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सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के पूर्व पीए मनोज सिंह ने ईडी कोर्ट में किया सरेंडर, 28 फरवरी तक के लिए भेजा जेल - money laundering

मनी लाउंड्रिंग मामले में सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के पूर्व पीएम मनोज सिंह ने ईडी के विशेष अदालत ने सरेंडर कर दिया. सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के पीए रहने के दौरान आरोपियों की संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि हुई.

Chandraprakash Chaudhary PA manoj singh surrendered in ED
मनोज सिंह ने ईडी की विशेष अदालत ने किया सरेंडर
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Published : Feb 15, 2020, 11:06 PM IST

Updated : Feb 15, 2020, 11:17 PM IST

रांची: मनी लाउंड्रिंग मामले में फरार चल रहे पूर्व मंत्री और वर्तमान सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के पूर्व पीए मनोज सिंह ने शनिवार को ईडी की विशेष अदालत में सरेंडर कर दिया. आरोपी की ओर से अदालत में जमानत फाइल की गई, जिसे अदालत ने खारिज करते हुए 28 फरवरी तक के लिए जेल भेज दिया.

वीडियो में देखें पूरी खबर

12.81 करोड़ के भ्रष्ट्राचार के मामले में मनोज के अलावा उनके दोनों भाई सुबोध सिंह और सुजीत सिंह भी आरोपी हैं. साल 2013 से फरार आरोपी ने कुर्की जब्ती के डर से सरेंडर किया. ईडी ने तीनों आरोपियों के घर पर नोटिस चस्पा किया था. नोटिस के एक महीने पूरा होने तक अगर तीनों सरेंडर नहीं करते, तो अदालत कुर्की जब्ती का आदेश जारी कर सकती थी. यह अवधि 17 फरवरी को खत्म हो रही थी. मनोज मोरहाबादी में जबकी उसके दोनों भाई जमशेदपुर में रहते हैं.

ये भी पढ़ें- अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए रघुवर दास की चलाई गई योजनाओं को बंद कर रहे हैं हेमंत सोरेन: समीर उरांव

पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के पीए रहने के दौरान आरोपियों की संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि हुई. 9 अक्टूबर 2006 से 23 अगस्त 2008 के बीच मनोज सिंह के बैंक खाते में 12 करोड़ 54 लाख 23 हजार 337 रुपया का फिक्स डिपोजिट किया गया. बचत खाते में 23 लाख 77 हजार 977 रुपये पाए गए, जबकि मंत्री के पीए के रूप में प्रतिमाह 48 हजार 924 रुपया मिलता था. मामला सामने आने के बाद 2 दिसंबर 2009 को एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज की. एसीबी ने तीनों भाईयों के अलावा उनके पिता अवधेश सिंह को आरोपित बनाया. बाद में केस को ईडी ने टेकओवर कर लिया.

रांची: मनी लाउंड्रिंग मामले में फरार चल रहे पूर्व मंत्री और वर्तमान सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के पूर्व पीए मनोज सिंह ने शनिवार को ईडी की विशेष अदालत में सरेंडर कर दिया. आरोपी की ओर से अदालत में जमानत फाइल की गई, जिसे अदालत ने खारिज करते हुए 28 फरवरी तक के लिए जेल भेज दिया.

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12.81 करोड़ के भ्रष्ट्राचार के मामले में मनोज के अलावा उनके दोनों भाई सुबोध सिंह और सुजीत सिंह भी आरोपी हैं. साल 2013 से फरार आरोपी ने कुर्की जब्ती के डर से सरेंडर किया. ईडी ने तीनों आरोपियों के घर पर नोटिस चस्पा किया था. नोटिस के एक महीने पूरा होने तक अगर तीनों सरेंडर नहीं करते, तो अदालत कुर्की जब्ती का आदेश जारी कर सकती थी. यह अवधि 17 फरवरी को खत्म हो रही थी. मनोज मोरहाबादी में जबकी उसके दोनों भाई जमशेदपुर में रहते हैं.

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पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के पीए रहने के दौरान आरोपियों की संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि हुई. 9 अक्टूबर 2006 से 23 अगस्त 2008 के बीच मनोज सिंह के बैंक खाते में 12 करोड़ 54 लाख 23 हजार 337 रुपया का फिक्स डिपोजिट किया गया. बचत खाते में 23 लाख 77 हजार 977 रुपये पाए गए, जबकि मंत्री के पीए के रूप में प्रतिमाह 48 हजार 924 रुपया मिलता था. मामला सामने आने के बाद 2 दिसंबर 2009 को एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज की. एसीबी ने तीनों भाईयों के अलावा उनके पिता अवधेश सिंह को आरोपित बनाया. बाद में केस को ईडी ने टेकओवर कर लिया.

Last Updated : Feb 15, 2020, 11:17 PM IST
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