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पिस्का नगड़ी में महिलाओं की मेहनत लाई रंग, बंजर भूमि पर लहलहाई फसल

कोरोना महामारी के कारण लोगों से रोजगार छीन गया है. पूरा देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. ऐसे में रांची के पिस्का नगड़ी भौरा गांव की महिलाएं सामूहिक रूप से व्यावसायिक खेती कर चुनौती का सामना कर रहीं हैं.

women doing commercial farming due to corona in ranchi
किसान
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Published : Oct 26, 2020, 2:18 PM IST

रांची: कोरोना महामारी, लॉकडाउन के बाद पूरा देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. लोगों की आय घटकर आधी हो गई है. लोग नए-नए आय के स्रोत ढूंढ़ रहे हैं. इन परिस्थितियों से उबरने के लिए महिलाओं ने भी बीड़ा उठाना शुरू कर दिया है. इसकी बानगी शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर पिस्का नगड़ी भौरा टोली और आसपास के कई गांव में देखने को मिली.

देखें पूरी खबर
सामूहिक खेती अपनाईकिसान अब सामूहिक रूप से व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. यहां तकरीबन 7 एकड़ बंजर जमीन में करीब 60-70 किसानों का एफपीओ ग्रुप बनाकर खेती कर रहे हैं. ग्रुप का नेतृत्व नीतू केसरी करती हैं. उन्होंने सभी किसानों को संगठित कर एक साथ खेती करने के लिए प्रेरित किया. खेती योग्य जमीन नहीं होने के कारण बंजर जमीन में इन किसानों अपनी मेहनत के बल पर उपजाऊ बना दिया है.

ये भी पढ़े-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस कोटे के मंत्रियों ने दीं विजयादशमी की शुभकामनाएं

पथरीली जमीन पर टमाटर और सहजन के पौधे
आज इस पथरीली जमीन पर टमाटर के फल और सहजन ( ड्रम स्टिक) के पौधे में आए फूल के रूप में मेहनत का फल दिखाई देने लगा है. जिसके बाद किसानों में खुशी की लहर है लेकिन एक मायूसी भी है. आखिर अब तक राज्य सरकार से इन्हें किसी भी प्रकार की मदद और सब्सिडी नहीं मिली है. इसके बावजूद भी इनके हौंसले बुलंद हैं.

रांची: कोरोना महामारी, लॉकडाउन के बाद पूरा देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है. लोगों की आय घटकर आधी हो गई है. लोग नए-नए आय के स्रोत ढूंढ़ रहे हैं. इन परिस्थितियों से उबरने के लिए महिलाओं ने भी बीड़ा उठाना शुरू कर दिया है. इसकी बानगी शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर पिस्का नगड़ी भौरा टोली और आसपास के कई गांव में देखने को मिली.

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सामूहिक खेती अपनाईकिसान अब सामूहिक रूप से व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. यहां तकरीबन 7 एकड़ बंजर जमीन में करीब 60-70 किसानों का एफपीओ ग्रुप बनाकर खेती कर रहे हैं. ग्रुप का नेतृत्व नीतू केसरी करती हैं. उन्होंने सभी किसानों को संगठित कर एक साथ खेती करने के लिए प्रेरित किया. खेती योग्य जमीन नहीं होने के कारण बंजर जमीन में इन किसानों अपनी मेहनत के बल पर उपजाऊ बना दिया है.

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पथरीली जमीन पर टमाटर और सहजन के पौधे
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