:53 PM IST

Updated : Jun 29, 2022, 7:12 PM IST

द्रौपदी मुर्मू एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति की उम्मीदवार है. उनका राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है. इससे पहले द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. अपने कार्यकाल में उन्होंने क्षेत्रीय भाषा के विकास के लिए काफी कुछ किया.

Draupadi Murmu did lot of work for language department
Draupadi Murmu did lot of work for language department

रांची: झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही रांची विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रोफेसर कर्मचारी हर कोई काफी खुश है. क्योंकि राज्यपाल और कुलाधिपति रहीं डॉक्टर द्रौपदी मुर्मू का इस विश्वविद्यालय के साथ गहरा नाता रहा है. यहां के कर्मचारियों का कहना है कि भाषा विभाग के लिए राज्यपाल रहते द्रौपदी मुर्मू ने काफी कुछ किया.

ये भी पढ़ें: बेटियों के जन्म पर होता है उत्सव, लिंगानुपात से लेकर कई क्षेत्रों में महिलाएं पुरूषों से आगे


रांची विश्वविद्यालय के खासकर जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग से झारखंड के पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू का बेहद ही खास लगाव था. जनजातिय और क्षेत्रीय भाषा विभाग की तस्वीर बदलने में तत्कालीन राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रोपदी मुर्मू की अहम भूमिका रही है. इस विभाग के विभागाध्यक्ष हो या फिर प्रोफेसर कर्मचारी या फिर विद्यार्थी हर कोई अपने कुलाधिपति से बेहिचक सवाल जवाब भी करते थे.

देखें वीडियो

जनजातिय और क्षेत्रीय भाषा विभाग को लेकर हमेशा द्रौपदी मुर्मू हमेशा चिंतित रहती थीं. उनके राज्यपाल बनने के बाद ही इस विभाग का कायाकल्प किया गया. एक छत के नीचे 9 भाषाओं का एक बेहतरीन विभाग आज बनकर तैयार है. यह पूर्व राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की ही देन है. उन्हीं के पहल से रांची विश्वविद्यालय समेत रांची कॉलेज जो वर्तमान में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय है वहां भी कई विकास के काम हुए हैं.

Draupadi Murmu did lot of work for language department
भवन का उद्घाटन करती द्रौपदी मुर्मू

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम भी द्रौपदी मुर्मू के कुलाधिपति रहते ही संभव हो पाया है. जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग के डीन डॉ त्रिवेणी नाथ साहू कहते हैं कि इस विभाग को लेकर वह काफी चिंतित रहती थी. कुलपतियों की बैठकों में भी इस बात की चर्चा ज्यादा होती थी कि विलुप्त हो रहे क्षेत्रीय भाषाओं को कैसे संरक्षित किया जाए. इस विभाग में 9 भाषाओं की पढ़ाई होती है. पहले बैठने में विद्यार्थियों को काफी परेशानी होती थी. ना ही विभाग के पास ढंग का भवन था और ना ही क्लासरूम ही इस विभाग के पास था. जब इसकी जानकारी तत्कालीन राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू को हुई. उन्होंने नया भवन बनाने की पहल की. उन्हीं के द्वारा इस भवन का शिलान्यास किया गया और उद्घाटन भी उन्होंने अपने कार्यकाल में ही किया. जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के एचओडी हरि उरांव ने भी कहा कि उनका झारखंड के क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को लेकर एक अलग सोच थी. वहीं इस विभाग और विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने भी उनसे जुड़ी यादों को ताजा किया है.

Draupadi Murmu did lot of work for language department
भाषा विभाग का नया भवन

विभाग और विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों ने जब राज्यपाल डॉक्टर द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाए जाने की चर्चा सुनी तो तमाम लोग काफी खुश हुए. उनकी माने तो जनजातिय और क्षेत्रीय भाषाओं के लिए किसी भी राज्यपाल कुलाधिपति ने इतना नहीं सोचा था जितना द्रौपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल में कर दिखाया है. तस्वीर और तकदीर बदलने में पूर्व राज्यपाल सह कुलाधिपति रही द्रोपदी मुर्मू की अहम भूमिका रही थी. वह राष्ट्रपति बनने जा रही है विभाग के लोग विभाग के शिक्षक और छात्र अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

रांची: झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से ही रांची विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रोफेसर कर्मचारी हर कोई काफी खुश है. क्योंकि राज्यपाल और कुलाधिपति रहीं डॉक्टर द्रौपदी मुर्मू का इस विश्वविद्यालय के साथ गहरा नाता रहा है. यहां के कर्मचारियों का कहना है कि भाषा विभाग के लिए राज्यपाल रहते द्रौपदी मुर्मू ने काफी कुछ किया.

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रांची विश्वविद्यालय के खासकर जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग से झारखंड के पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू का बेहद ही खास लगाव था. जनजातिय और क्षेत्रीय भाषा विभाग की तस्वीर बदलने में तत्कालीन राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रोपदी मुर्मू की अहम भूमिका रही है. इस विभाग के विभागाध्यक्ष हो या फिर प्रोफेसर कर्मचारी या फिर विद्यार्थी हर कोई अपने कुलाधिपति से बेहिचक सवाल जवाब भी करते थे.

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जनजातिय और क्षेत्रीय भाषा विभाग को लेकर हमेशा द्रौपदी मुर्मू हमेशा चिंतित रहती थीं. उनके राज्यपाल बनने के बाद ही इस विभाग का कायाकल्प किया गया. एक छत के नीचे 9 भाषाओं का एक बेहतरीन विभाग आज बनकर तैयार है. यह पूर्व राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की ही देन है. उन्हीं के पहल से रांची विश्वविद्यालय समेत रांची कॉलेज जो वर्तमान में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय है वहां भी कई विकास के काम हुए हैं.

Draupadi Murmu did lot of work for language department
भवन का उद्घाटन करती द्रौपदी मुर्मू

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम भी द्रौपदी मुर्मू के कुलाधिपति रहते ही संभव हो पाया है. जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग के डीन डॉ त्रिवेणी नाथ साहू कहते हैं कि इस विभाग को लेकर वह काफी चिंतित रहती थी. कुलपतियों की बैठकों में भी इस बात की चर्चा ज्यादा होती थी कि विलुप्त हो रहे क्षेत्रीय भाषाओं को कैसे संरक्षित किया जाए. इस विभाग में 9 भाषाओं की पढ़ाई होती है. पहले बैठने में विद्यार्थियों को काफी परेशानी होती थी. ना ही विभाग के पास ढंग का भवन था और ना ही क्लासरूम ही इस विभाग के पास था. जब इसकी जानकारी तत्कालीन राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू को हुई. उन्होंने नया भवन बनाने की पहल की. उन्हीं के द्वारा इस भवन का शिलान्यास किया गया और उद्घाटन भी उन्होंने अपने कार्यकाल में ही किया. जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के एचओडी हरि उरांव ने भी कहा कि उनका झारखंड के क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को लेकर एक अलग सोच थी. वहीं इस विभाग और विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने भी उनसे जुड़ी यादों को ताजा किया है.

Draupadi Murmu did lot of work for language department
भाषा विभाग का नया भवन

विभाग और विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों ने जब राज्यपाल डॉक्टर द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाए जाने की चर्चा सुनी तो तमाम लोग काफी खुश हुए. उनकी माने तो जनजातिय और क्षेत्रीय भाषाओं के लिए किसी भी राज्यपाल कुलाधिपति ने इतना नहीं सोचा था जितना द्रौपदी मुर्मू ने अपने कार्यकाल में कर दिखाया है. तस्वीर और तकदीर बदलने में पूर्व राज्यपाल सह कुलाधिपति रही द्रोपदी मुर्मू की अहम भूमिका रही थी. वह राष्ट्रपति बनने जा रही है विभाग के लोग विभाग के शिक्षक और छात्र अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

Last Updated : Jun 29, 2022, 7:12 PM IST
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