रांची: इस साल अक्टूबर में आने वाली 27 तारीख को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा. राजधानी में भी तैयारियां जोरों पर हैं. इधर कुम्हार भी दीयों को रंगने के काम पर जुटे हैं. बता दें कि कुम्हार कई महीने पहले से ही दीये बनाने में जुट जाते हैं. मिट्टी की खरीदारी से लेकर उनको आकार देना और फिर रंगने का काम, कुम्हार का परिवार मिलकर करता है.
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कुम्हार बताते हैं कि लगभग 400 से 500 दीये तैयार करने में 6-7 महीने लग जाते हैं. उनका कहना है कि अब दीये बनाने के लिए भी मिट्टी आसानी से नहीं मिलती. वहीं, जितना खर्च दीये बनाने में लग जाते हैं उतनी आमदनी भी नहीं हो पाती. वहीं, कुम्हार बताते हैं कि सरकार की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिलती.
बाजार में बढ़ते चाइनीज लाइटों की मांग और मिट्टी के दीयों की तरफ लोगों का घटता रूझान कुम्हारों पर भारी पड़ रहा है. हालात ऐसे हो चुके हैं कि अब युवा इस पेशे को अपनाने से कतराते हैं. ऐसे में अब देखना है कि आने वाले सालों में दीयों की जगह क्या चाइनीज लाइटें ले लेंगी.