रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के छठे दिन विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कई सदस्यों ने मंत्रियों से सवाल पूछे हैं. जिस पर मंत्रियों ने सिलसिलेवार तरीकों से जवाब दिया. सदन में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने भी विधायकों के कई सवालों के जवाब दिए. सीएम ने स्थानीय नीति, पिछड़ों को आरक्षण, और भाषा विवाद जैसे तमाम मुद्दों पर सरकार का पक्ष सदन में रखा.
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सदन में नक्सली हिंसा पर सवाल: सदन में बीजेपी विधायक विरंची नारायण ने झारखंड में नक्सली हिंसा पर सरकार से सवाल पूछा. उन्होंन कहा कि राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक 1587 आम नागरिकों की नक्सली हिंसा के दौरान मौत हुई है. लेकिन इनमें से 50% आश्रितों को अब तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि झारखंड में 2010 में आत्मसमर्पण नीति लागू होने के बाद से जनवरी 2022 तक कुल 231 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. जबकि झारखंड राज्य बनने से लेकर अब तक 1587 आम नागरिकों में से 793 अभी भी प्रतीक्षारत है. जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि इस मामले में नियोजन की प्रक्रिया जिला स्तर पर होती है. कई बार ऐसा होता है कि मृतक परिवार में नाबालिग भी होते हैं. उनके बालिग होने तक इंतजार करना पड़ता है. बिरंची नारायण ने कहा कि 793 लोगों का मामला लंबित है. ऐसा क्यों है. इसकी जांच करने के लिए विधानसभा की कमेटी बननी चाहिए. जवाब में प्रभारी मंत्री ने कहा कि सभी जिलों के डीसी को पत्र भेजकर पूरा स्टेटस रिपोर्ट मांगा जाएगा.
JSSC में हिंदी बने ऑप्शनल पेपर: झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के छठे दिन मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से ली जाने वाली परीक्षाओं में हिंदी की अनदेखी का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि इस राज्य के सभी स्कूलों में हिंदी में पढ़ाई होती है. सभी सरकारी काम भी हिंदी में ही होते हैं. इसलिए जन भावना को देखते हुए ऑप्शनल पेपर में भी हिंदी को शामिल किया जाना चाहिए.
इसके जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष इन दिनों भाषा और आरक्षण को राजनीतिक मुद्दा बना रहा है. लेकिन सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है. उन्होंने कहा कि किसने कह दिया कि हिंदी को हटा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रश्न पत्र एक में भाषा ज्ञान में हिंदी और अंग्रेजी पहले से ही शामिल है. जहां तक हिंदी को ऑप्शनल पेपर के रूप में शामिल करने की बात है तो यह इसलिए संभव नहीं है क्योंकि वर्तमान सरकार क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता दे रही है. ताकि यहां के स्थानीय भाषा बोलने वालों को सरकारी नौकरी में ज्यादा से ज्यादा जगह मिल सके. उन्होंने कहा कि ऐसे में हिंदी को लाने का कोई औचित्य नहीं है इससे डबलिंग हो जाएगा.
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सरकार खुद करे बहाली: मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक अनंत ओझा ने सरकार से आग्रह किया कि कई स्तर पर आउटसोर्सिंग कंपनियों के जरिए निविदा पर लोगों को रखा जा रहा है . इनको आउटसोर्सिंग कंपनियां प्रताड़ित करती हैं. उन्हें सेवा से निकालने की धमकी दी जाती है. अनंत ओझा ने कहा कि सरकार को अपने स्तर से निविदा निकालकर जरूरत के हिसाब से लोगों को रखना चाहिए. जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस मसले से सरकार अवगत है. इसके समाधान की दिशा में सरकार कोशिश कर रही है.
ओबीसी को आरक्षण की मांग: मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान आजसू विधायक लंबोदर महतो ने झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा का हवाला देते हुए राज्य में ओबीसी को 50% तक आरक्षण देने की सरकार से मांगी की. आजसू विधायक लंबोदर महतो ने सरकार से पूछा कि राज्य में ओबीसी को सिर्फ 14% आरक्षण मिल रहा है जबकि झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने 50% तक आरक्षण देने की अनुशंसा की थी. सरकार को बताना चाहिए कि महाराष्ट्र और तमिलनाडु के तर्ज पर ओबीसी के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाएगा या नहीं.
जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार भी आरक्षण बढ़ाने के पक्ष में है. लेकिन विपक्ष इसको लगातार राजनीतिक मुद्दा बना रही है. उन्होंने कहा कि सरकार इस मसले पर विधि सम्मत फैसला लेगी. महाराष्ट्र और तमिलनाडु का ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों की नीति का अध्ययन किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरीके से इस मुद्दे को लेकर राजनीति हो रही है, उससे ऐसा लग रहा है कि एसटी-एससी को यूक्रेन भेजना पड़ेगा. हालांकि प्रश्नकाल के दौरान व्यवस्था के तहत सत्ता पक्ष के विधायकों ने इस मसले पर विपक्ष को घेरते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में ही आरक्षण की व्यवस्था हुई थी. फिर भी आज विपक्ष में बैठे भाजपा वाले इस को लेकर राजनीति कर रहे हैं.