रांचीः झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने एक पत्र जारी कर प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद और प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ के जारी किए गए डिग्री को मान्यता देने से इनकार कर दिया है. इसके बाद से झारखंड के कला प्रेमियों में आक्रोश है और सरकार के इस फैसले को गलत बताया गया है. कला जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि झारखंड में 90 फीसदी इस क्षेत्र से जुड़े लोग इन्हीं दो विश्वविद्यालयों के डिग्रीधारी है. ऐसे कैसे राज्य सरकार इन दोनों विश्वविद्यालयों को फर्जी करार दे सकती है.
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28 मई 2020 को राज्य सरकार के साक्षरता विभाग माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने एक चिट्ठी निकाली है. उस चिट्ठी में कहा गया है कि प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद और प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ के जारी किए जा रहे डिग्री को राज्य सरकार मान्यता नहीं देगी. यहां तक कि इन दोनों विश्वविद्यालयों से जारी किए जा रहे डिग्रियों को फर्जी बताया गया है. अब सरकार के शिक्षा विभाग के जारी किए गए इस पत्र के बाद झारखंड के कला क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है.
दोनों विश्वविद्यालयों की डिग्री को बताया फर्जी
कला क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि झारखंड में शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन 2016 में निकाला गया था. जिसमें संगीत शिक्षक की बहाली भी शामिल है. इस नियुक्ति में आवेदन देने वाले इन दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों की डिग्री को फर्जी बताया गया है. जबकि प्रयागराज संगीत समिति की स्थापना 1926 में हुई है और प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ की स्थापना 1956 में हुई है. यहां से अब तक लाखों की संख्या में विद्यार्थी उतीर्ण हुए हैं और उन्हें डिग्रियां दी गई है. जो भारतवर्ष में विभिन्न विश्वविद्यालयों में संगीत के क्षेत्र में नौकरी भी कर रहे हैं. यहां तक कि झारखंड में भी कई शैक्षणिक संस्थानों में सेवा दे रहे शिक्षक भी इन्हीं दोनों संस्थानों से पास आउट है और अब शिक्षक बहाली में इन्हीं संस्थानों से पास आउट विद्यार्थियों के आवेदनों को डिग्री के आधार पर रद्द कर दिया गया है.
पंडित सतीश शर्मा ने इस निर्णय को बताया गलत
झारखंड के प्रसिद्ध संगीत के गुरु पंडित सतीश शर्मा कहते हैं झारखंड सरकार की क्या मंशा है यह समझना मुश्किल है. लेकिन झारखंड के विद्यार्थियों के साथ विभाग खिलवाड़ जरूर कर रहा है. इनकी मानें तो प्रयाग संगीत समिति और प्राचीन कला केंद्र के डिग्रियों के आधार पर झारखंड सरकार ने 2008 और 2012 में संगीत शिक्षक की बहाली की है. इसके साथ-साथ 2012 के गजट में प्रयाग संगीत समिति और प्राचीन कला केंद्र को भी शामिल किया गया है.
कला क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि झारखंड के विश्वविद्यालयों में संचालित कई संस्थानों में इन्हीं विश्वविद्यालय के डिग्री धारी शिक्षक संगीत के शिक्षक है और ऐसे में सरकार का इन दोनों विश्वविद्यालयों को फर्जी करार दे देना कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है. मामले को लेकर सरकार के शिक्षा विभाग और मुख्यमंत्री को गहन विचार विमर्श करने की जरूरत है.