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टेरर फंडिंग केस: PLFI सुप्रीमो और गुजरात के व्यवसायी समेत 11 के खिलाफ चार्जशीट दायर - PLFI supremo

NIA की दिल्ली टीम ने PLFI के टेरर फंडिंग मामले सुप्रीमो दिनेश गोप को फरार घोषित करते हुए चार्जशीट फाइल की है. चार्जशीट में जिक्र है कि विनोद कुमार, चंद्रशेखर कुमार, नंदकिशोर महतो, मोहन कुमार पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के नजदीकी हैं. इन लोगों ने पीएलएफआई के लेवी के पैसों का निवेश सुमंत कुमार, नंदलाल स्वर्णकार, चंद्रशेखर सिंह, अरूण गोप, जितेंद्र कुमार, जयंति भाई नवीन भाई पटेल के साथ मिलकर किया.

फाइल फोटो
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Published : Oct 23, 2019, 2:38 AM IST

रांची: PLFI के टेरर फंडिंग मामले में NIA ने चार्जशीट दायर की है. NIA की दिल्ली टीम ने इस मामले में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप को फरार घोषित करते हुए चार्जशीट फाइल की है.

PLFI के निवेशक सुमंत कुमार उर्फ पवन कुमार, गुजरात के टिंबर व्यवसायी नवीन भाई जयंती भाई पटेल, पेट्रोलपंप संचालक विनोद कुमार, चंद्रशेखर कुमार, मोहन कुमार, नंदकिशोर महतो, नंदलाल स्वर्णकार, चंद्रशेखर सिंह, अरूण गोप, जितेंद्र कुमार के खिलाफ भी चार्जशीट फाइल की गई है. PLFI के लेवी के पैसों को कई शेल कंपनियों में निवेश किया गया था.

चार्जशीट में क्या है
एनआईए की चार्जशीट में जिक्र है कि विनोद कुमार, चंद्रशेखर कुमार, नंदकिशोर महतो, मोहन कुमार पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के नजदीकी हैं. इन लोगों ने पीएलएफआई के लेवी के पैसों का निवेश सुमंत कुमार, नंदलाल स्वर्णकार, चंद्रशेखर सिंह, अरूण गोप, जितेंद्र कुमार, जयंति भाई नवीन भाई पटेल के साथ मिलकर किया. पैसों के निवेश के लिए मेसर्स पलक इंटरप्राइजेज, शिव आदि शक्ति, शिवशक्ति समृद्धि इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स भाव्या इंजीकॉन, नाम की शेल कंपनियां बनायी गईं थीं. इन शेल कंपनियों में पीएलएफआई सुप्रीमो और उनके परिवार के लोगों के पैसों का निवेश किया गया.

ये भी पढ़ें- एसिड अटैक पीड़ित का सारा खर्चा उठाएगी सरकार, स्टेट कैबिनेट में 24 प्रस्तावों पर लगी मुहर

हवाला के जरिए 2.50 करोड़ बाहर भेजे
एनआईए की जांच में यह बात सामने आई है कि लेवी के पैसों का हवाला ऑपरेटिव के जरिए विभिन्न जगहों पर ट्रांजेक्शन हुआ. करीब 2.50 करोड़ रूपये हवाला के जरिए बाहर भेजे गए. चार्जशीट में जिक्र है कि जांच के क्रम में दिल्ली, बंगाल, झारखंड में छापेमारी के दौरान नगदी 42.79 लाख, लैपटॉप, मोबाइल फोन व कई कागजात बरामद किए गए थे. एनआईए ने चार्जशीट में दिखाया है कि 70 लाख रूपये की संपत्ति अबतक जांच के क्रम में जब्त की गई है.

कैसे सामने आया था मामला
नोटबंदी के ठीक बाद 10 नवंबर 2016 को पीएलएफआई सुप्रीमो के 25.38 लाख रूपये बरामद किए गए थे. 500 और 1 हजार के पुराने नोट को एक पेट्रोलपंप संचालक के जरिए बेड़ो के एक बैंक में जमा कराया गया था. बेड़ो थाना में दर्ज केस में रांची पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. साल 2018 में एनआईए ने केस टेकओवर कर जांच शुरू की, जिसके बाद पीएफएफआई के टेरर फंडिंग नेटवर्क का खुलासा हुआ.

रांची: PLFI के टेरर फंडिंग मामले में NIA ने चार्जशीट दायर की है. NIA की दिल्ली टीम ने इस मामले में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप को फरार घोषित करते हुए चार्जशीट फाइल की है.

PLFI के निवेशक सुमंत कुमार उर्फ पवन कुमार, गुजरात के टिंबर व्यवसायी नवीन भाई जयंती भाई पटेल, पेट्रोलपंप संचालक विनोद कुमार, चंद्रशेखर कुमार, मोहन कुमार, नंदकिशोर महतो, नंदलाल स्वर्णकार, चंद्रशेखर सिंह, अरूण गोप, जितेंद्र कुमार के खिलाफ भी चार्जशीट फाइल की गई है. PLFI के लेवी के पैसों को कई शेल कंपनियों में निवेश किया गया था.

चार्जशीट में क्या है
एनआईए की चार्जशीट में जिक्र है कि विनोद कुमार, चंद्रशेखर कुमार, नंदकिशोर महतो, मोहन कुमार पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के नजदीकी हैं. इन लोगों ने पीएलएफआई के लेवी के पैसों का निवेश सुमंत कुमार, नंदलाल स्वर्णकार, चंद्रशेखर सिंह, अरूण गोप, जितेंद्र कुमार, जयंति भाई नवीन भाई पटेल के साथ मिलकर किया. पैसों के निवेश के लिए मेसर्स पलक इंटरप्राइजेज, शिव आदि शक्ति, शिवशक्ति समृद्धि इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स भाव्या इंजीकॉन, नाम की शेल कंपनियां बनायी गईं थीं. इन शेल कंपनियों में पीएलएफआई सुप्रीमो और उनके परिवार के लोगों के पैसों का निवेश किया गया.

ये भी पढ़ें- एसिड अटैक पीड़ित का सारा खर्चा उठाएगी सरकार, स्टेट कैबिनेट में 24 प्रस्तावों पर लगी मुहर

हवाला के जरिए 2.50 करोड़ बाहर भेजे
एनआईए की जांच में यह बात सामने आई है कि लेवी के पैसों का हवाला ऑपरेटिव के जरिए विभिन्न जगहों पर ट्रांजेक्शन हुआ. करीब 2.50 करोड़ रूपये हवाला के जरिए बाहर भेजे गए. चार्जशीट में जिक्र है कि जांच के क्रम में दिल्ली, बंगाल, झारखंड में छापेमारी के दौरान नगदी 42.79 लाख, लैपटॉप, मोबाइल फोन व कई कागजात बरामद किए गए थे. एनआईए ने चार्जशीट में दिखाया है कि 70 लाख रूपये की संपत्ति अबतक जांच के क्रम में जब्त की गई है.

कैसे सामने आया था मामला
नोटबंदी के ठीक बाद 10 नवंबर 2016 को पीएलएफआई सुप्रीमो के 25.38 लाख रूपये बरामद किए गए थे. 500 और 1 हजार के पुराने नोट को एक पेट्रोलपंप संचालक के जरिए बेड़ो के एक बैंक में जमा कराया गया था. बेड़ो थाना में दर्ज केस में रांची पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. साल 2018 में एनआईए ने केस टेकओवर कर जांच शुरू की, जिसके बाद पीएफएफआई के टेरर फंडिंग नेटवर्क का खुलासा हुआ.

Intro: टेरर फंडिंग केस - PLFI सुप्रीमो और गुजरात के व्यवसायी समेत 11 के खिलाफ चार्जशीट दायर

रांची।
पीएलएफआई के टेरर फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) ने चार्जशीट दायर की है। एनआईए दिल्ली टीम ने इस मामले में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप को फरार घोषित करते हुए चार्जशीट फाइल की है।

कौन कौन है आरोपी

पीएलएफआई के निवेशक सुमंत कुमार उर्फ पवन कुमार, गुजरात के टिंबर व्यवसायी नवीन भाई जयंति भाई पटेल, पेट्रोलपंप संचालक विनोद कुमार, चंद्रशेखर कुमार, मोहन कुमार, नंदकिशोर महतो, नंदलाल स्वर्णकार, चंद्रशेखर सिंह, अरूण गोप, जितेंद्र कुमार के खिलाफ भी चार्जशीट फाइल की गई है। पीएलएफआई के लेवी के पैसों को विभिन्न शेल कंपनियों में निवेश किया गया था।

क्या है चार्जशीट में
एनआईए की चार्जशीट में जिक्र है कि विनोद कुमार, चंद्रशेखर कुमार, नंदकिशोर महतो, मोहन कुमार पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के नजदीकी है। इन लोगों ने पीएलएफआई के लेवी के पैसों का निवेश सुमंत कुमार, नंदलाल स्वर्णकार, चंद्रशेखर सिंह, अरूण गोप, जितेंद्र कुमार, जयंति भाई नवीन भाई पटेल के साथ मिलकर की। पैसों के निवेश के लिए मेसर्स पलक इंटरप्राइजेज, शिव आदि शक्ति, शिवशक्ति समृद्धि इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स भाव्या इंजीकॉन, नाम की शेल कंपनियां बनायी गई थी। इन शेल कंपनियों में पीएलएफआई सुप्रीमो व उनके परिवार के लोगों के पैसों का निवेश किया गया।

हवाला के जरिए 2.50 करोड़ बाहर भेजे

एनआईए की जांच में यह बात सामने आयी है कि लेवी के पैसों का हवाला ओपरेटिव के जरिए विभिन्न जगहों पर ट्रांजेक्शन हुआ। करीब 2.50 करोड़ रूपये हवाला के जरिए बाहर भेजे गए। चार्जशीट में जिक्र है कि जांच के क्रम में दिल्ली, बंगाल, झारखंड में छापेमारी के दौरान नगदी 42.79 लाख, लैपटॉप, मोबाइल फोन व कई कागजात बरामद किए गए थे। एनआईए ने चार्जशीट में दिखा है कि 70 लाख रूपये की संपत्ति अबतक जांच के क्रम में जब्त की गई है।

कैसे सामने आया था मामला

नोटबंदी के ठीक बाद 10 नवंबर 2016 को पीएलएफआई सुप्रीमो के 25.38 लाख रूपये बरामद किए गए थे। 500 और 1 हजार के पुराने नोट को एक पेट्रोलपंप संचालक के जरिए बेड़ो के एक बैंक में जमा कराया गया था। बेड़ो थाना में दर्ज केस में रांची पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था। साल 2018 में एनआईए ने केस टेकओवर कर जांच शुरू की थी। जिसके बाद पीएफएफआई के टेरर फंडिंग नेटवर्क का खुलासा हुआ।Body:1Conclusion:2
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