रांची: लंबे समय से खाली पड़े फोरेंसिक लैब के विभिन्न पदों को भरने की दिशा में राज्य सरकार की पहल रंग लाई है. बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नवचयनित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला के 37 सहायक निदेशक और 56 वैज्ञानिक सहायक को नियुक्ति पत्र सौंपा है. इसके बाद अब राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला कर्मचारियों और अधिकारियों से गुलजार हो जाएगा.
झारखंड मंत्रालय में आयोजित नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में सभी नवचयनित पदाधिकारियों और सहायकों को नियुक्ति पत्र दी गई. इस अवसर पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, डीजीपी नीरज सिन्हा, सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे, कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप उपस्थित थे. राज्य गठन के बाद पहली बार इतनी संख्या में स्टेट फोरेंसिक लैब में सहायक निदेशक और वैज्ञानिक सहायकों की नियुक्ति हुई है.
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वर्तमान समय में राज्यभर में मात्र 16 कर्मी और अधिकारी फोरेंसिक लैब में कार्यरत हैं जिस वजह से केसों के अनुसंधान में भारी परेशानी होती थी. पहले बिसरा की जांच के लिए सेंपल गुजरात और अन्य राज्य भेजे जाते थे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर नवचयनित कर्मियों और सहायक निदेशकों को नियुक्ति पत्र देते हुए कहा है कि सरकार प्रमंडलवार फोरेंसिक लैब तैयार कर अनुसंधान कार्य में तेजी लाना चाहती है जिससे हमें दूसरे राज्यों पर निर्भरता समाप्त हो.
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जेलों में बंद कैदियों में 90 प्रतिशत कैदियों की संख्या छोटे मोटे अपराध की वजह से है. जिन्हें त्वरित न्याय की आवश्यकता है. इन वैज्ञानिकों की नियुक्ति होने से कोर्ट केस की सुनवाई में भी तेजी आएगी और अनुसंधान भी जल्दी पूरा होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि नियुक्ति की यह प्रक्रिया जारी रहेगी और आनेवाले समय में जेएसएससी और जेपीएससी के द्वारा बड़ी संख्या में नियुक्ति की जाएगी.
इस मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि स्टेट फोरेंसिक लैब में नियुक्ति के पश्चात इन कर्मियों से सरकार को अपेक्षा ये रहेगी कि लंबित अनुसंधान में तेजी आए. सरकार ओवरटाइम की व्यवस्था करेगी और इसका अतिरिक्त भुगतान भी करने की व्यवस्था की जाएगी जिससे लंबित केसों की संख्या में कमी आ सके. इधर नियुक्ति पत्र पानेवाले अधिकारी और कर्मियों ने सरकार की सराहना करते हुए कहा कि वे पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करेंगे.