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बिजली के लिए डीवीसी पर निर्भरता खत्म करने की तैयारी, सीएम ने जरूरी कदम उठाने के दिए निर्देश

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Published : Dec 16, 2020, 9:43 PM IST

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बुधवार को ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि डीवीसी कमांड एरिया में ट्रांसमिशन लाइन और सब स्टेशन बनाने के कार्य मे तेजी लाई जाए.

CM Hemant Soren
ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक

रांची: झारखंड सरकार ने बिजली के लिए डीवीसी पर निर्भरता खत्म करने का फैसला लिया है. ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस दिशा में सभी जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. डीवीसी कमांड एरिया वाले 7 जिलों में बिजली आपूर्ति के लिए महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है. इससे राजस्व का नुकसान होता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि डीवीसी कमांड एरिया में ट्रांसमिशन लाइन और सब स्टेशन बनाने के कार्य मे तेजी लाई जाए. विभाग की ओर से बताया गया कि लातेहार-चतरा के बीच ट्रांसमिशन लाइन और सब स्टेशन बनकर तैयार है. इसके चालू होने से एक और जिले में बिजली के लिए डीवीसी पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. डीवीसी से जहां लगभग पांच रुपये यूनिट बिजली खरीदनी पड़ती है. वहीं, इसके चालू होने से लगभग 3 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलेगी.

ये भी पढे़ं: भाजपा के प्रखंड स्तर पर धरना को कांग्रेस ने बताया फ्लॉप, कहा- किसानों को बरगलाने का प्रयास नहीं होगा सफल

समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता जताई कि कोयला और पानी समेत सभी संसाधन के बावजूद जरूरतों के हिसाब से बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है. इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में बिजली वितरण की जो व्यवस्था है उससे राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि बिजली बिल वितरण और संग्रहण की व्यवस्था को बेहतर बनाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा राजस्व प्राप्त हो सके. विभाग की ओर से बताया गया कि खराब मीटर, कमजोर संचरण लाइन, फीडर, संग्रहण और बिजली चोरी के कारण 34% राजस्व का नुकसान हो रहा है. बिजली चोरी को रोकने के लिए पूरे राज्य में व्यापक छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है. बिजली चोरों के खिलाफ जुर्माने के साथ प्राथमिकी भी दर्ज की जा रही है.

अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दें: सीएम

मुख्यमंत्री ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देकर बिजली उत्पादन और इसमें आने वाली लागत को कम किया जा सकता है. उन्होंने सौर ऊर्जा आधारित बिजली व्यवस्था को बनाने की दिशा में पहल करने को कहा. इसके अलावा डैम आदि के किनारे हाइडल पावर प्लांट की संभावनाओं को तलाशने को भी कहा. विभाग की ओर से बताया गया कि अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट और सोलर पावर पार्क बनाने की योजना तैयार की गई है. मुख्यमंत्री ने सभी जिलों में रिन्यूअल एनर्जी की व्यवस्था बनाने के भी निर्देश दिए.

नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश: सीएम

विभाग की ओर से मुख्यमंत्री को बताया गया कि पदों के खाली रहने से बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने और राजस्व संग्रहण के कार्य में असुविधा हो रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि लाइनमैन समेत सभी खाली पदों को भरने की पहल शुरू की जाए.

ये भी पढे़ं: CO के निर्माण कार्य रोके जाने पर अदालत सख्त, लगाया 10 हजार रुपया का जुर्माना

ऊर्जा विभाग की दूसरी योजनाओं का रिपोर्ट कार्ड

ऊर्जा विभाग को बिजली से लगभग 34 प्रतिशत राजस्व का नुकसान हो रहा है. राज्य के लगभग 76 प्रतिशत उपभोक्ताओं को बिजली बिल पहुंचाया जा रहा है. राज्य में हर दिन लगभग 2200 मेगावाट बिजली की जरूरत है. इसमें डीवीसी से लगभग 600 मेगा वाट, एनटीपीसी से 597 मेगा वाट और सेंट्रल पुल से 215 मेगा वाट बिजली आपूर्ति की जाती है. राज्य में लगभग एक लाख ट्रांसफार्मर हैं, जिनमें मात्र 4488 ट्रांसफार्मर ही खराब हैं. स्मार्ट मीटरिंग कार्यक्रम के तहत सभी जिलों में नए मीटर लगाए जा रहे हैं. रांची में लगभग 3.5 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे.

झारखंड पावर इंप्रूवमेंट प्रोग्राम के तहत सब स्टेशन, ट्रांसमिशन लाइन, स्मार्ट मीटरिंग, ग्रिड, ट्रांसफार्मर आदि का सुदृढ़ीकरण, मजबूतीकरण और नवीकरण किया जा रहा है. डीवीसी कमांड एरिया के अंतर्गत बड़कागांव, रामगढ़, बरही, पेटरवार, हंटरगंज, सिमरिया, गोला, दुग्धा, गावां और निरसा समेत कई और इलाकों में नए सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन बनाने की प्रक्रिया चल रही है. राज्य के 45 हजार किसानों ने सोलर वाटर पंप के लिए आवेदन जमा किए हैं.

बैठक में ये रहे उपस्थित

ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त केके खंडेलवाल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार, झारखंड राज्य बिजली उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक बसारत और झारखंड राज्य बिजली संचरण निगम के प्रबंध निदेशक केके वर्मा उपस्थित थे.

रांची: झारखंड सरकार ने बिजली के लिए डीवीसी पर निर्भरता खत्म करने का फैसला लिया है. ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस दिशा में सभी जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. डीवीसी कमांड एरिया वाले 7 जिलों में बिजली आपूर्ति के लिए महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है. इससे राजस्व का नुकसान होता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि डीवीसी कमांड एरिया में ट्रांसमिशन लाइन और सब स्टेशन बनाने के कार्य मे तेजी लाई जाए. विभाग की ओर से बताया गया कि लातेहार-चतरा के बीच ट्रांसमिशन लाइन और सब स्टेशन बनकर तैयार है. इसके चालू होने से एक और जिले में बिजली के लिए डीवीसी पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. डीवीसी से जहां लगभग पांच रुपये यूनिट बिजली खरीदनी पड़ती है. वहीं, इसके चालू होने से लगभग 3 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलेगी.

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समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता जताई कि कोयला और पानी समेत सभी संसाधन के बावजूद जरूरतों के हिसाब से बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है. इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में बिजली वितरण की जो व्यवस्था है उससे राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि बिजली बिल वितरण और संग्रहण की व्यवस्था को बेहतर बनाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा राजस्व प्राप्त हो सके. विभाग की ओर से बताया गया कि खराब मीटर, कमजोर संचरण लाइन, फीडर, संग्रहण और बिजली चोरी के कारण 34% राजस्व का नुकसान हो रहा है. बिजली चोरी को रोकने के लिए पूरे राज्य में व्यापक छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है. बिजली चोरों के खिलाफ जुर्माने के साथ प्राथमिकी भी दर्ज की जा रही है.

अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दें: सीएम

मुख्यमंत्री ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देकर बिजली उत्पादन और इसमें आने वाली लागत को कम किया जा सकता है. उन्होंने सौर ऊर्जा आधारित बिजली व्यवस्था को बनाने की दिशा में पहल करने को कहा. इसके अलावा डैम आदि के किनारे हाइडल पावर प्लांट की संभावनाओं को तलाशने को भी कहा. विभाग की ओर से बताया गया कि अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट और सोलर पावर पार्क बनाने की योजना तैयार की गई है. मुख्यमंत्री ने सभी जिलों में रिन्यूअल एनर्जी की व्यवस्था बनाने के भी निर्देश दिए.

नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश: सीएम

विभाग की ओर से मुख्यमंत्री को बताया गया कि पदों के खाली रहने से बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने और राजस्व संग्रहण के कार्य में असुविधा हो रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि लाइनमैन समेत सभी खाली पदों को भरने की पहल शुरू की जाए.

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ऊर्जा विभाग की दूसरी योजनाओं का रिपोर्ट कार्ड

ऊर्जा विभाग को बिजली से लगभग 34 प्रतिशत राजस्व का नुकसान हो रहा है. राज्य के लगभग 76 प्रतिशत उपभोक्ताओं को बिजली बिल पहुंचाया जा रहा है. राज्य में हर दिन लगभग 2200 मेगावाट बिजली की जरूरत है. इसमें डीवीसी से लगभग 600 मेगा वाट, एनटीपीसी से 597 मेगा वाट और सेंट्रल पुल से 215 मेगा वाट बिजली आपूर्ति की जाती है. राज्य में लगभग एक लाख ट्रांसफार्मर हैं, जिनमें मात्र 4488 ट्रांसफार्मर ही खराब हैं. स्मार्ट मीटरिंग कार्यक्रम के तहत सभी जिलों में नए मीटर लगाए जा रहे हैं. रांची में लगभग 3.5 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे.

झारखंड पावर इंप्रूवमेंट प्रोग्राम के तहत सब स्टेशन, ट्रांसमिशन लाइन, स्मार्ट मीटरिंग, ग्रिड, ट्रांसफार्मर आदि का सुदृढ़ीकरण, मजबूतीकरण और नवीकरण किया जा रहा है. डीवीसी कमांड एरिया के अंतर्गत बड़कागांव, रामगढ़, बरही, पेटरवार, हंटरगंज, सिमरिया, गोला, दुग्धा, गावां और निरसा समेत कई और इलाकों में नए सब स्टेशन और ट्रांसमिशन लाइन बनाने की प्रक्रिया चल रही है. राज्य के 45 हजार किसानों ने सोलर वाटर पंप के लिए आवेदन जमा किए हैं.

बैठक में ये रहे उपस्थित

ऊर्जा विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त केके खंडेलवाल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार, झारखंड राज्य बिजली उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक बसारत और झारखंड राज्य बिजली संचरण निगम के प्रबंध निदेशक केके वर्मा उपस्थित थे.

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