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महिलाओं की नहीं सुनी तो थानेदार भी जाएंगे जेल, डीजीपी ने दिया आदेश

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Published : Feb 12, 2020, 2:33 AM IST

झारखंड पुलिस मुख्यालय के नए आदेश के मुताबिक थानेदार अगर महिलाओं से जुड़े मामलों को बगैर कर्रवाई सीधे महिला थाना भेजेंगे तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. डीजीपी कमल नयन चौबे के द्वारा जारी आदेश पत्र में जिक्र है कि अगर अब ऐसा हुआ तो थानेदारों पर सीआरपीसी की धारा 166ए के तहत कार्रवाई होगी.

Jharkhand Police for female
डीजीपी कमल नयन चौबे

रांची: झारखंड पुलिस ने महिलाओं से यौन अपराध से जुड़े मामलों में नया पुलिस आदेश जारी किया है. झारखंड पुलिस मुख्यालय के नए आदेश के मुताबिक थानेदार अगर महिलाओं से जुड़े मामलों को बगैर कर्रवाई सीधे महिला थाना भेजेंगे तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

देखिए पूरी खबर

थानेदारों को भी हो सकता है सजा

झारखंड पुलिस के मुखिया डीजीपी कमल नयन चौबे के द्वारा जारी आदेश पत्र में जिक्र है कि थाना में पदस्थापित पदाधिकारियों के द्वारा यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं का कांड दर्ज नहीं कर पीड़ित महिला को महिला थाना जाने को कह दिया जाता है अगर अब ऐसा हुआ तो थानेदारों पर सीआरपीसी की धारा 166ए के तहत कार्रवाई होगी. एसपी स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि 166ए के तहत चिन्हित पदाधिकारी पर कार्रवाई करें, ताकि उन्हें छह माह से 2 साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सके.

सभी थाने में दर्ज होगा एफआईआर

28 पन्नों के डीजीपी के आदेश में सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिया गया है कि यौन अपराध से पीड़ित महिला राज्य के किसी भी थाने से संपर्क करती है तो किसी भी परिस्थिति में उनका एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं किया जाना चाहिए. यदि मामला थाना क्षेत्र से बाहर का है तब भी जीरो एफआईआर दर्ज कर प्रारंभिक अनुसंधान करें. इसके बाद संबंधित थाने में एफआईआर की कॉपी भेजें.

दो महीने के भीतर करना होगा अनुसंधान पूरा

डीजीपी के आदेश में यह भी जिक्र किया गया है कि यौन अपराध से जुड़े मामलों में केस दर्ज होने के दो महीने के भीतर पुलिस को अपने केस का अनुसंधान पूरा करना होगा. पुलिस मुख्यालय के आदेश में इस डेडलाइन को तय किया गया है. इसके साथ ही पीड़िता को मुआवजा देने में भी पुलिस पदाधिकारी को मदद करनी होगी. केस के अनुसंधानकर्ता को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह लोक अभियोजक के माध्यम से अनुरोध कराएं कि यौन अपराध से जुड़े मामलों के विचारण में न्यायाधीश महिला हो. थाना के स्तर पर महिला का बयान दर्ज करने के लिए भी महिला पदाधिकारी की अनिवार्यता तय की गई है.

रांची: झारखंड पुलिस ने महिलाओं से यौन अपराध से जुड़े मामलों में नया पुलिस आदेश जारी किया है. झारखंड पुलिस मुख्यालय के नए आदेश के मुताबिक थानेदार अगर महिलाओं से जुड़े मामलों को बगैर कर्रवाई सीधे महिला थाना भेजेंगे तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

देखिए पूरी खबर

थानेदारों को भी हो सकता है सजा

झारखंड पुलिस के मुखिया डीजीपी कमल नयन चौबे के द्वारा जारी आदेश पत्र में जिक्र है कि थाना में पदस्थापित पदाधिकारियों के द्वारा यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं का कांड दर्ज नहीं कर पीड़ित महिला को महिला थाना जाने को कह दिया जाता है अगर अब ऐसा हुआ तो थानेदारों पर सीआरपीसी की धारा 166ए के तहत कार्रवाई होगी. एसपी स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि 166ए के तहत चिन्हित पदाधिकारी पर कार्रवाई करें, ताकि उन्हें छह माह से 2 साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सके.

सभी थाने में दर्ज होगा एफआईआर

28 पन्नों के डीजीपी के आदेश में सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिया गया है कि यौन अपराध से पीड़ित महिला राज्य के किसी भी थाने से संपर्क करती है तो किसी भी परिस्थिति में उनका एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं किया जाना चाहिए. यदि मामला थाना क्षेत्र से बाहर का है तब भी जीरो एफआईआर दर्ज कर प्रारंभिक अनुसंधान करें. इसके बाद संबंधित थाने में एफआईआर की कॉपी भेजें.

दो महीने के भीतर करना होगा अनुसंधान पूरा

डीजीपी के आदेश में यह भी जिक्र किया गया है कि यौन अपराध से जुड़े मामलों में केस दर्ज होने के दो महीने के भीतर पुलिस को अपने केस का अनुसंधान पूरा करना होगा. पुलिस मुख्यालय के आदेश में इस डेडलाइन को तय किया गया है. इसके साथ ही पीड़िता को मुआवजा देने में भी पुलिस पदाधिकारी को मदद करनी होगी. केस के अनुसंधानकर्ता को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह लोक अभियोजक के माध्यम से अनुरोध कराएं कि यौन अपराध से जुड़े मामलों के विचारण में न्यायाधीश महिला हो. थाना के स्तर पर महिला का बयान दर्ज करने के लिए भी महिला पदाधिकारी की अनिवार्यता तय की गई है.

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