ETV Bharat / city

प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस नहीं भर पा रहे लोग! अब सरकारी स्कूलों का कर रहे रुख - अभिभावकों को पसंद आ रहे सरकारी स्कूल

आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके मध्यम परिवारों के लिए फिलहाल सबसे बड़ी परेशानी उनके बच्चों की पढ़ाई निजी स्कूलों में जारी रखना है. ऐसे परिवार के लोग कई जतन कर रहे हैं कि उनके बच्चों का सत्र भी लेट ना हो और स्कूलों में नामांकन भी बरकरार रहे. हालांकि निजी स्कूल ऐसे अभिभावकों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. उनपर मनमाने ढंग से फीस वसूलने के आरोप अब भी लग रहे हैं.

due to income issues parents shifting their kids government school
due to income issues parents shifting their kids government school
author img

By

Published : Jul 3, 2021, 9:16 PM IST

Updated : Jul 3, 2021, 10:18 PM IST

रांची: कोरोना ने कई लोगों की जान ले ली, कई परिवारों को तबाह कर दिया है. लोग अभी भी इस से उभर नहीं पा रहे हैं. उद्योग धंधे चौपट हो चुके हैं. मध्यम वर्गीय हजारों परिवारों की स्थिति दयनीय हो चुकी है. सोर्स ऑफ इनकम ना के बराबर है और ऊपर से बच्चों के भविष्य और उनके पढ़ाई की चिंता ने ऐसे अभिभावकों को हलकान और परेशान कर दिया है. निजी स्कूलों से अभिभावक इतने परेशान हैं कि उनके पास केवल दो ही रास्ते बचे हैं या तो वे अपने बच्चों का नाम स्कूल से कटवाकर घर बिठा दें या फिर सरकारी स्कूलों की ओर रुख करें.

ये भी पढ़ें: एकलव्य विद्यालयों में तीरंदाजी अनिवार्य, अर्जुन मुंडा शनिवार को 5 नए एकलव्य विद्यालयों की रखेंगे आधारशिला

बेरोजगारी दर बढ़ी
इस मामले को लेकर हमारी टीम में राजधानी रांची के अभिभावकों से भी बातचीत की है और पूरी वस्तुस्थिति जानने की कोशिश की है. जिस तरह की रिपोर्ट आ रही है उसमें कहा जा रहा है कि मई में बेरोजगारी दर 12 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई जो एक साल में सबसे ज्यादा है. शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ी है. उनके सोर्स ऑफ इनकम पूरी तरह कोलैप्स हो चुके हैं. ऐसे लोग बच्चों के नामांकन, उनपर होने वाली पढ़ाई का खर्च, स्कूल फीस और निजी स्कूलों की ओर से रीएडमिशन जैसे चार्ज लिए जाने से और भी ज्यादा परेशान हैं. आलम ये है कि अब आम आदमी को प्राइवेट स्कूलों की महंगी शिक्षा की जगह सरकारी स्कूलों में मिलने वाली मुफ्त शिक्षा पसंद आ रही है.

देखें पूरी खबर

राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत नहीं है ठीक

राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत अभिभावकों के उम्मीद के मुताबिक नहीं है इससे इन स्कूलों में वे अपने बच्चों का नामांकन करवाने में हिचक रहे हैं. खासकर मध्यम वर्गीय परिवार से जुड़े अभिभावक ना तो प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ा पाने में समर्थ हो रहे हैं और ना ही सरकारी स्कूलों की ओर जा पा रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण हालात और हालत ऐसी हो गई है कि अब इनके सामने कोई विकल्प ही नहीं है. कोरोना काल में एक ओर जहां लोगों की आमदनी घटी, वहीं ऑनलाइन शिक्षा पर लोगों का भरोसा भी नहीं है. हालांकि, जानकारी के मुताबिक ऐसे कई अभिभावक हैं जिन्होंने अपने बच्चों को निजी स्कूलों से ड्रॉपआउट करकर घर में बिठा कर रखा है. किसी तरह उनकी घर में ही पढ़ाई हो रही है. वहीं, सेशन लेट न हो, पढ़ाई जारी रहे इसे देखते हुए उन्होंने सरकारी स्कूलों में नामांकन करवा दिया है और ऑनलाइन क्लासेस का लाभ ले रहे हैं.

due to income issues parents shifting their kids government schoo
परीक्षा देते बच्चे


ये भी पढ़ें: निजी स्कूल ट्यूशन फीस मामलाः अब गेंद शिक्षा विभाग के पाले में, डीसी का अपने आदेश पर U-Turn

आर्थिक स्थिति दयनीय
अभिभावकों का कहना है कि आर्थिक तंगी के कारण फिलहाल 2 जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई और अन्य मदों में खर्च होने वाले खर्च को कैसे वहन करेंगे. यह दुविधा का विषय है. पूरी तरह बर्बाद हुए परिवारों के लिए यह विकट परिस्थिति पीड़ादायक है.

due to income issues parents shifting their kids government schoo
स्कूल के बाहर अभिभावक

रांची: कोरोना ने कई लोगों की जान ले ली, कई परिवारों को तबाह कर दिया है. लोग अभी भी इस से उभर नहीं पा रहे हैं. उद्योग धंधे चौपट हो चुके हैं. मध्यम वर्गीय हजारों परिवारों की स्थिति दयनीय हो चुकी है. सोर्स ऑफ इनकम ना के बराबर है और ऊपर से बच्चों के भविष्य और उनके पढ़ाई की चिंता ने ऐसे अभिभावकों को हलकान और परेशान कर दिया है. निजी स्कूलों से अभिभावक इतने परेशान हैं कि उनके पास केवल दो ही रास्ते बचे हैं या तो वे अपने बच्चों का नाम स्कूल से कटवाकर घर बिठा दें या फिर सरकारी स्कूलों की ओर रुख करें.

ये भी पढ़ें: एकलव्य विद्यालयों में तीरंदाजी अनिवार्य, अर्जुन मुंडा शनिवार को 5 नए एकलव्य विद्यालयों की रखेंगे आधारशिला

बेरोजगारी दर बढ़ी
इस मामले को लेकर हमारी टीम में राजधानी रांची के अभिभावकों से भी बातचीत की है और पूरी वस्तुस्थिति जानने की कोशिश की है. जिस तरह की रिपोर्ट आ रही है उसमें कहा जा रहा है कि मई में बेरोजगारी दर 12 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई जो एक साल में सबसे ज्यादा है. शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ी है. उनके सोर्स ऑफ इनकम पूरी तरह कोलैप्स हो चुके हैं. ऐसे लोग बच्चों के नामांकन, उनपर होने वाली पढ़ाई का खर्च, स्कूल फीस और निजी स्कूलों की ओर से रीएडमिशन जैसे चार्ज लिए जाने से और भी ज्यादा परेशान हैं. आलम ये है कि अब आम आदमी को प्राइवेट स्कूलों की महंगी शिक्षा की जगह सरकारी स्कूलों में मिलने वाली मुफ्त शिक्षा पसंद आ रही है.

देखें पूरी खबर

राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत नहीं है ठीक

राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत अभिभावकों के उम्मीद के मुताबिक नहीं है इससे इन स्कूलों में वे अपने बच्चों का नामांकन करवाने में हिचक रहे हैं. खासकर मध्यम वर्गीय परिवार से जुड़े अभिभावक ना तो प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ा पाने में समर्थ हो रहे हैं और ना ही सरकारी स्कूलों की ओर जा पा रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण हालात और हालत ऐसी हो गई है कि अब इनके सामने कोई विकल्प ही नहीं है. कोरोना काल में एक ओर जहां लोगों की आमदनी घटी, वहीं ऑनलाइन शिक्षा पर लोगों का भरोसा भी नहीं है. हालांकि, जानकारी के मुताबिक ऐसे कई अभिभावक हैं जिन्होंने अपने बच्चों को निजी स्कूलों से ड्रॉपआउट करकर घर में बिठा कर रखा है. किसी तरह उनकी घर में ही पढ़ाई हो रही है. वहीं, सेशन लेट न हो, पढ़ाई जारी रहे इसे देखते हुए उन्होंने सरकारी स्कूलों में नामांकन करवा दिया है और ऑनलाइन क्लासेस का लाभ ले रहे हैं.

due to income issues parents shifting their kids government schoo
परीक्षा देते बच्चे


ये भी पढ़ें: निजी स्कूल ट्यूशन फीस मामलाः अब गेंद शिक्षा विभाग के पाले में, डीसी का अपने आदेश पर U-Turn

आर्थिक स्थिति दयनीय
अभिभावकों का कहना है कि आर्थिक तंगी के कारण फिलहाल 2 जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई और अन्य मदों में खर्च होने वाले खर्च को कैसे वहन करेंगे. यह दुविधा का विषय है. पूरी तरह बर्बाद हुए परिवारों के लिए यह विकट परिस्थिति पीड़ादायक है.

due to income issues parents shifting their kids government schoo
स्कूल के बाहर अभिभावक
Last Updated : Jul 3, 2021, 10:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.