रांचीः झारखंड में विस्थापन एक बड़ी समस्या है और अब विस्थापितों के हक और अधिकार की मांग भी तेज होने लगी है. रांची के एसडीसी सभागार में शनिवार को विस्थापन और जल जंगल जमीन की रक्षा से संगठनों और कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने एकजुट स्वर में कहा कि एक महीने के अंदर हेमंत सोरेन सरकार विस्थापितों की समस्याओं के समाधान के लिए विस्थापन आयोग का गठन करें नहीं तो झारखंड विस्थापित संघर्ष मोर्चा राज्य में जोरदार आंदोलन शुरू कर देगा.
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विस्थापित संघर्ष मोर्चा के सम्मेलन में 5 बिंदुओं पर पारित हुआ अनवरत संघर्ष का संकल्प
शनिवार की बैठक में उपस्थित सामाजिक संगठनों और राज्य के वामदलों राज्य झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित कई दलों के नेताओं की उपस्थिति में विस्थापितों की समस्या को लेकर अनवरत संघर्ष का संकल्प लिया गया. इस संकल्प में कहा गया है कि राज्य में विस्थापन आयोग का एक माह में गठन हो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को राज्य में लागू किया जाए.
भूमि अधिग्रहण में जमीन की कीमत या मुआवजा 5 लाख रुपया प्रति एकड़ विस्थापित और प्रभावित परिवार को नौकरी और पुनर्वास के साथ-साथ पुनर्वास के लिए कम से कम 25 डिसमिल जमीन और गृह निर्माण के लिए 5 लाख की राशि दी जाए.
विस्थापित संघर्ष मोर्चा के सम्मेलन में शिबू सोरेन भी रहे चर्चा में
यह सम्मेलन तो विस्थापित की समस्याओं और उनके हक अधिकार को लेकर था. लेकिन इस बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष और दिशोम गुरु शिबू सोरेन भी चर्चा में रहे. जब झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के पुष्कर महतो ने यह कह दिया कि राज्य में मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हेमंत सोरेन के राज में उनके पिता यानी शिबु सोरेन का नाम ही झारखंड आंदोलनकारियों की सूची में नहीं है.
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उन्होंने राज्य के आंदोलनकारियों की सूची को एक महीने में फाइनल करने की मांग करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा क्योंकि वर्तमान सरकार सिर्फ आई वाश कर रही है. बैठक में शामिल हुए राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश यादव, पूर्व सांसद भुनेश्वर मेहता ने कहा कि राज्य में विस्थापन का दंश सबसे ज्यादा आदिवासियों, पिछड़ों और मूलवासियों ने सहा है. अब समय है कि सरकार विस्थापितों की समस्याओं का समाधान कर उनको हक दिलाएं.