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15 लाख के इनामी नक्सली बुद्धेश्वर उरांव के एनकांउटर की होगी जांच, केस टेकओवर करेगी CID - नक्सली बुद्धेश्वर उरांव के एनकांउटर की सीआईडी जांच

15 लाख के इनामी नक्सील बुद्धेश्वर उरांव (Naxali Budheshwar Oraon) के एनकाउंटर की CID जांच होगी. राज्य पुलिस के द्वारा मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission) के निर्देशों के आलोक में इस संबंध में फैसला लिया गया है. आदेश जारी होने के बाद सीआईडी गुमला के कुरूमडीह थाने में दर्ज केस को टेकओवर कर लेगी.

CID will investigat the budheshwar oraon encounte
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Published : Jul 16, 2021, 7:48 PM IST

रांची: झारखंड के गुमला जिले में पुलिस एनकाउंटर (Police Encounter) में मारे गए 15 लाख के इनामी रीजनल कमांडर बुद्धेश्वर उरांव (Budheshwar oraon) के मौत की जांच सीआईडी करेगी. राज्य पुलिस के द्वारा मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के आलोक में इस संबंध में फैसला लिया गया है. झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिली सूचना के मुताबिक पुलिस मुख्यालय के द्वारा जल्द ही केस टेकओवर करने के संबंध में आदेश जारी कर दिया जाएगा. आदेश जारी होने के बाद सीआईडी गुमला के कुरूमडीह थाने में दर्ज केस को टेकओवर कर लेगी. गौरतलब है कि सीआईडी की मानवाधिकार शाखा के द्वारा नक्सल मुठभेड़ संबंधी कांडों की जांच की जाती है.

ये भी पढ़ें: शहीद 'द्रोण' को पुलिस की श्रद्धांजलि, मारा गया 15 लाख का इनामी नक्सली बुद्धेश्वर

गुरुवार को मुठभेड़ में मारा गया था बुद्धेश्वर
राज्य पुलिस के अधिकारियों को 12 जून को सूचना मिली थी कि बुद्धेश्वर उरांव (Budheshwar oraon) अपने दस्ते के साथ गुमला के कुरूमडीह के जंगलों में छिपा है. जिसके बाद गुमला एसपी ह्रदीप पी जनार्दनन के नेतृत्व में अभियान शुरू किया गया था. अभियान में पहले ही दिन 13 जून को आईईडी धमाके के बाद श्वान द्रोणा की मौत व जवान के जख्मी होने से पुलिस को झटका लगा. दूसरे दिन भी ग्रामीण की मौत हो गई. गुरुवार की सुबह सुरक्षाबलों की टीम अभियान में ही थी, तभी माओवादियों ने फायरिंग की. जवाबी फायरिंग में बुद्धेश्वर मारा गया. पुलिस ने मौके से उसकी एके 47 समेत अन्य चीजें बरामद की हैं. बीते 20 सालों से भी अधिक समय से भाकपा माओवादी (CPI Maoist) संगठन में रहकर चुनौती बने बुद्धेश्वर उरांव के खिलाफ 109 नक्सल कांड दर्ज थे, वह 38 हत्याओं का भी आरोपी था.


हाल के दिनों में बड़ी सफलता
हाल के दिनों में भाकपा माओवादियों (CPI Maoist) के खिलाफ पुलिस को सबसे बड़ी सफलता मिली है. पुलिस के द्वारा बुद्धेश्वर को मार गिराने से गुमला में माओवादियो के प्रभाव में कमी आएगी, उनका अर्थतंत्र भी टूटेगा. वहीं, माओवादी सैक कमांडर विमल यादव के भी पुलिस के संपर्क में आने से माओवादियों को झटका लगा है. विमल भी जल्द ही पुलिस के समक्ष सरेंडर कर सकता है.

रांची: झारखंड के गुमला जिले में पुलिस एनकाउंटर (Police Encounter) में मारे गए 15 लाख के इनामी रीजनल कमांडर बुद्धेश्वर उरांव (Budheshwar oraon) के मौत की जांच सीआईडी करेगी. राज्य पुलिस के द्वारा मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के आलोक में इस संबंध में फैसला लिया गया है. झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिली सूचना के मुताबिक पुलिस मुख्यालय के द्वारा जल्द ही केस टेकओवर करने के संबंध में आदेश जारी कर दिया जाएगा. आदेश जारी होने के बाद सीआईडी गुमला के कुरूमडीह थाने में दर्ज केस को टेकओवर कर लेगी. गौरतलब है कि सीआईडी की मानवाधिकार शाखा के द्वारा नक्सल मुठभेड़ संबंधी कांडों की जांच की जाती है.

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गुरुवार को मुठभेड़ में मारा गया था बुद्धेश्वर
राज्य पुलिस के अधिकारियों को 12 जून को सूचना मिली थी कि बुद्धेश्वर उरांव (Budheshwar oraon) अपने दस्ते के साथ गुमला के कुरूमडीह के जंगलों में छिपा है. जिसके बाद गुमला एसपी ह्रदीप पी जनार्दनन के नेतृत्व में अभियान शुरू किया गया था. अभियान में पहले ही दिन 13 जून को आईईडी धमाके के बाद श्वान द्रोणा की मौत व जवान के जख्मी होने से पुलिस को झटका लगा. दूसरे दिन भी ग्रामीण की मौत हो गई. गुरुवार की सुबह सुरक्षाबलों की टीम अभियान में ही थी, तभी माओवादियों ने फायरिंग की. जवाबी फायरिंग में बुद्धेश्वर मारा गया. पुलिस ने मौके से उसकी एके 47 समेत अन्य चीजें बरामद की हैं. बीते 20 सालों से भी अधिक समय से भाकपा माओवादी (CPI Maoist) संगठन में रहकर चुनौती बने बुद्धेश्वर उरांव के खिलाफ 109 नक्सल कांड दर्ज थे, वह 38 हत्याओं का भी आरोपी था.


हाल के दिनों में बड़ी सफलता
हाल के दिनों में भाकपा माओवादियों (CPI Maoist) के खिलाफ पुलिस को सबसे बड़ी सफलता मिली है. पुलिस के द्वारा बुद्धेश्वर को मार गिराने से गुमला में माओवादियो के प्रभाव में कमी आएगी, उनका अर्थतंत्र भी टूटेगा. वहीं, माओवादी सैक कमांडर विमल यादव के भी पुलिस के संपर्क में आने से माओवादियों को झटका लगा है. विमल भी जल्द ही पुलिस के समक्ष सरेंडर कर सकता है.

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