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रांची में शिक्षकों की मेहनत से सरकारी स्कूल बना स्मार्ट, निजी विद्यालय को दे रहा टक्कर - रांची न्यूज

अगर मजबूत इच्छाशक्ति हो तो मुश्किल परिस्थितियों में भी बेहतर काम किया जा सकता है. इसका उदाहरण है राजकीय मध्य विद्यालय बरियातू. बिना सरकारी फंड के प्राचार्य ने मूलभूत सुविधाएं विकसित की.

government school in Ranchi
रांची में शिक्षकों की मेहनत से सरकारी स्कूल बना स्मार्ट
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Published : Apr 6, 2022, 6:42 PM IST

रांचीः झारखंड सरकार की ओर से करोड़ों रुपये खर्च कर निजी स्कूल की तर्ज पर सरकारी स्कूलों को विकसित किया जा रहा है. इन स्कूलों का नाम मॉडल स्कूल दिया गया है. लेकिन मॉडल स्कूल से हट कर एक ऐसा भी सरकारी स्कूल है, जिसे शिक्षकों ने संवारा है. यह स्कूल है राजकीय मध्य विद्यालय बरियातू, जहां प्राचार्य की दूरदर्शिता और शिक्षकों की मेहतन से स्कूल को स्मार्ट बनाया गया है.

यह भी पढ़ेंः चतरा के इस सरकारी स्कूल की बात है निराली, यहां की दीवारें भी पढ़ाती हैं

सरकारी स्कूलों का डेवलपमेंट तब होता है, जब सरकार की ओर से राशि मुहैया कराई जाती है. लेकिन राजकीय मध्य विद्यालय में सरकारी फंड उपलब्ध नहीं होने के बावजूद मूलभूत सुविधाएं विकसित की गई. सीमित संसाधन और शिक्षकों की इच्छाशक्ति की बदौलत स्कूल में स्मार्ट क्लास के साथ साथ बेहतर शौचालय, बेसिन और पीने के पानी आदि की व्यवस्था की गई है. इतना ही नहीं, स्कूल परिसर की समुचित सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की गई. इससे स्कूल परिसर हमेशा साफ-सुथरा दिखता है. स्थिति यह है कि जिले के अन्य सरकारी स्कूलों के लिए आदर्श होने के साथ साथ निजी विद्यालयों को टक्कर दे रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को स्मार्ट क्लास के जरिए स्मार्ट बनाया जा रहा है. स्कूल प्राचार्य के साथ साथ शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों की भागीदारी से आदर्श व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. कोरोना काल में सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया था. यह सरकारी स्कूल बंद था. लेकिन स्कूल की और से बच्चों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा उपलब्ध कराई गई. अब स्कूल खुल गए हैं, तो बच्चे क्लास रूम में स्मार्ट तरीके से पढ़ाई कर रहे हैं. यह व्यवस्था राज्य के अन्य सरकारी स्कूलों में नहीं दिखती है.

स्कूल के प्रिंसिपल नसीम अहमद कहते हैं सिर्फ इच्छाशक्ति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि स्कूल को डेवलप करने में शिक्षकों और कर्मचारियों का पूरा सहयोग मिला है. उन्होंने कहा कि अनुशासन के साथ साथ पठन-पाठन कार्य संचालित किए जाते हैं, जो अन्य सरकारी स्कूलों से बिल्कुल अलग है. विद्यार्थियों को हर दिन अलग-अलग पैटर्न में पढ़ाई कराई जाती है. स्मार्ट क्लास में विद्यार्थियों को स्मार्ट बनने के टिप्स दिए जाते हैं. स्कूल की शिक्षिका कहती हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी काफी होनहार होते हैं. उन्हें सही दिशा मिले तो बेहतर परिणाम दे सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः जहां कभी बम और बारूद की होती थी गंध, आज वहां है सरकारी स्मार्ट स्कूल

स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं कहते हैं कि प्रत्येक क्लास में शिक्षक उपस्थित होते हैं, जो अलग-अलग विषय पर पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि रोजाना स्कूल आते हैं और क्लास पूरी करने के बाद ही घर लौटते हैं. कहीं कोई दिक्कत होती है तो शिक्षक शीघ्र ही समाधान कर देते हैं.

रांचीः झारखंड सरकार की ओर से करोड़ों रुपये खर्च कर निजी स्कूल की तर्ज पर सरकारी स्कूलों को विकसित किया जा रहा है. इन स्कूलों का नाम मॉडल स्कूल दिया गया है. लेकिन मॉडल स्कूल से हट कर एक ऐसा भी सरकारी स्कूल है, जिसे शिक्षकों ने संवारा है. यह स्कूल है राजकीय मध्य विद्यालय बरियातू, जहां प्राचार्य की दूरदर्शिता और शिक्षकों की मेहतन से स्कूल को स्मार्ट बनाया गया है.

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सरकारी स्कूलों का डेवलपमेंट तब होता है, जब सरकार की ओर से राशि मुहैया कराई जाती है. लेकिन राजकीय मध्य विद्यालय में सरकारी फंड उपलब्ध नहीं होने के बावजूद मूलभूत सुविधाएं विकसित की गई. सीमित संसाधन और शिक्षकों की इच्छाशक्ति की बदौलत स्कूल में स्मार्ट क्लास के साथ साथ बेहतर शौचालय, बेसिन और पीने के पानी आदि की व्यवस्था की गई है. इतना ही नहीं, स्कूल परिसर की समुचित सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की गई. इससे स्कूल परिसर हमेशा साफ-सुथरा दिखता है. स्थिति यह है कि जिले के अन्य सरकारी स्कूलों के लिए आदर्श होने के साथ साथ निजी विद्यालयों को टक्कर दे रहा है.

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स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को स्मार्ट क्लास के जरिए स्मार्ट बनाया जा रहा है. स्कूल प्राचार्य के साथ साथ शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों की भागीदारी से आदर्श व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. कोरोना काल में सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया था. यह सरकारी स्कूल बंद था. लेकिन स्कूल की और से बच्चों को ऑनलाइन क्लास की सुविधा उपलब्ध कराई गई. अब स्कूल खुल गए हैं, तो बच्चे क्लास रूम में स्मार्ट तरीके से पढ़ाई कर रहे हैं. यह व्यवस्था राज्य के अन्य सरकारी स्कूलों में नहीं दिखती है.

स्कूल के प्रिंसिपल नसीम अहमद कहते हैं सिर्फ इच्छाशक्ति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि स्कूल को डेवलप करने में शिक्षकों और कर्मचारियों का पूरा सहयोग मिला है. उन्होंने कहा कि अनुशासन के साथ साथ पठन-पाठन कार्य संचालित किए जाते हैं, जो अन्य सरकारी स्कूलों से बिल्कुल अलग है. विद्यार्थियों को हर दिन अलग-अलग पैटर्न में पढ़ाई कराई जाती है. स्मार्ट क्लास में विद्यार्थियों को स्मार्ट बनने के टिप्स दिए जाते हैं. स्कूल की शिक्षिका कहती हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी काफी होनहार होते हैं. उन्हें सही दिशा मिले तो बेहतर परिणाम दे सकते हैं.

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स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं कहते हैं कि प्रत्येक क्लास में शिक्षक उपस्थित होते हैं, जो अलग-अलग विषय पर पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि रोजाना स्कूल आते हैं और क्लास पूरी करने के बाद ही घर लौटते हैं. कहीं कोई दिक्कत होती है तो शिक्षक शीघ्र ही समाधान कर देते हैं.

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