रांचीः झारखंड में कोरोना पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य कर्मी सैंपल जांच, टीकाकरण से लेकर कोरोना मरीजों के इलाज तक में लगे हैं. सुबह से लेकर शाम तक काम में लगे कोरोना योद्धाओं के लिए सरकार ने नाश्ता से लेकर भोजन तक की व्यवस्था की है. शुरुआत में इनको बढ़िया भोजन भी दिया जा रहा था पर अब आरोप यह है कि यहां का खाना खाने लायक भी नहीं रहता.
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नामकुम के आयुष निदेशालय टीकाकरण केंद्र पर वैक्सीनेटर की काम करने वाली साबरा दुखी मन से कहती हैं कि यह खाना खाने के लायक नहीं है. यहां पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी प्रिया कहती हैं कि वह घर से ही खाना बनाकर लाती हैं. यहां मिलने वाले भोजन के बारे में वो कहती हैं कि यहां का खाना बिल्कुल अच्छा नहीं है, यहां की दाल बिल्कुल माड़ जैसा जम जाता है.
कार्रवाई का डर
राजधानी के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थान में हेल्थ स्टाफ अपने काम में लगे हैं. लेकिन उनको बढ़िया और पौष्टिक भोजन ना मिलने का मलाल है. कैमरा बंद होने पर बातचीत में उन्होंने घटिया भोजन के संबंध में खुलकर बात की. लेकिन ऑन द रिकॉर्ड कार्रवाई के डर से उन्होंने कुछ भी नहीं कहा. वो अपना काम तो कर ही रही हैं, पर घटिया भोजन मिलने की शिकायत पर उनको कार्रवाई का डर है. इसलिए उन्होंने कैमरे के सामने खुलकर कोई बात नहीं की.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
रांची सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार से कोरोना वॉरियर्स को घटिया भोजन मिलने पर सवाल किया गया. इसको लेकर सिविल सर्जन ने कहा कि इसकी जानकारी मुझे नहीं थी, वह खुद खाने की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों की जांच करेंगे. साथ ही मामले को लेकर वो जांच करने का भी आश्वासन दिया.
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कोरोना वॉरियर्स के भोजन पर हर दिन कितना खर्च करती है सरकार
मिली जानकारी के अनुसार ग्लोबल टेंडर के माध्यम से राहुल इंटरप्राइजेज को भोजन उपलब्ध कराने का जिम्मा मिला था. जिसके अनुसार नाश्ता के लिए 38 रुपया, दोपहर का भोजन के लिए 60 रुपया, रात का खाना के लिए 45 रुपाय और पानी का प्रति बोतल 7.86 रुपये निर्धारित है. लेकिन सवाल यह है कि ग्लोबल टेंडर में आई कंपनी अब नियमानुसार भोजन उपलब्ध कराने में कोताही क्यों बरत रही है.