रांची: झारखंड में एक बार फिर विधानसभा का मानसून सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के शुरू हो गया है. एक तरफ मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी लगातार बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की जिद पर अड़ी है और विधानसभा अध्यक्ष से मांग कर रही है. तो वहीं सत्ताधारी दल कांग्रेस का मानना है कि बीजेपी में निष्ठावान नेताओं की कमी नहीं है, उन्हें बाबूलाल की जिद छोड़ दूसरे नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर विचार करना चाहिए.
बीजेपी चाहे बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की जिद पर अड़ी है. लेकिन विधानसभा किसे नेता प्रतिपक्ष मानता है, यह सबसे बड़ी बात है. फिलहाल विधानसभा ने बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्दलीय माना है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि ये सदस्य किस राजनीतिक पार्टी के हैं. इस पर जबतक मुहर नहीं लगती तब तक नेता प्रतिपक्ष पर निर्णय होना असंभव है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को जिद छोड़ देनी चाहिए और सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा जैसे निष्ठावान नेताओं को नेता प्रतिपक्ष के लिए आगे करना चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्ष में नेता की जरूरत होती है. उस पर जल्द निर्णय लेना चाहिए ताकि राज्य में जब सदन चले तो प्रतिपक्ष का नेता मजबूती से अपनी बातों को रख सके.
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वहीं नेता प्रतिपक्ष के मामले पर फैसले से पहले विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. लेकिन तीनों विधायकों ने फिलहाल समय लिया है, ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा है कि बीजेपी सिर्फ बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर तुली हुई है. जबकि उन्हें जनता के हित में बात करनी चाहिए और सार्थक बहस होनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष का मसला सामने रखकर बीजेपी मुख्य मुद्दों से भटकाने का काम कर रही है.
बहरहाल विधानसभा सत्र में सरकार को आईना दिखाने के लिए नेता प्रतिपक्ष का होना सबसे अहम है. लेकिन झारखंड ऐसा राज्य है जहां नेता प्रतिपक्ष के बिना ही सदन की कार्यवाही दूसरी बार चल रही है. विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी जहां अपनी जिद पर अड़ा है तो वहीं सत्ताधारी दल कांग्रेस बाबूलाल मरांडी को छोड़ निष्ठावान नेताओं पर भरोसा जताने की सलाह दे रही है.