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मानव तस्करी की शिकार बच्चियों को मिलेगा भत्ता, सीएम ने कहा- सभी को हुनरमंद बनाएगी सरकार

रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाई गई झारखंड के अलग-अलग जिलों की 41 बच्चियों से बातचीत की. इस मौके पर उन्होंने नाबालिग होने तक प्रतिमाह 2000 रु का भत्ता देने और बालिग होने पर बच्चियों को हुनरमंद बनाकर रोजगार से जोड़ने की बात कही.

Hemant Soren
हेमंत सोरेन
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Published : Nov 7, 2020, 5:22 PM IST

रांची: दिल्ली में मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाई गई झारखंड के अलग-अलग जिलों की 41 बच्चियों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीधी बात की. मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आपका बड़ा भाई राज्य चला रहा है. अब आपको किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है, आप सभी की चिंता सरकार करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों के नाबालिग होने तक प्रतिमाह 2000 रु का भत्ता दिया जाएगा. बालिग होने पर बच्चियों को हुनरमंद बनाकर रोजगार से जोड़ा जाएगा.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान

उन्होंने बच्चों से कहा कि अगर दिल्ली या किसी और शहर में आपके जान पहचान की कोई लड़की फंसी हुई है तो उसकी भी जानकारी आप हमें दें. अगर स्वेछा से बच्ची वहां काम करने गई है तो उसे यह बताएं कि अब उन्हें घर लौटना चाहिए क्योंकि सरकार उनके लिए सब कुछ करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कई राज्यों की लड़कियां मानव सेवा में लगी हुई हैं. डॉक्टर और नर्स बन रही हैं लेकिन झारखंड के हमारे बच्चे दाई और नौकर के नाम से जाने जाते हैं. यह सुनकर बहुत तकलीफ होती है, उन्होंने कहा कि पिछले दिनों चान्हों के नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने वाली एक सौ से ज्यादा बच्चियों को देश के बड़े-बड़े अस्पतालों में नौकरी मुहैया कराई गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनको पढ़ाई में मन नहीं लगता उन्हें हताश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि पढ़ लिख कर ही सिर्फ बड़ा नहीं बना जा सकता. हुनरमंद बन कर भी बड़ा बना जा सकता है, पिछले दिनों सीडब्ल्यूसी और एक संस्था की पहल पर इन सभी बच्चों को दिल्ली से मुक्त कराया गया था, बाद में सरकार की पहल पर सभी को विमान से रांची लाया गया था.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान

बच्चियों ने कहा, नहीं जाना चाहते घर

सीएम ने जब बच्चों से पूछा कि आप क्या चाहती हैं, तू जवाब आया कि घर नहीं जाना चाहते. दरअसल इनमें से कुछ बच्चियां दलालों के चंगुल में फंसकर दिल्ली गई थी तो कुछ गरीबी और लाचारी के कारण. बच्चियों को प्रेमाश्रय और दिया संस्थान के शेल्टर होम में रखा गया है. डरी सहमी बच्चियों की बात शेल्टर होम की संचालिकाओं ने सीएम के सामने रखी. उन्होंने बताया कि कोई भी बच्ची अपने घर जाना नहीं चाहती, उन्हें डर है कि घर जाने पर नक्सली उठा ले जाएंगे. कई बच्चियां 3-4 साल से फंसी हुई थी, दलालों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान

ये भी पढ़ें- RU के रेडियो खांची पर विद्यार्थियों के लिए करियर बुलेटिन, विशेषज्ञ दे रहे राय

एक बच्चे की पढ़ाई का उठाया जिम्मा

दिल्ली से लाए गए बच्चों में नवी कक्षा का एक छात्र भी है, लाचारी और गरीबी के कारण उसकी पढ़ाई छूट गई थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राजमहल के सांसद विजय हांसदा ने सुंदर पहाड़ी के इस बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाने की घोषणा की है.

रांची: दिल्ली में मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाई गई झारखंड के अलग-अलग जिलों की 41 बच्चियों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीधी बात की. मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आपका बड़ा भाई राज्य चला रहा है. अब आपको किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है, आप सभी की चिंता सरकार करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों के नाबालिग होने तक प्रतिमाह 2000 रु का भत्ता दिया जाएगा. बालिग होने पर बच्चियों को हुनरमंद बनाकर रोजगार से जोड़ा जाएगा.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान

उन्होंने बच्चों से कहा कि अगर दिल्ली या किसी और शहर में आपके जान पहचान की कोई लड़की फंसी हुई है तो उसकी भी जानकारी आप हमें दें. अगर स्वेछा से बच्ची वहां काम करने गई है तो उसे यह बताएं कि अब उन्हें घर लौटना चाहिए क्योंकि सरकार उनके लिए सब कुछ करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कई राज्यों की लड़कियां मानव सेवा में लगी हुई हैं. डॉक्टर और नर्स बन रही हैं लेकिन झारखंड के हमारे बच्चे दाई और नौकर के नाम से जाने जाते हैं. यह सुनकर बहुत तकलीफ होती है, उन्होंने कहा कि पिछले दिनों चान्हों के नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने वाली एक सौ से ज्यादा बच्चियों को देश के बड़े-बड़े अस्पतालों में नौकरी मुहैया कराई गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनको पढ़ाई में मन नहीं लगता उन्हें हताश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि पढ़ लिख कर ही सिर्फ बड़ा नहीं बना जा सकता. हुनरमंद बन कर भी बड़ा बना जा सकता है, पिछले दिनों सीडब्ल्यूसी और एक संस्था की पहल पर इन सभी बच्चों को दिल्ली से मुक्त कराया गया था, बाद में सरकार की पहल पर सभी को विमान से रांची लाया गया था.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान

बच्चियों ने कहा, नहीं जाना चाहते घर

सीएम ने जब बच्चों से पूछा कि आप क्या चाहती हैं, तू जवाब आया कि घर नहीं जाना चाहते. दरअसल इनमें से कुछ बच्चियां दलालों के चंगुल में फंसकर दिल्ली गई थी तो कुछ गरीबी और लाचारी के कारण. बच्चियों को प्रेमाश्रय और दिया संस्थान के शेल्टर होम में रखा गया है. डरी सहमी बच्चियों की बात शेल्टर होम की संचालिकाओं ने सीएम के सामने रखी. उन्होंने बताया कि कोई भी बच्ची अपने घर जाना नहीं चाहती, उन्हें डर है कि घर जाने पर नक्सली उठा ले जाएंगे. कई बच्चियां 3-4 साल से फंसी हुई थी, दलालों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बयान

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एक बच्चे की पढ़ाई का उठाया जिम्मा

दिल्ली से लाए गए बच्चों में नवी कक्षा का एक छात्र भी है, लाचारी और गरीबी के कारण उसकी पढ़ाई छूट गई थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राजमहल के सांसद विजय हांसदा ने सुंदर पहाड़ी के इस बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाने की घोषणा की है.

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