रांचीः कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी एक दिवसीय दौरे पर शनिवार को रांची पहुंचे. दोपहर एक बजे के करीब रांची पहुंचे केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ बैठक की. सीएम आवास पर करीब 40 मिनट तक हुई. इस बैठक में राज्य सरकार की ओर से एक बार फिर बकाया कोल रॉयल्टी की मांग की गई. इसके अलावा कोल क्षेत्र की समस्या से कोयला मंत्री को अवगत कराया गया.
इसे भी पढ़ें- वित्त मंत्री ने बिजली, कोयला मंत्रालयों से परियोजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से करने को कहा
सीसीएल अधिकारियों के साथ कोयला मंत्री ने की बैठक
मुख्यमंत्री से मिलने के बाद कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दरभंगा हाउस स्थित सीसीएल मुख्यालय में कोल इंडिया लिमिटेड और सीसीएल सहित इसकी अन्य अनुषंगी कंपनियों की एक समीक्षा बैठक की. जिसमें कोयला मंत्री ने देश के पावर प्लांट्स को निर्बाध कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा. उन्होंने उत्पादन एवं प्रेषण बढ़ाने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए.
कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल सहित अन्य अनुषंगी कंपनियों के सीएमडी एवं अन्य वरीय अधिकारी भी इस बैठक में वर्चुवल रूप से उपस्थित रहे. सीसीएल एवं बीसीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने दोनों कंपनियों के उत्पादन एवं प्रेषण के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि कंपनी अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कृतसंकल्पित है. बैठक के बाद शाम 06 बजे कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी मीडिया से वगैर बात किए रवाना हो गए.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी की उपस्थिति में झारखंड में स्थित कोल माइंस से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अधिकारियों के बीच उच्च स्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में विशेषकर राजमहल, तालझारी कोल परियोजना, हुर्रा कोल परियोजना, सियाल कोल परियोजना को ऑपरेशनल बनाने में आ रही अड़चनों तथा समस्याओं और उसके निदान को लेकर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ. इसके अलावा यहां के खदानों की नीलामी को लेकर भी चर्चा हुई.
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कोल माइंस के लिए जमीन अधिग्रहण, रैयतों को मुआवजा, विस्थापितों के पुनर्वास और नौकरी एवं सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू को लेकर अपना पक्ष रखा. केंद्रीय कोयला मंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा कि कोल खनन को लेकर राज्य सरकार की जो भी मांग है, उस पर केंद्र सरकार विचार विमर्श कर आवश्यक कार्रवाई करेगी.
इसे भी पढ़ें- कोल इंडिया ने एक ही दिन में 10 लाख टन कोयला निकालकर रचा इतिहास
स्थानीय को नौकरी देने की मांग
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल की ओर से कोयला उत्पादन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाता है. ऐसे में सरकार ने निर्णय लिया है कि इन सभी कोल माइंस में 75 परसेंट नौकरी स्थानीय लोगों को दी जाए. इसके अलावा कोल माइंस के लिए जो टेंडर कॉन्ट्रैक्ट जारी किए जाते हैं, उसमें भी स्थानीय लोगों को हर हाल में प्राथमिकता मिलनी चाहिए. इससे जहां कोल माइंस को ऑपरेशनल बनाने में आ रही अड़चनें खत्म होंगी. वहीं स्थानीय लोगों को भी व्यापक स्तर पर रोजगार के मौके मिलेंगे. उन्होंने रैयतों को मुआवजा और सरकार को सरकारी जमीन के अधिग्रहण के बदले मिलने वाले रेवेन्यू को लेकर भी केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष अपना पक्ष रखा.
1 करोड़ रुपए तक के कॉन्ट्रैक्ट टेंडर स्थानीय लोगों को मिलेंगे
इस मौके पर कोयला मंत्रालय और ईसीएल के अधिकारियों ने राजमहल तालझारी कोल परियोजना के चालू करने में आ रही अड़चनों से राज्य सरकार को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि अगर इसे चालू नहीं किया गया तो ईसीएल को बंद करने की तक की नौबत आ सकती है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ना सिर्फ इस कोल परियोजना बल्कि झारखंड में स्थित सभी कोल परियोजनाओं में नौकरी और एक तय की गई राशि का टेंडर कॉन्ट्रैक्ट हर हाल में स्थानीय को मिले. इस मुद्दे पर केंद्रीय कोयला मंत्री ने कहा कि राजमहल तालझारी कोल परियोजना में अगले 2 साल तक के लिए एक करोड़ रुपए तक का टेंडर स्थानीय को दिया जाएगा. आने वाले दिनों में इसे सभी कोल कंपनियों में लागू किए जाने का आश्वासन दिया.
सुरक्षा मानक और अनुपयोगी जमीन के मुद्दे पर भी चर्चा
उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने विभिन्न कोल परियोजनाओं में सुरक्षा मानकों का पूरा ख्याल नहीं रखे जाने और विस्थापितों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने का भी मुद्दा रखा. सीएम ने यह भी कहा कि सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल की ओर से कोयला खनन के लिए जितना जमीन का अधिग्रहण किया जाता है, उसका इस्तेमाल नहीं होता है, वो जमीन यूं ही पड़ी होती है. इस अनुपयोगी जमीन के हस्तांतरण के मुद्दे को भी उन्होंने केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष रखा.
जमीन का सेटलमेंट कागज देने की मांग
इस बैठक में राजमहल के सांसद विजय हांसदा ने कहा कि कोल कंपनियों की ओर से जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापितों का जहां पुनर्वास किया जाता है, उस जमीन का सेटलमेंट कागज उन्हें नहीं दिया जाता है. इस कारण उन्हें स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने में तकनीकी अड़चनों का सामना करना पड़ता है. कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस समस्या का समाधान करने के लिए आवश्यक पहल की जाएगी.
इस बैठक में केंद्रीय संसदीय मामले, कोयला एवं खान मंत्री प्रल्हाद जोशी के अलावा अपर सचिव, कोयला मंत्रालय एम. नागाराजू, कोल इंडिया लिमिटेड के निदेशक तकनीकी, बिनय दयाल, सीसीएल एवं बीसीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद, ईसीएल के सीएमडी पीएस मिश्रा, सीसीएल के निदेशक तकनीकी (संचा.) भोला सिंह, सीसीएल के निदेशक तकनीकी (यो. एवं परि.) एसके गोमस्ता, सीसीएल के निदेशक (कार्मिक) पीवीकेआर मल्लिकार्जुना राव, सीसीएल के सीवीओ एसके सिन्हा एवं अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित रहे. इनके अलावा इस उच्चस्तरीय बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे और खान एवं भूतत्व विभाग की सचिव पूजा सिंघल के अलावा कोयला मंत्रालय और कोल कंपनियों के अधिकारी मौजूद रहे.