रांची: राजधानी रांची में लूट, छिनतई की घटनाओं में थानेदार मामूली धारा लगा रहे हैं. रांची के जोनल आईजी नवीन कुमार सिंह ने छिनतई की घटनाओं की समीक्षा के बाद एक गोपनीय रिपोर्ट रांची एसएसपी को भेजी है. रिपोर्ट में थानेदारों के लापरवाही को लेकर आईजी ने कई बातों का जिक्र किया है.
क्या है रिपोर्ट में
आईजी के रिपोर्ट में जिक्र है कि हाल के दिनों में उन्होंने रांची में छिनतई की वारदातों की समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने पाया कि रांची में थानेदार ऐसी घटनाओं में प्राथमिकी के आधार पर एफआईआर नहीं कर रहे हैं. किसी भी प्राथमिकी में पीड़ित पर लाठी- डंडे से हमला या चाकू के इस्तेमाल का जिक्र तक नहीं है. थाना प्रभारियों के द्वारा ऐसे मामलों में लूट से संबंधित धारा 392 का उपयोग नहीं किया जा रहा है. थानेदार महज चोरी से संबंधित धारा 356 और 382 का इस्तेमाल कर रहे हैं. जबकि 392 आईपीसी के तहत आरोपी को दस साल की सश्रम कारावास की सजा दिलाई जा सकती है. सजा मिलने से अपराध रुकेगा.
फर्द बयान पर दर्ज करें एफआईआर
जोनल आईजी ने आदेश जारी किया है कि छिनतई की घटनाओं के बाद पुलिस पीड़ित का फर्दबयान लें. फर्दबयान के आधार पर ही एफआईआर दर्ज करें. आईजी ने रांची पुलिस के द्वारा समीक्षा के लिए भेजे गए केस की संख्या की गड़बड़ी पर भी आपत्ति जताई है. उन्होंने लिखा है कि रांची में छिनतई से संबंधित 97 केस हैं, लेकिन निष्पादित या अनुसंधानरत केस की संख्या 63 बताई गई है. ऐसे में आगे से आंकड़ों की गड़बड़ी न करें.
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'समीक्षा करें एसपी, लापरवाह पुलिसकर्मियों को हटाएं'
रांची में दर्ज सारे कांडों की समीक्षा नए सिरे से करने का निर्देश भी जोनल आईजी ने रांची सिटी और ग्रामीण एसपी को दिया है. समीक्षा कर जरूरी धाराओं को जोड़ने का निर्देश दिया गया है. जोनल आईजी ने निर्देश दिया है कि घटित घटनाओं के आधार पर नए सिरे से हॉट स्पॉट चिन्हित करें. जिन इलाकों में अधिक वारदात हुए हैं, वहां की टीओपी और टाइगर मोबाइल के जवानों को एसपी निर्देशित करें, फिर भी घटनाएं न रूकें तो लापरवाह पुलिसकर्मियों को वहां से हटाएं.