जमशेदपुर: करोड़ों रुपए की लागत से बन रहे दलमा वन्य आश्रयणी का संग्रहालय खंडहर में तब्दील हो चुका है. हाथियों की मूर्ति के साथ ही दीवार भी चटकने लगी हैं. सालों से बन रहे दलमा वन्य अभ्यारण में संग्रहालय का इतिहास अभी भी अधूरा है.
प्राकृतिक संसाधनों और खूबसूरती से भरपूर झारखंड की दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी पूर्वी सिंहभूम के सरायकेला-खरसावां और रांची से लेकर पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले से घिरा है. 193.22 वर्ग किलोमीटर में ऊंची-ऊंची पहाड़ियों, गुफाओं और घने पेड़ों से घिरे दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी शुरू से ही पर्यटकों की पहली पसंद रही है. दलमा घूमने आने वाले पर्यटक भी इसके इतिहास के बारे में अनजान हैं. अधूरे संग्रहालय को पर्टयक अभी भी देखने आ रहे हैं. वहीं, सालों पहले बनी हाथी की मूर्ति भी टूटने लगी है.
प्रबंधन की हीलाहवाली के चलते दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के संग्रहालय का भवन अब खंडहर जैसा लगने लगा है. इसके साथ ही भवन की दीवारें भी टूटने लगी हैं. दूसरी तरफ पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर दलमा सेंचुरी प्रबंधन की योजनाओं के साथ ही सुविधाओं को धरातल पर उतारा है. बीते साल सेंचुरी में करीब 37 हजार पर्यटक वादियों का आनंद लेने आए. उस दौरान भी दलमा वन्य अभ्यारण्य से अंजान पर्यटक दलमा के बारे में सचित्र जानने के लिए उत्सुक रहे. संग्रहालय बनने से वन्य जीव-जंतु के बारे में लोगों को जानकारी मिलती.
करोड़ों की लागत से बने संग्रहालय का काम अभी भी अधूरा है. अधिकारी इसकी सुध भी नहीं ले रहे हैं. घरों को बनाने में साहब देरी नहीं करते, लेकिन जैसे ही सरकारी भवनों की बात आती है सरकारी बाबू कुंभकर्णी नींद में सो जाते हैं.