रांची: कोरोना के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में सरकार 3T यानि ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर जोर देती रही है. टेस्टिंग को कोरोना के खिलाफ मजबूत हथियार समझते हुए राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में ट्रू नेट मशीन की खरीदारी कोरोना काल में थी. इसके अलावा कई मशीन सीएसआर के तहत सरकार को मिली थी. लेकिन पिछले 15-20 दिनों से कोरोना की जांच करने वाली ट्रू नेट मशीन पूरे राज्य में शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. डुप्लेक्स टेस्टिंग किट के अभाव में ट्रू नेट मशीन से कोरोना सैंपल की जांच बंद है.
राज्य में 298 ट्रू नेट मशीन
राज्यभर में ट्रू नेट मशीन की संख्या 298 के करीब है और सबके सब बंद हैं. कोरोना जांच के लिए जो किट इस मशीन में लगती है वह 20 दिन पहले ही खत्म हो गई है. फिलहाल नई किट आई नहीं है.
कुछ महीने पहले तक ट्रू नेट मशीन की गंभीरता से खरीददारी कर रही थी सरकार
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब करीब 08 से 12 लाख रुपये प्रति मशीन की खरीदारी के लिए स्वास्थ्य महकमा काफी गंभीर दिख रहा था. बड़ी संख्या में ट्रू नेट मशीन की खरीददारी कर जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक अस्पताल तक मशीन भेजी भी गई. लेकिन अब किट के अभाव में सभी के सभी ट्रू नेट मशीनें बंद हैं.
ट्रू नेट जांच बंद होने का दिखने लगा असर
कोरोना जांच के साप्ताहिक आंकड़े बताते हैं कि महीने की शुरुआती सप्ताह में जितने सैंपल की जांच हुई थी वह 20-26 सितंबक वाले सप्ताह में करीब 1 लाख 20 हजार कम हो गई है.
30 अगस्त से 05 सितंबर वाले हफ्ते में कुल 04 लाख 29 हजार 759 सैंपल की कोरोना जांच हुई थी, जो 20-26 सितंबर वाले हफ्ते में घटकर 03 लाख 09 हजार 744 रह गई है.
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टीबी जांच का भी किट नहीं
राज्य में इन दिनों टीबी संक्रमितों की पहचान के लिए डोर-टू-डोर टीबी डिटेक्शन कैंपेन चल रहा है. लेकिन हैरत की बात यह है कि संदिग्ध की पहचान कर उनका सैंपल तो लिया जा रहा है पर अत्याधुनिक ट्रू नेट मशीन से टीबी जांच नहीं हो रही है. क्योंकि उसका भी किट उपलब्ध नहीं है. रांची के जिला टीबी अधिकारी डॉ सव्यसाची मंडल कहते हैं कि किट के अभाव में टीबी जांच नहीं हो रही है. इसलिए टीबी डिटेक्शन कैंपेन में जो सैंपल आ रहे हैं उन्हें सुरक्षित रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई लोगों की टीबी जांच परंपरागत तरीके से की जा रही है. वहीं, रांची सदर अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग के हेड डॉ विमलेश सिंह ने कहा कि उनके यहां हर दिन 200 लोगों की कोरोना जांच ट्रू नेट मशीन से होती थी जो अब बंद है.
किसे हो रही सबसे ज्यादा परेशानी
ट्रू नेट मशीन से कोरोना जांच का फायदा सबसे ज्यादा तब होता था जब कोई गर्भवती महिला अस्पताल पहुंचती थी या किसी को डायलिसिस कराना या फिर तुरंत सर्जरी कराना होता था. ऐसे में एक से डेढ़ घंटे में कोरोना की रिपोर्ट आ जाती थी. जिसके बाद बाद डॉक्टर बेफिक्र होकर मरीज का इलाज करते थे. अपराधियों को जेल भेजने से पहले भी कोरोना की जांच में इसकी उपयोगिता थी.
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सिविल सर्जन को RAT टेस्ट पर ज्यादा भरोसा क्यों
रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने माना कि किट खत्म हो जाने के बाद से ट्रू नेट से जांच बंद है. पर उन्होंने मोबाइल टेस्टिंग वैन और रैपिड एंटीजेन किट टेस्ट (RAT) का हवाला देते हुए कहा कि कोई परेशानी नहीं है. लेकिन सवाल यह है कि जब RAT की रिपोर्ट में गड़बड़ी की सबसे ज्यादा संभावना होती है तो उस पर इतना भरोसा क्यों?
3.15 लाख किट खरीद के लिए प्रक्रिया शुरू
IDSP के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में ट्रू नेट मशीन से कोरोना सैंपल टेस्ट के लिए करीब 3.15 लाख किट खरीद की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया है.