रांची: झारखंड सरकार ने केंद्रीय खान मंत्रालय की ओर से माइंस एंड मिनरल एक्ट, 1957 में संशोधन को लेकर भेजे गए प्रस्ताव पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. इस बाबत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने जवाब में साफ तौर पर लिखा है कि यह संशोधन झारखंड के सामाजिक आर्थिक मामलों पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं. साथ ही मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में यह भी लिखा है कि वह केंद्रीय खान मंत्रालय के इल्लीगल माइनिंग की परिभाषा से भी असहमत हैं.
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सीएम ने रखा पक्ष
मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में यह साफ लिखा है कि केंद्रीय खान मंत्रालय ने राज्य सरकारों को केवल 10 दिन में माइंस एंड मिनरल एक्ट 1957 के प्रस्तावित संशोधन को लेकर अपना पक्ष रखने को कहा था. सीएम ने इस संबंध में साफ तौर पर कहा कि झारखंड उस कानून के कई प्रावधानों में परिवर्तन से सहमत नहीं है. साथ ही सीएम ने यह भी बताया कि एनईएमटी को एक ट्रस्ट के रूप में नो प्रॉफिट बॉडी के रूप में रखा जाना चाहिए.
फाइनल ड्राफ्ट से पहले ले राज्य सरकार की सहमति
यह एक संवेदनशील विषय है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है इसलिए झारखंड के परिप्रेक्ष्य में एक फाइनल ड्राफ्ट बनाने से पहले खान एवं भूतत्व विभाग ने राज्य सरकार से राय लेने की सिफारिश की है. खान एवं भूतत्व विभाग ने एमडीएमआर एक्ट 1957 के सेक्शन 21 के सेक्शन 4 और 5 में संशोधन पर असहमति जताई है. विभाग ने साफ तौर पर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में स्पष्ट तौर पर पूरा तथ्य क्लियर किया गया है. वही स्टांप ड्यूटी के मामले पर खान एवं भूतत्व विभाग ने भी केंद्र के संशोधन पर असहमति जताई है. साथ ही यह कहा है कि यह राज्य सरकार के दायरे में आता है साथ ही स्टैंप ड्यूटी एमडीएमआर एक्ट 1957 गवर्न नहीं होता है.