रांचीः राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को अनुबंध शिक्षकों के माध्यम से पूरा किया गया है. लेकिन अनुबंध शिक्षकों को तय मानदेय नहीं मिल रहा है और नहीं स्थाई नियुक्ति में प्राथमिकता दी जा रही है. अनुबंध शिक्षक अनुराधा तिवारी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में चार हजार शिक्षकों के पद खाली है. इन पदों पर स्थाई नियुक्ति में अनुबंध पर बहाल शिक्षकों को प्राथमिकता दें.
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अनुराधा तिवारी ने कहा कि अनुबंध पर बहाल एक शिक्षक को रोजाना चार घंटी पढ़ाना है. एक घंटी पढ़ाने पर 600 रुपये मानदेय तय है. एक माह में अधिकतम 60 घंटी पढ़ाना है. लेकिन इस तय मानक के अनुसार अनुबंध शिक्षकों की क्लास नहीं लगाई जाती है. इससे कभी चार हजार, तो कभी 10 हजार और 15 हजार मानदेय मिलता है. उन्होंने कहा कि मानदेय में समानता नहीं है. इससे काफी परेशानी होती है.
उन्होंने कहा कि कभी सही समय से मानदेय नहीं मिलता है और ना ही यूजीसी गाइडलाइन के तहत तय मानदेय दिया जाता है. वहीं, स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति में भी अनुबंध शिक्षकों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित उच्च शिक्षा विभाग को निर्देश दिये है. उस निर्देश का पालन राज्य में नहीं हो रहा है. विभाग को इन शिक्षकों पर ध्यान देने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि यूजीसी रेगुलेशन के न्यूनतम ग्रेड पे नहीं मिल रहा है. इस रेगुलेशन के लिए भी नियम बनाना जरूरी है. टर्मिनेट किए गए घंटी आधारित अनुबंध सहायक अध्यापकों की सेवा को भी बरकरार रखने की मांग की है. असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली 2021 के विरोध में इन शिक्षकों ने अपनी आवाज बुलंद की है.