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खंडहर बना करोड़ों की लागत से बना दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भवन, बेसुध है प्रबंधन

जमशेदपुर के पूर्वी सिंहभूम स्थित दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के संग्रहालय का भवन बेहद ही जर्जर हो गया है. हाथियों की मूर्ति के साथ ही दीवार भी चटकने लगी हैं. सालों से बन रहे दलमा वन्य अभ्यारण में संग्रहालय भवन अभी भी अधूरा है.

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Published : Aug 2, 2019, 7:41 PM IST

खंडहर बना करोड़ों की लागत से बना दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भवन

जमशेदपुर: करोड़ों रुपए की लागत से बन रहे दलमा वन्य आश्रयणी का संग्रहालय खंडहर में तब्दील हो चुका है. हाथियों की मूर्ति के साथ ही दीवार भी चटकने लगी हैं. सालों से बन रहे दलमा वन्य अभ्यारण में संग्रहालय का इतिहास अभी भी अधूरा है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

प्राकृतिक संसाधनों और खूबसूरती से भरपूर झारखंड की दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी पूर्वी सिंहभूम के सरायकेला-खरसावां और रांची से लेकर पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले से घिरा है. 193.22 वर्ग किलोमीटर में ऊंची-ऊंची पहाड़ियों, गुफाओं और घने पेड़ों से घिरे दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी शुरू से ही पर्यटकों की पहली पसंद रही है. दलमा घूमने आने वाले पर्यटक भी इसके इतिहास के बारे में अनजान हैं. अधूरे संग्रहालय को पर्टयक अभी भी देखने आ रहे हैं. वहीं, सालों पहले बनी हाथी की मूर्ति भी टूटने लगी है.

प्रबंधन की हीलाहवाली के चलते दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के संग्रहालय का भवन अब खंडहर जैसा लगने लगा है. इसके साथ ही भवन की दीवारें भी टूटने लगी हैं. दूसरी तरफ पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर दलमा सेंचुरी प्रबंधन की योजनाओं के साथ ही सुविधाओं को धरातल पर उतारा है. बीते साल सेंचुरी में करीब 37 हजार पर्यटक वादियों का आनंद लेने आए. उस दौरान भी दलमा वन्य अभ्यारण्य से अंजान पर्यटक दलमा के बारे में सचित्र जानने के लिए उत्सुक रहे. संग्रहालय बनने से वन्य जीव-जंतु के बारे में लोगों को जानकारी मिलती.

करोड़ों की लागत से बने संग्रहालय का काम अभी भी अधूरा है. अधिकारी इसकी सुध भी नहीं ले रहे हैं. घरों को बनाने में साहब देरी नहीं करते, लेकिन जैसे ही सरकारी भवनों की बात आती है सरकारी बाबू कुंभकर्णी नींद में सो जाते हैं.

जमशेदपुर: करोड़ों रुपए की लागत से बन रहे दलमा वन्य आश्रयणी का संग्रहालय खंडहर में तब्दील हो चुका है. हाथियों की मूर्ति के साथ ही दीवार भी चटकने लगी हैं. सालों से बन रहे दलमा वन्य अभ्यारण में संग्रहालय का इतिहास अभी भी अधूरा है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

प्राकृतिक संसाधनों और खूबसूरती से भरपूर झारखंड की दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी पूर्वी सिंहभूम के सरायकेला-खरसावां और रांची से लेकर पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले से घिरा है. 193.22 वर्ग किलोमीटर में ऊंची-ऊंची पहाड़ियों, गुफाओं और घने पेड़ों से घिरे दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी शुरू से ही पर्यटकों की पहली पसंद रही है. दलमा घूमने आने वाले पर्यटक भी इसके इतिहास के बारे में अनजान हैं. अधूरे संग्रहालय को पर्टयक अभी भी देखने आ रहे हैं. वहीं, सालों पहले बनी हाथी की मूर्ति भी टूटने लगी है.

प्रबंधन की हीलाहवाली के चलते दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के संग्रहालय का भवन अब खंडहर जैसा लगने लगा है. इसके साथ ही भवन की दीवारें भी टूटने लगी हैं. दूसरी तरफ पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर दलमा सेंचुरी प्रबंधन की योजनाओं के साथ ही सुविधाओं को धरातल पर उतारा है. बीते साल सेंचुरी में करीब 37 हजार पर्यटक वादियों का आनंद लेने आए. उस दौरान भी दलमा वन्य अभ्यारण्य से अंजान पर्यटक दलमा के बारे में सचित्र जानने के लिए उत्सुक रहे. संग्रहालय बनने से वन्य जीव-जंतु के बारे में लोगों को जानकारी मिलती.

करोड़ों की लागत से बने संग्रहालय का काम अभी भी अधूरा है. अधिकारी इसकी सुध भी नहीं ले रहे हैं. घरों को बनाने में साहब देरी नहीं करते, लेकिन जैसे ही सरकारी भवनों की बात आती है सरकारी बाबू कुंभकर्णी नींद में सो जाते हैं.

Intro:एंकर--करोड़ों रुपए की लागत से बन रहे दलमा वन्य आश्रयणी का संग्रहालय खंडहर में तब्दील हो चुका है.हांथीयों की मूर्ति के साथ-साथ दीवार भी चटकने लगी है.वर्षों से बन रहे दलमा वन्य अभ्यारण में संग्रहालय का इतिहास अभी भी अधूरा है.पेश है एक रिपोर्ट।ईटीवी भारत की टीम ने सरकारी महलों को जाना.देखिए ग्राउंड रिपोर्ट।


Body:वीओ1-- प्राकृतिक संसाधनों और खूबसूरती से भरपूर झारखंड के दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी पूर्वी सिंहभूम जिला,सरायकेला-खरसावां जिला और रांची जिले से लेकर पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिला से घिरा है 193.22(एक सौ तिरानवे दशमलव बाइस वर्ग किलोमीटर में ऊँची-ऊँची पहाड़ों गुफाओं और घने वृक्षों से आच्छादित दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी शुरू से ही पर्यटकों की पहली पसंद रही है। हाल के दिनों में दलमा घूम रहे पर्यटक भी दलमा के इतिहास के बारे में अनजान है.अधूरे संग्रहालय के लोग अभी भी देखने आ रहे हैं.वहीं वर्षों पहले बनी हाँथी की तस्वीर भी टूटने लगी है.खंडहर भवन के साथ-साथ दीवारें भी टूटने लगी है।तीन साल पहले जैसा इसका रूप था आज भी यह वैसा ही हैं.यह खंडहर बन चुका है.इसके बनने स दलमा के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती।
बाइट--किशोर(पर्यटक)
वीओ2-- दूसरी तरफ पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर दलमा सेंचुरी प्रबंधन की योजनाओं के साथ-साथ सुविधाओं को धरातल पर उतारी है।बीते वर्ष सेंचुरी में 37हज़ार पर्यटक वादी का आनंद उठाने आए थे तब पर भी दलमा वन्य सेंचुरी से अनजान पर्यटक दलमा के बारे में सचित्र जानने के लिए उत्सुक हैं।संग्रहालय बनने से वन्य, जीव,जंतु के बारे में जानकारी मिलती.उनका इतिहास जानवरों के व्यवहार के बारे में लोगों को पता चल पाता लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया है.
बाइट--चंद्र मौली प्रसाद सिन्हा( दलमा डीएफओ०)



Conclusion:करोड़ों की लागत से बने संग्रहालय का काम अभी भी अधूरा है.अधिकारि इसकी सुध भी नहीं ले रहे हैं।घरों को बनाने में साहब देरी नहीं करते लेकिन जैसे हीं सरकारी भवनों की बात आती है सरकारी बाबू नींद में हो जाते हैं.तभी तो करोड़ों रुपए की लागत से बन रही दलमा संग्रहालय बेकार पड़े हुए हैं।यह सरकारी महकमा की विफलता ही साबित करता है।
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