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Delta Plus Variant: देश में डेल्टा प्लस के संक्रमित मिलने पर केंद्र सरकार का अलर्ट, राज्यों को दिए निर्देश - central government alert for corona

भारत सरकार ने डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) का संक्रमित मिलने के बाद सभी राज्यों में अलर्ट जारी किया है. केंद्र सरकार ने राज्यों में टीकाकरण में तेजी लाने और जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.

central government issued alert
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Published : Jun 24, 2021, 12:56 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 1:51 PM IST

रांची: देश के कई हिस्सों में डेल्टा प्लस के संक्रमित मिलने के बाद भारत सरकार ने झारखंड सहित सभी राज्यों को अलर्ट किया है. राज्यों को लिखे पत्र में केंद्र सरकार ने नॉवेल कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant of corona) को लेकर सतर्क रहने, जांच का दायरा बढ़ाने और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के साथ-साथ टीकाकरण में और तेजी लाने को कहा है.

ये भी पढ़ें-आइसबर्ग की तरह कोरोना संक्रमण का डेल्टा वेरिएंट, लोगों को सावधान रहने की जरूरतः डॉ. जॉन एफ कैनेडी

झारखंड के लिए सतर्कता क्यों जरूरी

झारखंड में अभी भले ही एक भी कोरोना संक्रमित डेल्टा प्लस वेरिएंट का मरीज नहीं मिला है पर पिछले दिनों सीरो सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार 364 सैम्पल में से 204 डेल्टा वेरिएंट जैसे लक्षण मिले थे.

क्या है सीरो सर्वे

सीरो सर्वे (Sero Survey) के जरिए व्यक्ति के शरीर में खास संक्रमण के खिलाफ बनने वाले एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है. इसकी जांच सेरोलॉजी टेस्ट के जरिये ब्लड सैंपल लेकर की जाती है. जानकारी के मुताबिक जब भी कोई वायरस व्यक्ति के शरीर में आता है, तो शरीर का इम्यून सिस्टम उस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है. ये एंटीबॉडी करीब एक महीने तक ब्लड में रहती है. इसका सीधा-सा मतलब है कि अगर व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी बनी है तो व्यक्ति वायरस से इन्फेक्ट हुआ था.

झारखंड में जीनोम सिक्वेंसिंग की व्यवस्था नहीं

झारखंड में वायरस में हो रहे बदलाव की टेस्ट के लिए होल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए कोई लैब नहीं है. ऐसे में हर जिले से सैंपल ILS भुवनेश्वर भेजा जाता है, जहां से रिपोर्ट आने में वक्त लगता है. झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राज्य में WGS की जांच के लिए लैब खोलने की मांग की है.

ये भी पढ़ें-न्यू वैरिएंट की एंट्री: कितना खतरनाक होगा कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस म्यूटेशन, जानिए डॉक्टर्स की राय

कितना खतरनाक है डेल्टा प्लस वेरिएंट

SARS-2-cov19 के स्ट्रेन में बदलाव के बाद डेल्टा वेरिएंट ने दूसरी लहर में तबाही मचाई थी,अब उसमें भी बदलाव हो गया है जो डेल्टा प्लस के नाम से जाना जा रहा है और कई राज्यों में इसके संक्रमण के शिकार लोग मिल चुके हैं.

क्या कहा NHM झारखंड के IEC अधिकारी ने

डेल्टा प्लस को लेकर केंद्र से आई चिट्ठी को लेकर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि पत्र में झारखंड के लिए विशेष रूप से कुछ नहीं है. बावजूद इसके देश के अन्य हिस्सों में डेल्टा प्लस के केस मिलने की वजह से राज्य खुद से सतर्क है और अपना पूरा ध्यान टेस्टिंग, ट्रेसिंग और वैक्सीनेशन पर लगा रखा है.

मुख्यमंत्री ने भी की लोगों से सतर्क रहने की अपील

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी लोगों से अपील की है कि कोरोना के केस कम होने के बावजूद अभी खतरा कम नहीं हुआ है, इसलिए कोई लापरवाही नहीं बरतते हुए कोरोना गाइडलाइन के अनुरूप व्यवहार करें. सीएम ने लोगों से मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की है.

रांची: देश के कई हिस्सों में डेल्टा प्लस के संक्रमित मिलने के बाद भारत सरकार ने झारखंड सहित सभी राज्यों को अलर्ट किया है. राज्यों को लिखे पत्र में केंद्र सरकार ने नॉवेल कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant of corona) को लेकर सतर्क रहने, जांच का दायरा बढ़ाने और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के साथ-साथ टीकाकरण में और तेजी लाने को कहा है.

ये भी पढ़ें-आइसबर्ग की तरह कोरोना संक्रमण का डेल्टा वेरिएंट, लोगों को सावधान रहने की जरूरतः डॉ. जॉन एफ कैनेडी

झारखंड के लिए सतर्कता क्यों जरूरी

झारखंड में अभी भले ही एक भी कोरोना संक्रमित डेल्टा प्लस वेरिएंट का मरीज नहीं मिला है पर पिछले दिनों सीरो सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार 364 सैम्पल में से 204 डेल्टा वेरिएंट जैसे लक्षण मिले थे.

क्या है सीरो सर्वे

सीरो सर्वे (Sero Survey) के जरिए व्यक्ति के शरीर में खास संक्रमण के खिलाफ बनने वाले एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है. इसकी जांच सेरोलॉजी टेस्ट के जरिये ब्लड सैंपल लेकर की जाती है. जानकारी के मुताबिक जब भी कोई वायरस व्यक्ति के शरीर में आता है, तो शरीर का इम्यून सिस्टम उस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है. ये एंटीबॉडी करीब एक महीने तक ब्लड में रहती है. इसका सीधा-सा मतलब है कि अगर व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी बनी है तो व्यक्ति वायरस से इन्फेक्ट हुआ था.

झारखंड में जीनोम सिक्वेंसिंग की व्यवस्था नहीं

झारखंड में वायरस में हो रहे बदलाव की टेस्ट के लिए होल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए कोई लैब नहीं है. ऐसे में हर जिले से सैंपल ILS भुवनेश्वर भेजा जाता है, जहां से रिपोर्ट आने में वक्त लगता है. झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राज्य में WGS की जांच के लिए लैब खोलने की मांग की है.

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कितना खतरनाक है डेल्टा प्लस वेरिएंट

SARS-2-cov19 के स्ट्रेन में बदलाव के बाद डेल्टा वेरिएंट ने दूसरी लहर में तबाही मचाई थी,अब उसमें भी बदलाव हो गया है जो डेल्टा प्लस के नाम से जाना जा रहा है और कई राज्यों में इसके संक्रमण के शिकार लोग मिल चुके हैं.

क्या कहा NHM झारखंड के IEC अधिकारी ने

डेल्टा प्लस को लेकर केंद्र से आई चिट्ठी को लेकर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि पत्र में झारखंड के लिए विशेष रूप से कुछ नहीं है. बावजूद इसके देश के अन्य हिस्सों में डेल्टा प्लस के केस मिलने की वजह से राज्य खुद से सतर्क है और अपना पूरा ध्यान टेस्टिंग, ट्रेसिंग और वैक्सीनेशन पर लगा रखा है.

मुख्यमंत्री ने भी की लोगों से सतर्क रहने की अपील

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी लोगों से अपील की है कि कोरोना के केस कम होने के बावजूद अभी खतरा कम नहीं हुआ है, इसलिए कोई लापरवाही नहीं बरतते हुए कोरोना गाइडलाइन के अनुरूप व्यवहार करें. सीएम ने लोगों से मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की है.

Last Updated : Jun 24, 2021, 1:51 PM IST
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