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राजभवन के पास नक्सली पोस्टर चिपकाने पर राजनीति तेज, कांग्रेस ने कहा- बीजेपी की हो सकती है साजिश

राजभवन के पास नक्सली पोस्टर चिपकाए जाने की घटना ने अब राजनीतिक रूप ले लिया है. एक तरफ जहां रघुवर दास ने आरोप लगाया है कि नक्सलियों का सीएम के साथ सांठगांठ है तो वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि ये भी हो सकता है कि ये पोस्टर बीजेपी के लोगों ने लगाया है. ये जांच के बाद ही साफ हो पाएगा.

Naxalite poster case near Raj Bhavan
कांग्रेस मुख्यालय रांची
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Published : Dec 15, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 8:03 PM IST

रांची: राजधानी रांची के रातू रोड चौराहे और राजभवन के पास दीवार पर मंगलवार को नक्सली पोस्टर चिपकाए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. ऐसे में अब सवाल ये उठने लगा है कि क्या हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में नक्सली राजधानी में भी घुस आए हैं. इसे लेकर विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर हमलावर हैं. तो वहीं, सत्ताधारी दल कांग्रेस ने आशंका जाहिर की है कि सरकार और प्रशासन को बदनाम करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के लोगों का भी इसमें हाथ हो सकता है. ये जांच के बाद साफ हो पाएगा.

आलोक कुमार दुबे, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस


कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि राजभवन के पास किसने पोस्टर चिपकाया, यह जांच का विषय है. इसमें शरारती तत्वों के अलावा भाजपा के लोगों का भी हाथ हो सकता है. क्योंकि इसके जरिए हेमंत सरकार और प्रशासन को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. अगर वे ऐसे कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री से नक्सलियों की सांठगांठ है तो यह बहुत ही गंभीर बात है. उन्होंने कहा कि पूरी की पूरी केंद्र की संस्थाएं उनके हाथ में हैं, लेकिन इस तरह का आरोप कर राजनीति करना उचित नहीं है. इसका ध्यान रखना चाहिए और प्रशासन को जांच के लिए समय दिया जाना चाहिए. अगर घटनाएं घटती है तो राज्य के पुलिस कप्तान पर विश्वास रखते हुए समय दिया जाना चाहिए. क्योंकि लगातार पुलिस कप्तान के द्वारा नक्सली घटनाओं पर विराम लगाने का प्रयास किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: अग्रवाल बंधु हत्याकांड की मिस्ट्री सुलझाएगी अरगोड़ा पुलिस, कोर्ट से मिली 3 दिनों की रिमांड

किसी संगठन ने नहीं ली है जिम्मेदारी

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि पिछले 9 महीने के कोरोना काल के दौरान कोई भी बड़ी नक्सली वारदात नहीं हुई है. जबकि भाजपा के पिछले 5 साल के शासनकाल में नक्सलियों की बड़ी गतिविधियां रही हैं. उन्होंने कहा कि नक्सलियों के पोस्टर चिपकाने को लेकर किसी संगठन ने जिम्मेदारी अब तक नहीं ली है. इसलिए जांच के बाद ही सब कुछ साफ हो पाएगा. उन्होंने कहा कि नक्सली घटना हो या कोई भी आपराधिक घटना हो. इसको लेकर लीपापोती नहीं की जाती है. बल्कि उसका उद्भेदन किया जाता है, लेकिन इस प्रकार का अनर्गल और घटिया बयानबाजी एक पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा देना कहीं से शोभा नहीं देता है.

रांची: राजधानी रांची के रातू रोड चौराहे और राजभवन के पास दीवार पर मंगलवार को नक्सली पोस्टर चिपकाए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. ऐसे में अब सवाल ये उठने लगा है कि क्या हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में नक्सली राजधानी में भी घुस आए हैं. इसे लेकर विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर हमलावर हैं. तो वहीं, सत्ताधारी दल कांग्रेस ने आशंका जाहिर की है कि सरकार और प्रशासन को बदनाम करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के लोगों का भी इसमें हाथ हो सकता है. ये जांच के बाद साफ हो पाएगा.

आलोक कुमार दुबे, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस


कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि राजभवन के पास किसने पोस्टर चिपकाया, यह जांच का विषय है. इसमें शरारती तत्वों के अलावा भाजपा के लोगों का भी हाथ हो सकता है. क्योंकि इसके जरिए हेमंत सरकार और प्रशासन को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. अगर वे ऐसे कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री से नक्सलियों की सांठगांठ है तो यह बहुत ही गंभीर बात है. उन्होंने कहा कि पूरी की पूरी केंद्र की संस्थाएं उनके हाथ में हैं, लेकिन इस तरह का आरोप कर राजनीति करना उचित नहीं है. इसका ध्यान रखना चाहिए और प्रशासन को जांच के लिए समय दिया जाना चाहिए. अगर घटनाएं घटती है तो राज्य के पुलिस कप्तान पर विश्वास रखते हुए समय दिया जाना चाहिए. क्योंकि लगातार पुलिस कप्तान के द्वारा नक्सली घटनाओं पर विराम लगाने का प्रयास किया जा रहा है.

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किसी संगठन ने नहीं ली है जिम्मेदारी

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि पिछले 9 महीने के कोरोना काल के दौरान कोई भी बड़ी नक्सली वारदात नहीं हुई है. जबकि भाजपा के पिछले 5 साल के शासनकाल में नक्सलियों की बड़ी गतिविधियां रही हैं. उन्होंने कहा कि नक्सलियों के पोस्टर चिपकाने को लेकर किसी संगठन ने जिम्मेदारी अब तक नहीं ली है. इसलिए जांच के बाद ही सब कुछ साफ हो पाएगा. उन्होंने कहा कि नक्सली घटना हो या कोई भी आपराधिक घटना हो. इसको लेकर लीपापोती नहीं की जाती है. बल्कि उसका उद्भेदन किया जाता है, लेकिन इस प्रकार का अनर्गल और घटिया बयानबाजी एक पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा देना कहीं से शोभा नहीं देता है.

Last Updated : Dec 15, 2020, 8:03 PM IST
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