रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने झारखंड के नए प्रतीक चिह्न के अनावरण पर राज्य सरकार को बधाई दी है. इसके साथ ही मनरेगा की तर्ज पर झारखंड के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले असंगठित कामगारों के लिए नई श्रमिक योजना शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया है.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे और राजेश गुप्ता छोटू ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र की पूर्ववर्ती यूपीए शासनकाल में गांव में रहने वाले श्रमिकों को 100 दिनों के लिए रोजगार की गारंटी उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा योजना की शुरुआत की गयी. यह योजना यूपीए शासनकाल में देश की एक बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने में सफल रहा. वहीं, देश के विकास में भी सहायक बना, लेकिन एनडीए सरकार के आते ही इस योजना को जानबूझ कर कमजोर करने का प्रयास किया गया. इसके बावजूद वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणकाल में मनरेगा प्रवासी श्रमिकों और गांव में रहने वाले श्रमिकों के लिए काफी मददगार साबित हुआ. ऐसे में गठबंधन वाली सरकार ने शहरी क्षेत्रों में रहने वाले अकुशल श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना शुरुआत करने का निर्णय लिया, जो मुश्किल में पड़े लोगों के लिए यह योजना मनरेगा की तरह ही बड़ी सहायक सिद्ध होगी.
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- अशोक स्तंभ: राष्ट्र का प्रतीक चिन्ह होने के साथ राज्य की भी संप्रभुता का वाहक है, जबकि झारखंड की समृद्ध और अद्भुत सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी परंपरा, वाद्ययंत्र, गीत और नृत्य की अमिट छाप को लोगों के जेहन में प्रतिबिंबित करता है.
- पलाश के फूल: राज्य का राजकीय पुष्प है. इसके सुर्ख लाल रंग के फूल झारखंड के सौंदर्य की गाथा कहते हैं.
- हरा रंग: झारखंड की हरियाली से आच्छादित धरा और वन संपदा की परिपूर्णता को दर्शाता है. यह खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है.
- हाथी: राज्य के राजकीय पशु को दिखाया गया है. यह राज्य की अलौकिक प्राकृतिक संपदा और समृद्धि का घोतक है. हाथी अनुशासन प्रिय भी होते हैं. ऐसे ही यहां के लोग भी अनुशासन प्रिय हैं.