रांची: झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है. यहां आदिवासियों की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए सीएनटी और एसपीटी एक्ट लागू है, फिर भी गलत तरीके से जमीन की जमाबंदी की खबरें आती रहती हैं. ऐसे ही एक मामला रांची जिला के कांके अंचल अंतर्गत प्लॉट संख्या 1232 में संधारित साल 2018-19 में सामने आया है. इस मामले में दोषी पदाधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई करने और भूमि की जांच के बाद जमाबंदी रद्द करने की कार्रवाई करने को लेकर राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वीकृति दी है.
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पूर्व डीजीपी की पत्नी के नाम पर है जमीन की जमाबंदी
झारखंड के पूर्व डीजीपी डी के पांडे की पत्नी के नाम से इस जमीन की जमाबंदी की गई थी. तभी से यह पूरा मामला विवादों में था. विभागीय जांच में मामला सही पाए जाने पर मुख्यमंत्री ने जमाबंदी रद्द करने का आदेश दिया है.
कई लोग पाए गए हैं दोषी
उक्त गैर मजरुआ मालिक प्रवृति की भूमि जिसका कुल रकबा 5.01 एकड़ है और यह प्रतिबंधित सूची में दर्ज है. संदिग्ध जमाबंदी करने के मामले में कांके के तत्कालीन अंचल अधिकारी प्रभात भूषण सिंह, तत्कालीन अंचल निरीक्षक चंचल किशोर प्रसाद और तत्कालीन राजस्व उपनिरीक्षक भुवनेश्वर प्रसाद सिंह के अलावा निबंधन करने के लिए रांची जिला के अवर निबंध राहुल कुमार चौबे, अस्थाई लिपिक विमल चंद बोस और मो खालिद आजमी और कंप्यूटर ऑपरेटर दिलीप कुमार महतो औऱ शैलेश कुमार जांच में दोषी पाए गए हैं.