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लड़कर लेंगे अपना अधिकार, बकाए भुगतान की रखी गई है केंद्र के समक्ष मांग: सीएम

सीएम हेमंत सोरेन ने राज्य की मौजूदा वित्तीय स्थिति को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. सीएम ने कहा कि देश भर में लगभग 5,000 करोड़ रुपए का सेस केवल झारखंड केंद्र को देता है. उसी सेस से केंद्र अपनी जेब भरता है और यहीं के लोग मार झेलें ऐसा नहीं चलेगा.

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सीएम हेमंत सोरेन
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Published : Sep 1, 2020, 8:51 PM IST

रांची: प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य की मौजूदा वित्तीय स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को खरी-खोटी सुनाई है. मंगलवार को स्टेट सेक्रेटेरिएट प्रोजेक्ट बिल्डिंग के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यहां के संसाधनों पर केंद्र का राज हो, ऐसा नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि देश भर में लगभग 5,000 करोड़ रुपए का सेस केवल झारखंड केंद्र को देता है. उसी सेस से केंद्र अपनी जेब भरता है और यहीं के लोग मार झेलें ऐसा नहीं चलेगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार का जो भी अधिकार है, वह लड़कर हासिल किया जाएगा.

सीएम हेमंत सोरेन
'अर्थव्यवस्था कंट्रोल करने में केंद्र है विफल'
सीएम ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की हुई बैठक में राज्य के विभागीय मंत्री ने अपनी बातें रखी हैं. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है. केंद्र सरकार इसे संभालने में पूरी तरह से विफल हो गई है और आने वाले समय में देश को संभवता और भी बुरे वक्त से गुजारना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि इन सब चीजों के लिए भगवान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

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'जीएसटी पर राज्य को उलझाने का खेल'
उन्होंने कहा कि जीएसटी का संदर्भ में राज्य सरकारों को फिर से उलझाने की कोशिश की जा रही है. केंद्र सरकार की इस चाल को गंभीरता से लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सारी बातों को तरीके से रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि सारी बातें प्लेटफार्म पर रखी जाएगी. माइनिंग के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सब मामले की जांच पड़ताल चल रही है. उन्होंने कहा कि मौजूदा संक्रमण काल में हर राज्य अपने अनुसार संसाधन जुटाने की कोशिश कर रहा है.

ये भी पढ़ें- DSPMU में फर्स्ट लिस्ट के तहत एडमिशन जारी, 10 सितंबर लास्ट डेट



जीएसटी और अन्य बकाए को लेकर चल रही है तनातनी
केंद्र और झारखंड सरकार में पिछले कुछ दिनों से जीएसटी बकाए को लेकर तनातनी चल रही है. एक तरफ केंद्र सरकार ने जीएसटी मत में 2,500 करोड़ की मांग केंद्र के समक्ष रखी है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य सरकार का दावा है कि केंद्र की अलग-अलग परियोजनाओं के लिए ली गई लगभग 50,000 एकड़ जमीन का 45 हजार करोड़ भी केंद्र सरकार के पास बकाया है. झारखंड सरकार ने इस बकाए की भी चरणबद्ध तरीके से भुगतान करने की मांग रखी है.

रांची: प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य की मौजूदा वित्तीय स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को खरी-खोटी सुनाई है. मंगलवार को स्टेट सेक्रेटेरिएट प्रोजेक्ट बिल्डिंग के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यहां के संसाधनों पर केंद्र का राज हो, ऐसा नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि देश भर में लगभग 5,000 करोड़ रुपए का सेस केवल झारखंड केंद्र को देता है. उसी सेस से केंद्र अपनी जेब भरता है और यहीं के लोग मार झेलें ऐसा नहीं चलेगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार का जो भी अधिकार है, वह लड़कर हासिल किया जाएगा.

सीएम हेमंत सोरेन
'अर्थव्यवस्था कंट्रोल करने में केंद्र है विफल' सीएम ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की हुई बैठक में राज्य के विभागीय मंत्री ने अपनी बातें रखी हैं. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है. केंद्र सरकार इसे संभालने में पूरी तरह से विफल हो गई है और आने वाले समय में देश को संभवता और भी बुरे वक्त से गुजारना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि इन सब चीजों के लिए भगवान को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

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'जीएसटी पर राज्य को उलझाने का खेल'
उन्होंने कहा कि जीएसटी का संदर्भ में राज्य सरकारों को फिर से उलझाने की कोशिश की जा रही है. केंद्र सरकार की इस चाल को गंभीरता से लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सारी बातों को तरीके से रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि सारी बातें प्लेटफार्म पर रखी जाएगी. माइनिंग के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सब मामले की जांच पड़ताल चल रही है. उन्होंने कहा कि मौजूदा संक्रमण काल में हर राज्य अपने अनुसार संसाधन जुटाने की कोशिश कर रहा है.

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जीएसटी और अन्य बकाए को लेकर चल रही है तनातनी
केंद्र और झारखंड सरकार में पिछले कुछ दिनों से जीएसटी बकाए को लेकर तनातनी चल रही है. एक तरफ केंद्र सरकार ने जीएसटी मत में 2,500 करोड़ की मांग केंद्र के समक्ष रखी है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य सरकार का दावा है कि केंद्र की अलग-अलग परियोजनाओं के लिए ली गई लगभग 50,000 एकड़ जमीन का 45 हजार करोड़ भी केंद्र सरकार के पास बकाया है. झारखंड सरकार ने इस बकाए की भी चरणबद्ध तरीके से भुगतान करने की मांग रखी है.

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