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शहरी तालाबों के सौंदर्यीकरण में कंक्रीट दीवार बनाने पर रोक, अन्य जगहों पर घेराबंदी के मानक तय - पार्कों की घेराबंदी

मुख्य सचिव ने राज्य में चहारदीवारी निर्माण के मापदंड तय किए हैं. उन्होंने कहा कि शहरी, अर्द्ध शहरी, नगर निकाय ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चहारदीवारी निर्माण के प्रस्ताव है जिसकी वजह से करोड़ों रुपए खर्च होंगे. लिहाजा जरूरत के हिसाब से निर्माण कार्य होना चाहिए. चहारदीवारी निर्माण सुरक्षा, भूमि के अतिक्रमण से बचाव और निजता के उद्देश्य से ही कराए जाने चाहिए.

फाइल फोटो
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Published : Jul 10, 2019, 10:45 PM IST

रांची: झारखंड के किसी भी नगर निगम और शहरी निकाय क्षेत्रों में तालाबों के सौंदर्यीकरण में कंक्रीट की दीवार से घेराबंदी नहीं होगी. मुख्य सचिव डीके तिवारी ने इस बारे में निर्देश जारी किया है. उन्होंने बताया कि कंक्रीट की चहारदीवारी के कारण जल स्रोतों में पानी की कमी, प्राकृतिक हरियाली और पर्यावरण के लगातार नुकसान होने की स्थिति बन रही है. इस पर पाबंदी लगाना जरूरी है.


मुख्य सचिव ने राज्य में चहारदीवारी निर्माण के मापदंड तय किए हैं. उन्होंने कहा कि शहरी, अर्द्ध शहरी, नगर निकाय ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चहारदीवारी निर्माण के प्रस्ताव है जिसकी वजह से करोड़ों रुपए खर्च होंगे. लिहाजा जरूरत के हिसाब से निर्माण कार्य होना चाहिए. चहारदीवारी निर्माण सुरक्षा, भूमि के अतिक्रमण से बचाव और निजता के उद्देश्य से ही कराए जाने चाहिए. उन्होंने कहा है कि पक्की चहारदीवारी की जगह अन्य विकल्प भी मौजूद हैं, जो पर्यावरण, प्रकृतिक सुंदरता तथा जल संरक्षण जैसे मानकों के अनुरूप हैं. इसके साथ ही इसकी लागत भी तुलनात्मक दृष्टिकोण से कम है.

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चहारदीवारी निर्माण के चार उद्देश्य
मुख्य सचिव के मुताबिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से अतिक्रमण से बचाव और सीमांकन, निजता की रक्षा, सीमांकन और सौंदर्यीकरण मानक होंगे. उन्होंने कहा है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से चहारदीवारी निर्माण में ईंट और ग्रिल का उपयोग करें तथा इसे संवेदनशील स्थलों और भंडारण स्थल तक ही सीमित रखें. अब झारखंड के स्कूलों और छात्रावास सहित स्वास्थ्य केंद्रों व आंगनबाड़ी केंद्रों में सिर्फ फेंसिंग होगा. इसके साथ ही कब्रिस्तान की ट्रेंचिंग और पिलरिंग, तालाब की हेजिंग और ग्रिलिंग, बालिका विद्यालयों और छात्रावासों की चहारदीवारी ईंट और कॉन्सरटिना वायर तथा पंचायत भवनों की फेंसिंग और हेजिंग होगी.


ग्रिल से होगी पार्कों की चौतरफा घेराबंदी
प्रखंड-अंचल परिसर सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की सड़क की तरफ ग्रिल वॉल तथा पीछे की ओर चहारदीवारी बनेगी. वहीं विद्यालयों में हेजिंग और फेंसिंग तथा कॉलेजों, आईटीआई, छात्रावासों की घेराबंदी हेजिंग, फेंसिंग और ग्रिल से होगी. इसी तरह महिला कार्यकारी छात्रावास, आवासीय परिसरों तथा थाना परिसरों की चहारदीवारी के मानक तय किए गए हैं. नगर निगम क्षेत्र में चहारदीवारी निर्माण के तय मापदंड के अनुसार थानों के सामने सड़क की ओर सिर्फ ग्रिल से घेराबंदी होगी. अन्य दिशाओं में चहारदीवारी बनाई जा सकेगी. अस्पतालों में भी यही व्यवस्था रहेगी. पार्कों की चौतरफा घेराबंदी सिर्फ ग्रिल से होगी. छात्र-छात्रावास तथा विद्यालय व महाविद्यालयों की सिर्फ फेंसिंग और ग्रिल से घेराबंदी होगी.


सिर्फ महिला छात्रावासों में पक्की चहारदीवारी करायी जा सकेगी. उसके साथ सरकारी कार्यालयों की सड़क की तरफ घेराबंदी ग्रिल से होगी. मुख्य सचिव ने चहारदीवारी निर्माण के मानक तय करने के साथ यह भी स्पष्ट किया है कि बिना राज्य सरकार की स्पष्ट अनुमति प्राप्त किए अलग ढंग से निर्माण को गंभीरता से लिया जाएगा.

रांची: झारखंड के किसी भी नगर निगम और शहरी निकाय क्षेत्रों में तालाबों के सौंदर्यीकरण में कंक्रीट की दीवार से घेराबंदी नहीं होगी. मुख्य सचिव डीके तिवारी ने इस बारे में निर्देश जारी किया है. उन्होंने बताया कि कंक्रीट की चहारदीवारी के कारण जल स्रोतों में पानी की कमी, प्राकृतिक हरियाली और पर्यावरण के लगातार नुकसान होने की स्थिति बन रही है. इस पर पाबंदी लगाना जरूरी है.


मुख्य सचिव ने राज्य में चहारदीवारी निर्माण के मापदंड तय किए हैं. उन्होंने कहा कि शहरी, अर्द्ध शहरी, नगर निकाय ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चहारदीवारी निर्माण के प्रस्ताव है जिसकी वजह से करोड़ों रुपए खर्च होंगे. लिहाजा जरूरत के हिसाब से निर्माण कार्य होना चाहिए. चहारदीवारी निर्माण सुरक्षा, भूमि के अतिक्रमण से बचाव और निजता के उद्देश्य से ही कराए जाने चाहिए. उन्होंने कहा है कि पक्की चहारदीवारी की जगह अन्य विकल्प भी मौजूद हैं, जो पर्यावरण, प्रकृतिक सुंदरता तथा जल संरक्षण जैसे मानकों के अनुरूप हैं. इसके साथ ही इसकी लागत भी तुलनात्मक दृष्टिकोण से कम है.

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चहारदीवारी निर्माण के चार उद्देश्य
मुख्य सचिव के मुताबिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से अतिक्रमण से बचाव और सीमांकन, निजता की रक्षा, सीमांकन और सौंदर्यीकरण मानक होंगे. उन्होंने कहा है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से चहारदीवारी निर्माण में ईंट और ग्रिल का उपयोग करें तथा इसे संवेदनशील स्थलों और भंडारण स्थल तक ही सीमित रखें. अब झारखंड के स्कूलों और छात्रावास सहित स्वास्थ्य केंद्रों व आंगनबाड़ी केंद्रों में सिर्फ फेंसिंग होगा. इसके साथ ही कब्रिस्तान की ट्रेंचिंग और पिलरिंग, तालाब की हेजिंग और ग्रिलिंग, बालिका विद्यालयों और छात्रावासों की चहारदीवारी ईंट और कॉन्सरटिना वायर तथा पंचायत भवनों की फेंसिंग और हेजिंग होगी.


ग्रिल से होगी पार्कों की चौतरफा घेराबंदी
प्रखंड-अंचल परिसर सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की सड़क की तरफ ग्रिल वॉल तथा पीछे की ओर चहारदीवारी बनेगी. वहीं विद्यालयों में हेजिंग और फेंसिंग तथा कॉलेजों, आईटीआई, छात्रावासों की घेराबंदी हेजिंग, फेंसिंग और ग्रिल से होगी. इसी तरह महिला कार्यकारी छात्रावास, आवासीय परिसरों तथा थाना परिसरों की चहारदीवारी के मानक तय किए गए हैं. नगर निगम क्षेत्र में चहारदीवारी निर्माण के तय मापदंड के अनुसार थानों के सामने सड़क की ओर सिर्फ ग्रिल से घेराबंदी होगी. अन्य दिशाओं में चहारदीवारी बनाई जा सकेगी. अस्पतालों में भी यही व्यवस्था रहेगी. पार्कों की चौतरफा घेराबंदी सिर्फ ग्रिल से होगी. छात्र-छात्रावास तथा विद्यालय व महाविद्यालयों की सिर्फ फेंसिंग और ग्रिल से घेराबंदी होगी.


सिर्फ महिला छात्रावासों में पक्की चहारदीवारी करायी जा सकेगी. उसके साथ सरकारी कार्यालयों की सड़क की तरफ घेराबंदी ग्रिल से होगी. मुख्य सचिव ने चहारदीवारी निर्माण के मानक तय करने के साथ यह भी स्पष्ट किया है कि बिना राज्य सरकार की स्पष्ट अनुमति प्राप्त किए अलग ढंग से निर्माण को गंभीरता से लिया जाएगा.

Intro:Note - इस खबर में मुख्य सचिव डीके तिवारी की तस्वीर लगा सकते हैं

शहरी तालाबों के सौंदर्यीकरण में कंक्रीट दीवार बनाने पर रोक, अन्य जगहों पर घेराबंदी के मानक तय

रांची

झारखंड के किसी भी नगर निगम और शहरी निकाय क्षेत्रों में तालाबों के सौंदर्यीकरण में कंक्रीट की दीवार से घेराबंदी नही होगी। मुख्य सचिव डीके तिवारी ने इस बाबत निर्देश जारी किया है। उन्होंने बताया कि
कंक्रीट की चहारदीवारी के कारण जल स्रोतो में पानी की कमी, प्राकृतिक हरियाली और पर्यावरण के लगातार नुकसान होने की स्थिति बन रही है। इस पर पाबंदी लगाना जरूरी है। मुख्य सचिव ने राज्य में चहारदीवारी निर्माण के मापदंड तय किए हैं। उन्होंने कहा कि शहरी, अर्द्ध शहरी, नगर निकाय ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में चहारदीवारी निर्माण के प्रस्ताव है जिसकी वजह से करोड़ों रुपए खर्च होंगे। लिहाजा जरूरत के हिसाब से निर्माण कार्य होना चाहिए।
चहारदीवारी निर्माण सुरक्षा,भूमि के अतिक्रमण से बचाव और निजता के उद्देश्य से ही कराये जाने चाहिए। उन्होंने कहा है कि पक्की चहारदीवारी की जगह अन्य विकल्प भी मौजूद हैं, जो पर्यावरण, प्रकृतिक सुंदरता तथा जल संरक्षण जैसे मानको के अनुरूप हैं। साथ ही इसकी लागत भी तुलनात्मक दृष्टिकोण से कम है।

चहारदीवारी निर्माण के चार उद्देश्य

मुख्य सचिव के मुताबिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से, अतिक्रमण से बचाव और सीमांकन, निजता की रक्षा, सीमांकन और सौंदर्यीकरण* मानक होंगे। उन्होंने कहा है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से चहारदीवारी निर्माण में ईंट और ग्रिल का उपयोग करें तथा इसे संवेदनशील स्थलों और भंडारण स्थल तक ही सीमित रखें।

जगह के हिसाब से घेराबंदी के अलग-अलग उपाय

अब झारखंड के स्कूलों और छात्रावास सहित स्वास्थ्य केंद्रों व आंगनबाड़ी केंद्रों में सिर्फ फेंसिंग होगा। साथ ही कब्रिस्तान की ट्रेंचिंग और पिलरिंग, तालाब की हेजिंग और ग्रिलिंग,बालिका विद्यालयों और छात्रावासों की चहारदीवारी ईंट और कॉन्सरटिना वायर तथा पंचायत भवनों की फेंसिंग और हेजिंग होगी।

प्रखंड-अंचल परिसर सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की सड़क की तरफ ग्रिल वॉल तथा पीछे की ओर चहारदीवारी बनेगी। वहीं विद्यालयों में हेजिंग और फेंसिंग तथा कॉलेजों, आईटीआई, छात्रावासों की घेराबंदी हेजिंग, फेंसिंग और ग्रिल से होगी। इसी तरह महिला कार्यकारी छात्रावास, आवासीय परिसरों तथा थाना परिसरों की चहारदीवारी के मानक तय किये गये हैं ।







Body:नगर निगम क्षेत्र में चहारदीवारी निर्माण के तय मापदंड के अनुसार थानों के सामने सड़क की ओर सिर्फ ग्रिल से घेराबंदी होगी। अन्य दिशाओं में चहारदीवारी बनाई जा सकेगी। अस्पतालों में भी यही व्यवस्था रहेगी। पार्कों की चौतरफा घेराबंदी सिर्फ ग्रिल से होगी। छात्र छात्रावास तथा विद्यालय व महाविद्यालयों की सिर्फ फेंसिंग और ग्रिल से घेराबंदी होगी। सिर्फ महिला छात्रावासों में पक्की चहारदीवारी करायी जा सकेगी। उसके साथ सरकारी कार्यालयों की सड़क की तरफ घेराबंदी ग्रिल से होगी।Conclusion:मुख्य सचिव ने चहारदीवारी निर्माण के मानक तय करने के साथ यह भी स्पष्ट किया है कि बिना राज्य सरकार की स्पष्ट अनुमति प्राप्त किये अलग ढंग से निर्माण को गंभीरता से लिया जायेगा।
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