रांची: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर पूरे देश में केंद्र सरकार के कृषि क्षेत्र में लाए गए कानून के खिलाफ कांग्रेस की ओर से किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसके तहत राजधानी रांची में भी प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव के आवासीय परिसर में शनिवार को किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया. जहां राज्य के अलग-अलग हिस्से से आए किसानों ने नए किसान कानून के प्रावधानों के खिलाफ अपनी बातों को भी रखा. इस दौरान झारखंड विकास मोर्चा के वरिष्ठ नेता और पलामू विधानसभा क्षेत्र से 2019 में प्रत्याशी रहे रूद्र कुमार शुक्ला ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी का दामन भी थामा.
नहीं दिखी सोशल डिस्टेंसिंग
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से बुलाए गए किसान सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, मंत्री बादल पत्रलेख, बन्ना गुप्ता समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता कार्यकर्ता और राज्य भर से आए किसानों ने हिस्सा लिया. इस किसान सम्मेलन को सोशल डिस्टेंसिंग के तहत आयोजित करने का तो निर्णय था, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखी.
'काला कृषि कानून'
इस दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने केंद्र सरकार के इस कृषि कानून को काला कानून बताते हुए कहा कि कांग्रेस हमेशा किसानों के हित के लिए आंदोलन करती रही है. अंग्रेजी हुकूमत में भी आंदोलन किया गया था. ऐसे में वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार में लाए गए काले कृषि कानून के खिलाफ भी तब तक विरोध जाहिर रहेगा जब तक इसे वापस नहीं ले लिया जाता.
ये भी पढ़ें- शिक्षा मंत्री से मिले सीएम हेमंत सोरेन, कहा- स्थिति में हो रही सुधार
'किसान मालिक से मजदूर और मजबूर हो जाएंगे'
राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि बीजेपी को पहले अपने घर को संभालना चाहिए. अकाली दल ने उनका साथ छोड़ दिया है. उनके अध्यक्ष ने इस बिल को पास करने से पहले प्रधानमंत्री को सोचने के लिए आग्रह किया था. ऐसे में उन्होंने कहा कि कौन सी इमरजेंसी आ गई थी कि राज्यों से बिना बातचीत किए ही 5 घंटे में कानून को बनाया गया. यह देश की जनता को गुमराह करने वाला कानून है. उन्होंने कहा कि किसान मालिक से मजदूर और मजबूर हो जाएंगे. इस लिए कांग्रेस लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत किसानों को जगाने का काम कर रही है. ताकि बाद में उनकी शिकायत ना रहे कि इस कानून के दुष्परिणाम को नहीं बताया गया.