रांचीः कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की (Congress MLA Bandhu Tirkey) ने रांची में प्रेस वार्ता कर कई मुद्दों को लेकर चर्चा की. जिसमें उन्होंने आदिवासियों की मौजूदा हालात पर चिंता जाहिर की. उन्होंने असम में रह रहे 6 समुदायों का जिक्र कर उन्हें एसटी का दर्जा देने की मांग की.
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विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) से असम के 6 समुदायों कोच, राजबोंगशी, ताई, अहोम चुटिया, मटक, मोरन और चाय जनजाति को एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग की है. बंधु तिर्की ने इन आदिवासियों की समस्या पर चिंता जताते हुए कहा कि एसटी का दर्जा अब तक नहीं दिए जाने के कारण यह आदिवासी भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं. असम के चाय बगान (Tea Garden in Assam) में काम करने वाले मूल रूप से यह प्रकृति पूजक आदिवासी लोग हैं, जो झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, ओड़िशा और मध्य प्रदेश के उरांव, मुंडा, हो, संथाल और गोंड आदिवासी हैं. इन्हें चाय जनजाति कहकर असम में अपमानित किया जाता है.
असम में रह रहे आदिवासियों को एसटी का दर्जा मिला
कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मामले में केंद्र सरकार को अनुच्छेद 342 के तहत आवश्यक सिफारिश करने की मांग की है. मीडिया कर्मियों से बात करते हुए बंधु तिर्की ने कहा कि 2019 में चुनाव के कारण भाजपा सरकार ने असम के आदिवासी चाय श्रमिकों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव पारित किया. लेकिन राज्यसभा में प्रस्ताव लाया ही नहीं गया, जिसके कारण इन आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का स्थान नहीं मिला. यह जनजातीय समाज के लोग शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से लगभग 60 वर्षों से भी अधिक समय से एसटी दर्जे की मांग को लेकर संघर्षरत हैं.
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असम में प्रताड़ित होते हैं झारखंड के आदिवासी
असम में चाय श्रमिकों की संख्या लगभग एक करोड़ है जो वहां की 3:50 करोड़ आबादी का लगभग 30 फीसदी है. अगर आदिवासी चाय श्रमिकों को जनजाति का दर्जा मिल जाएगा तो लगभग 45 विधानसभा सीटें आरक्षित हो जाएंगी. आदिवासी राज्य में सरकार बनाने में मुख्य भूमिका में आ जाएंगे. इसलिए सत्ता में बैठे असम के लोग आदिवासी चाय श्रमिकों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं देना चाहते हैं. इतना ही नहीं इनकी मांगों को लेकर इन्हें असम के लोगों की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है.
केंद्रीय धुमकुड़िया भवन को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपा गया ब्लूप्रिंट
आदिवासियों के सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्र के रूप में बन रहे केंद्रीय धुमकुड़िया भवन का ब्लूप्रिंट शुक्रवार को मंत्री चंपाई सोरेन के नेतृत्व में विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंपा. सीएम से हुई मुलाकात की जानकारी देते हुए विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि इसकी लागत 75 करोड़ होना चाहिए और निर्माण स्थल को और विस्तृत किया जाना चाहिए, जिससे भव्य केंद्रीय धुमकुड़िया भवन बन सके.
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रोक के बावजूद जल संसाधन में कैसे हो रहा प्रमोशन
विधायक बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर राज्य में सरकारी कर्मियों के प्रोन्नति पर लगी रोक के बावजूद जल संसाधन विभाग में हो रहे प्रमोशन की जानकारी दी. मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बंधु तिर्की ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लिया है और प्रमोशन को लेकर चल रहे समस्या का जल्द समाधान निकलने की बात कही है.