रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सारंडा स्थित नुइयागड़ा गांव की गर्भवती महिलाओं के नमक भात का सेवन कर जीवन यापन करने के मामले को गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री ने उपायुक्त चाईबासा से कहा है कि यह स्थिति बर्दाश्त योग्य नहीं है. मामले में अविलंब संज्ञान लेते हुए सारंडा के इन दुर्गम क्षेत्रों में खाद्यान्न समेत सभी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए सूचित करें.
गर्भवती महिलाओं को नहीं मिल रहा भोजन
दरअसल, सीएम को जानकारी दी गई कि सारंडा स्थित नुइयागड़ा गांव की गर्भवती महिलाएं नमक, भात खाकर पहाड़ चढ़ती हैं और कुल्हाड़ी चलाती हैं. लकड़ी काट उसे बाजार में बेचती हैं. ऐसा करने पर दाल-सब्जी महीने में एक दो बार नसीब हो जाता है, अन्यथा नमक भात से ही गुजारा होता है.
गढ़वा पुलिस संलिप्त लोगों पर भी दंडात्मक कार्रवाई कर सूचित करे
इसके अलावे मुख्यमंत्री सोरेन ने उपायुक्त गढ़वा और गढ़वा पुलिस को डंडई प्रखंड स्थित जरही गांव की देवंती देवी और बच्चों को उनके परिवार के पास जल्द वापस लाने और मामले में संलिप्त लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई कर सूचित करने का निर्देश दिया है. मामले में मंत्री मिथलेश ठाकुर से भी संज्ञान लेने का अनुरोध मुख्यमंत्री ने किया है.
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यह है मामला
मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे गढ़वा जिला की एक महिला को उत्तर प्रदेश में दो बच्चों के साथ बेच दिया गया है. डंडई प्रखंड के जरही गांव की इस महिला ने किसी तरह अपने पति से फोन पर संपर्क किया और खुद को और बच्चों को बचाने की गुहार लगाई. उसके पति ने गढ़वा जिला और पुलिस प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.