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पत्रकार को चतरा पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के केस में फंसाया, डीएसपी को DIG ने किया शो-कॉज

चतरा पुलिस ने एक पत्रकार को ड्रग्स तस्करी के केस में फर्जी तरीके से फंसा दिया. पूरे मामले में सच्चाई तब सामने आई जब पत्रकार रविभूषण सिन्हा की पत्नी के आवेदन की जांच कराई गई.

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Published : Feb 8, 2020, 7:23 AM IST

Updated : Feb 8, 2020, 7:30 AM IST

रांची: चतरा पुलिस ने एक पत्रकार को ड्रग्स तस्करी के केस में फर्जी तरीके से फंसा दिया. नामजद एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिसवालों ने पत्रकार के खिलाफ केस में सुपरविजन कर दोष को सत्य भी करार दिया. लेकिन पूरे मामले में सच्चाई तब सामने आई जब पत्रकार रविभूषण सिन्हा की पत्नी के आवेदन की जांच कराई गई.

डीआईजी ने किया शोकॉज
मामले की समीक्षा के बाद हजारीबाग डीआईजी पंकज कंबोज ने डीएसपी आशुतोष कुमार सत्यम को शो-कॉज कर सात दिनों में जवाब मांगा है. वहीं केस के अनुसंधान से जुड़े अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है. डीएसपी की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं देने पर पुलिस मुख्यालय के स्तर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा भी की जाएगी. पूरे मामले में डीआईजी पंकज कंबोज ने एक गोपनीय रिपोर्ट सीआईडी और राज्य पुलिस मुख्यालय के आईजी को भी भेजी है.

ये भी पढ़ें- गुमला सदर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही, एंबुलेंस की आस में महिला की रुकी सांस


क्या है मामला
16 जून 2019 को ईटखोरी थाना में जमादार ललन दुबे के बयान पर अरूण कुमार, अजीत कुमार, अर्जुन पासवान, अनुप कुमार, संदीप कुमार, विनोद कुमार दांगी, पत्रकार रवि भूषण सिन्हा, हरेराम के खिलाफ नशीला पदार्थ की तस्करी की एफआईआर दर्ज कराई गई थी.10 जुलाई को आरोपी पत्रकार की पत्नी प्रियंका वर्मा ने एक आवेदन दिया था, लेकिन आवेदन की पुलिस ने जांच नहीं कराई. डीएसपी टंडवा ने जांच कराए बगैर ही सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ केस को सत्य करार दिया. डीआईजी ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में लिखा है कि आरोपी पत्रकार की पत्नी ने पुलिसकर्मियों पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन आरोपों की जांच किए बगैर पत्रकार रविभूषण पर लगे आरोपों को सत्य करार दिया गया.

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घटनास्थल से फरार नहीं हुए थे रविभूषण
रविभूषण की पत्नी ने कॉल डिटेल निकालकर जांच की मांग की थी. डीआईजी की समीक्षा रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि मामले में जब सीडीआर निकालकर जांच की गई तब प्रियंका वर्मा के लगाए गए आरोप सही हुए. सीडीआर से इस बात की पुष्टि हुई है कि घटना के दिन अभियुक्त पत्रकार रविभूषण सिन्हा से पुलिसकर्मी लगातार संपर्क में थे. अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद रविभूषण सिन्हा थाना भी पहुंचे थे न कि घटनास्थल से फरार हुए थे. जबकि पुलिस ने एफआईआर में बताया था कि रविभूषण थाने से फरार हुए हैं. डीआईजी ने पाया है कि मामले के पर्यवेक्षण और जांच में घोर लापरवाही बरती गई.

रांची: चतरा पुलिस ने एक पत्रकार को ड्रग्स तस्करी के केस में फर्जी तरीके से फंसा दिया. नामजद एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिसवालों ने पत्रकार के खिलाफ केस में सुपरविजन कर दोष को सत्य भी करार दिया. लेकिन पूरे मामले में सच्चाई तब सामने आई जब पत्रकार रविभूषण सिन्हा की पत्नी के आवेदन की जांच कराई गई.

डीआईजी ने किया शोकॉज
मामले की समीक्षा के बाद हजारीबाग डीआईजी पंकज कंबोज ने डीएसपी आशुतोष कुमार सत्यम को शो-कॉज कर सात दिनों में जवाब मांगा है. वहीं केस के अनुसंधान से जुड़े अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है. डीएसपी की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं देने पर पुलिस मुख्यालय के स्तर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा भी की जाएगी. पूरे मामले में डीआईजी पंकज कंबोज ने एक गोपनीय रिपोर्ट सीआईडी और राज्य पुलिस मुख्यालय के आईजी को भी भेजी है.

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क्या है मामला
16 जून 2019 को ईटखोरी थाना में जमादार ललन दुबे के बयान पर अरूण कुमार, अजीत कुमार, अर्जुन पासवान, अनुप कुमार, संदीप कुमार, विनोद कुमार दांगी, पत्रकार रवि भूषण सिन्हा, हरेराम के खिलाफ नशीला पदार्थ की तस्करी की एफआईआर दर्ज कराई गई थी.10 जुलाई को आरोपी पत्रकार की पत्नी प्रियंका वर्मा ने एक आवेदन दिया था, लेकिन आवेदन की पुलिस ने जांच नहीं कराई. डीएसपी टंडवा ने जांच कराए बगैर ही सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ केस को सत्य करार दिया. डीआईजी ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में लिखा है कि आरोपी पत्रकार की पत्नी ने पुलिसकर्मियों पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन आरोपों की जांच किए बगैर पत्रकार रविभूषण पर लगे आरोपों को सत्य करार दिया गया.

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घटनास्थल से फरार नहीं हुए थे रविभूषण
रविभूषण की पत्नी ने कॉल डिटेल निकालकर जांच की मांग की थी. डीआईजी की समीक्षा रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि मामले में जब सीडीआर निकालकर जांच की गई तब प्रियंका वर्मा के लगाए गए आरोप सही हुए. सीडीआर से इस बात की पुष्टि हुई है कि घटना के दिन अभियुक्त पत्रकार रविभूषण सिन्हा से पुलिसकर्मी लगातार संपर्क में थे. अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद रविभूषण सिन्हा थाना भी पहुंचे थे न कि घटनास्थल से फरार हुए थे. जबकि पुलिस ने एफआईआर में बताया था कि रविभूषण थाने से फरार हुए हैं. डीआईजी ने पाया है कि मामले के पर्यवेक्षण और जांच में घोर लापरवाही बरती गई.

Intro:पत्रकार को चतरा पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के केस में फंसाया ,डीएसपी को डीआईजी ने किया शोकॉज

रांची।

चतरा पुलिस ने एक पत्रकार को ड्रग्स तस्करी के केस में फर्जी तरीके से फंसा दिया। नामजद एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस वालों ने पत्रकार के खिलाफ केस में सुपरविजन कर दोष को सत्य भी करार दिया। लेकिन पूरे मामले में सच्चाई तब सामने आयी जब पत्रकार रविभूषण सिन्हा की पत्नी के आवेदन की जांच करायी गई।

डीआईजी ने किया शोकॉज

मामले की समीक्षा के बाद हजारीबाग डीआईजी पंकज कंबोज ने डीएसपी आशुतोष कुमार सत्यम को शोकॉज कर सात दिनों में जवाब मांगा है, वहीं केस के अनुसंधान से जुड़े अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है। डीएसपी के द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं देने पर पुलिस मुख्यालय के स्तर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा भी की जाएगी। पूरे मामले में डीआईजी पंकज कंबोज ने एक गोपनीय रिपोर्ट सीआईडी व राज्य पुलिस मुख्यालय के आईजी को भी भेजी है।


क्या है मामला
16 जून 2019 को ईटखोरी थाना में जमादार ललन दूबे के बयान पर अरूण कुमार, अजीत कुमार, अर्जुन पासवान, अनुप कुमार, संदीप कुमार, विनोद कुमार दांगी, पत्रकार रवि भूषण सिन्हा, हरेराम के खिलाफ अवैध मादक द्रव्य की तस्करी की एफआईआर दर्ज करायी गयी थी। 10 जुलाई को आरोपी पत्रकार की पत्नी प्रियंका वर्मा ने एक आवेदन दिया था। लेकिन आवेदन की पुलिस ने जांच नहीं करायी। डीएसपी टंडवा ने जांच कराए बगैर ही सभी नामजद आरोपियों के विरूद्ध केस को सत्य करार दिया। डीआईजी ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में लिखा है कि आरोपी पत्रकार की पत्नी ने पुलिसकर्मियों पर कई गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन आरोपों की जांच किए बगैर पत्रकार रविभूषण पर लगे आरोपों को सत्य करार दिया गया।

पुलिस वाले थे संपर्क थे, घटनास्थल से फरार नहीं हुए थे रविभूषण

रविभूषण की पत्नी ने कॉल डिटेल निकालकर जांच की मांग की थी। डीआईजी की समीक्षा रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि मामले में जब सीडीआर निकालकर जांच की गई तब प्रियंका वर्मा के द्वारा लगाए गए आरोप सत्य प्रतीत हुए। सीडीआर से इस बात की पुष्टि हुई है कि घटना के दिन अभियुक्त पत्रकार रविभूषण सिन्हा से पुलिसकर्मी लगातार संपर्क में थे। अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद रविभूषण सिन्हा थाना भी पहुंचे थे न कि घटनास्थल से फरार हुए थे। जबकि पुलिस ने एफआईआर में बताया था कि रविभूषण थाने से फरार हुए हैं। डीआईजी ने पाया है कि मामले के पर्यवेक्षण व जांच में घोर लापरवाही बरती गई। आवेदन की जांच की जाती तो थाने के स्तर पर किए गए निकृष्ट कृत्य का बहुत पहले पता चल गया होता।Body:1Conclusion:2
Last Updated : Feb 8, 2020, 7:30 AM IST
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