रांचीः राज्य में इस बार भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पूर्व की तरह होगा. पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में जेएमएम विधायक लोबिन हेंब्रम के द्वारा पेसा के तहत चुनाव कराने की मांग को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि 2001 में जब पंचायती राज अधिनियम के खिलाफ हाई कोर्ट में दाखिल याचिका पर फैसला आने के बाद सरकार ने पूर्व की तरह राज्य में तीसरी बार भी पंचायत चुनाव कराने का निर्णय लिया है.
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इसको लेकर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि PESA Law के तहत चुनाव कराने के लिए कोई आवेदन भी अभी तक विभाग के पास नहीं आया है. उन्होंने पंचायत चुनाव नए वर्ष में होने की संभावना जताई है. जानकारी के मुताबिक सबकुछ ठीकठाक रहा तो अगले वर्ष फरवरी-मार्च महीने में झारखंड में पंचायत चुनाव कराने की तैयारी की जा रही है. 2020 के दिसंबर से लंबित है पंचायत चुनाव झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दिसंबर 2020 में होना था. पहले राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली होने के कारण चुनाव नहीं हो सका फिर कोरोना के कारण चुनाव लटकता चला गया.
ऐसे में सरकार ने पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अब तक दो बार एक्सटेंशन देकर किसी तरह काम चलाती रही है. राज्य में काफी जद्दोजहद के बाद वर्ष 2010 में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हुए. तत्पश्चात 2015 में एक बार फिर गांव की सरकार बनी जिसमें राज्यभर में 4 हजार 402 मुखिया, 545 जिला परिषद सदस्य, 5 हजार 423 पंचायत समिति सदस्य, 54 हजार 330 ग्राम पंचायत सदस्यों का निर्वाचन हुआ था. वर्तमान में झारखंड में कुल 32 हजार 660 गांव हैं जिसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही समाप्त हो चुका है.
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पंचायत चुनाव को राज्य सरकार द्वारा हरी झंडी नहीं देने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग की परेशानी बढ़ी हुई है. अगर 15 जनवरी तक राज्य सरकार की अनुमति नहीं मिलती है तो भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नये वोटर लिस्ट का प्रकाशन होते ही एक बार राज्य निर्वाचन आयोग को नये वोटर लिस्ट के आधार पर मतदाता सूची का विखंडन करना होगा, जिसकी प्रक्रिया पूरा करने में वक्त लगेगा.