चतरा: कान्हाचट्टी प्रखंड अंतर्गत डोंडागड़ा गांव में कथित तौर पर भूख से अनुसूचित जाति के झींगुर भुईयां नामक शख्स की मौत हुई है. मृतक की पत्नी रूबी देवी के अनुसार वह अपने बीमार पति और बच्चों का भरण पोषण भीख मांगकर कर रही थी, लेकिन विगत दस-पंद्रह दिनों से लोगों ने उसे भीख भी देना छोड़ दिया था. जिससे अनाज के अभाव में उसके पति की भूख से मौत हो गई.
पीड़िता के अनुसार उसका और उसके पति का राशन कार्ड तक नहीं है. ऐसे में न तो डीलर खाद्यान्न योजना का लाभ उसे देता था और न ही मुखिया के माध्यम से उसके परिवार को किसी भी सरकारी योजना का लाभ अबतक मिला है. मृतक की पत्नी के अनुसार विगत दस दिनों से उसके घर पर चूल्हा नहीं जला है. हालांकि जब एक दिन पहले तंत्र की बेरुखी से घर में अनाज के अभाव की सूचना उसने मायके वालों को दी तो देर रात उसकी मां सब्जी और कुछ अनाज लेकर पहुंची थी, लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी था और झींगुर की मौत हो चुकी थी.
मामले में स्थानीय मुखिया और डीलर अपनी गलती को छुपाने के लिए घटना पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं. डीलर ने जहां परिजनों का नाम राशन कार्ड होने और नियमित अनाज वितरण करने की झूठी बात कही है. वहीं मुखिया ने विवादित बयान दिया है. स्थानीय मुखिया राजवंती देवी ने कहा कि जब कमाएगा नहीं तो खाएगा क्या? वो कमा नहीं पा रहा था तो उसे बताना चाहिए था कि मैं न तो कमा पा रहा हूं और न ही खा पा रहा हूं. तब मैं इनलोगों के लिए कुछ करती.
इधर, बड़ी-बड़ी बातें करने वाली मुखिया ने सरकारी योजना के तहत मिलने वाले खाद्यान्न योजना का भी लाभ यहां के गरीब परिवारों को अब तक नहीं दिया है. जबकि शख्स की भूस से मौत के बाद मामले पर पर्दा डालने और भूख से मौत को बीमारी से मौत के रूप में तब्दील करने की नीयत से मृतक के घर एक बोरी अनाज पहुंचा दिया, जो मीडिया के कैमरे में कैद हो गई.
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वहीं, इन सबों के बीच एक बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर किन परिस्थितियों में झींगुर और उसकी पत्नी को राशन कार्ड और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ अबतक नहीं मिला है. क्या यह गांव अबतक विकास से कोषों दूर है या फिर यहां बिचौलियागिरी हावी है. इस पूरे मामले को जिला प्रशासन कितनी गंभीरता से लेती है यह तो समय ही बताएगा, लेकिन अगर अधिकारियों ने जांच में थोड़ी भी लापरवाही बरती तो यहां बिचौलिए मामले को दूसरे रूप में जरूर बदला जा सकता है.