रांचीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कोरोना संकट से निपटने को लेकर राज्य की तैयारियों का जिक्र किया. इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान आर्थिक गतिविधियों को चालू करने पर अपने विचार बताएं. उन्होंने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की वापसी की कोशिशों के बारे में बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष अपील भी की.
मजदूरों की वापसी
मजदूर दिवस पर झारखंड के प्रवासी मजदूरों के रांची पहुंचने पर हेमंत सोरेन ने खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा कि हैदराबाद से झारखंड के एक हजार से ज्यादा मजदूर ट्रेन के जरिए हटिया पहुंचे हैं. इससे बहुत दिनों बाद लोगों के चेहरे में खुशी देखने को मिली है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील
हेमंत सोरेन ने कहा कि वे ईटीवी भारत के माध्यम से पीएम से आग्रह करते हैं कि राज्यों के पास धन संग्रह की कोई व्यवस्था नहीं, ऐसे में पूरी अर्थव्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर है. रेलवे को सबसे ज्यादा रेवेन्यू झारखंड से मिलता है. झारखंड की खनिज संपदा से पूरा देश जगमगता है. जितनी रॉयल्टी मिलती है उससे सौ गुना ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है. यदि ये राज्य दुधारू गाय है तो चारा की आवश्यकता भी पड़ती है. पीएम से अपील है कि ऐसे राज्यों पर विशेष ध्यान दें.
स्वास्थ्यकर्मियों को सलाम
उन्होंने कहा कि यहां के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी दिन रात काम कर रहे हैं. निजी अस्पताल अपना दरवाजा बंद कर बैठे हैं, ये चिंता का विषय है लेकिन सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाने वाले लोग आज इसी के भरोसे हैं. सरकारी कर्मचारी बेहद कम संसाधन के साथ संक्रमण से जूझते हुए लोगों के इलाज में जुटे हैं. कोरोना की न पहचान है, न लक्षण है, न इलाज है. अभी संक्रमण का समय है ये कैसे आएगा कोई नहीं बता सकता इसलिए सरकार के गाइड लाइन का पालन करें. बुजुर्ग और बच्चों का खास ध्यान रखें.
केंद्र से बड़ी उम्मीद
झारखंड को केंद्र सरकार से ज्यादा उम्मीद है. एक ओर धन संग्रह करने के आधार नहीं रह गए हैं तो दूसरी ओर अभी तक जीएसटी का भी पैसा नहीं मिला हैं .कोरोना के कारण राज्यों के पास पैसे नहीं हैं ऐसे में केंद्र से सहयोग की उम्मीद है. देश की आर्थिक हालत किसी से छिपी नहीं है. झारखंड भी कोई विशेष पैकेज नहीं मांग रहा है. ये राज्य सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा है. आदिवासी बहुल इस राज्य को आगे बढ़ाने की जरूरत है.
आर्थिक गतिविधियां शुरू
झारखंड सिमित संसाधनों के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. ग्रीन जोन में आर्थिक गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं. ग्रामीण इलाकों में मनरेगा का काम चल रहा है. रांची रेड जोन में है और 9 जिले ऑरेंज जोन में. बाकी 14 जिले ग्रीन जोन में हैं, जहां गतिविधियां चालू हैं. जहां से संक्रमण की सूचना है, उसे गंभीरता से ले रहे हैं.
यहां देखें पूरी बातचीतःCM हेमंत सोरेन ने ईटीवी भारत के जरिए पीएम मोदी से की अपील, कहा- झारखंड की करें आर्थिक मदद
मनरेगा की दर पर सवाल
झारखंड में मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी अन्य विकसित राज्यों की तुलना में कम है. सीएम हेमंत सोरेन ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि इसी की वजह से राज्य के मजदूर पलायन करने के लिए मजबूर हो जाते हैं. केंद्र को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि ग्रामीणों को रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों का रुख न करना पड़े.
गांवों में सोशल डिस्टेंसिंग
झारखंड के नब्बे फीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैंय यहां संक्रमण की संख्या यदा-कदा है. राज्य में आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों की बहुलता है. सीएम ने कहा कि 'हमारी समस्या तब बढ़ेगी जब प्रवासी राज्य वापस आएंगे. हम मान कर चल रहे हैं कि दूसरे राज्यों से मजदूर और छात्र के साथ कोरोना को लेकर भी आ रहे हैं. इसके लिए पहले से ही तैयारी कर ली गई है. गांवों में सोशल पुलिसिंग को एक्टिव किया गया है. वैसे गांव के स्तर पर कोरोना संक्रमण के प्रारंभ के दिनों से ही ग्रामीण खुद बैरिकेडिंग कर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं.'
राहत कोष काफी नहीं
मुख्यमंत्री राहत कोष पीएम केयर के अपेक्षा नगन्य है. सीएम ने बताया कि अभी इसमें ज्यादा मदद नहीं मिली है. ये राहत कोष पहले से ही लेकिन इसमें लोगों से उतनी मदद नहीं मिल रही है. ये कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए नाकाफी है.